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Jitiya Vrat 2024 Date: बिहार, झारखंड और यूपी में प्रचलित जीतिया व्रत का क्या है धार्मिक महत्व, जानें यहां

Jitiya Vrat 2024 Date: जितिया व्रत बिहार, झारखंड और यूपी समेत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. आइए जानें दैवज्ञ ज्‍योतिषी डा श्रीपति त्रिपाठी से इसका धर्मिक महत्व

Jitiya Vrat 2024 Date: जीतिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, मुख्य रूप से उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है. यह व्रत माताओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है. इस व्रत को निर्जला रखा जाता है, यानी व्रती पूरे दिन बिना पानी पिए उपवास करती हैं. जीतिया व्रत की खास विशेषता यह है कि इसमें केवल पुत्रों के लिए ही नहीं, बल्कि संतान की सुरक्षा और कल्याण के लिए भी प्रार्थना की जाती है.

जीतिया व्रत का धार्मिक महत्व क्या है ?

इस व्रत का पौराणिक महत्व काफी गहरा है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जीमूतवाहन नामक एक राजा ने अपने प्रजा और नागों की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था. उनके इस बलिदान की याद में माताएं इस व्रत को करती हैं ताकि उनकी संतानें हर संकट से सुरक्षित रहें. इस व्रत से संतान को दीर्घायु और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

कब रखा जाएगा जीतिया व्रत ?

शास्त्र प्रमाण के अनुसार इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरूआत माताएं 24 सितम्बर को करेंगी. 25 सितम्बर को माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला करेंगी.

क्यों अतिमहत्वपूर्ण है जितिया व्रत ?

जितिया व्रत से संतान की उम्र लंबी होती है साथ ही पुत्र के जीवन को दीर्घायु भी बनाता है ये व्रत.
व्रत करने वालों के घर में सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है.
महिलाओं के गर्भरक्षण के साथ दीर्घायु पुत्र की प्राप्ति होती है.

जीतिया व्रत की पूजा विधि

व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं.

पूजा के लिए जीमूतवाहन की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है.

उपवास के दौरान निराहार और निर्जल व्रत का पालन किया जाता है.

अगले दिन पारण के साथ व्रत समाप्त होता है.

इस व्रत का पालन संतान की दीर्घायु और समृद्धि के लिए किया जाता है और इसमें श्रद्धा और नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है.

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