Jyeshtha Purnima 2024 Date: पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को पूर्णिमा तिथि पड़ती है. पूर्णिमा तिथि साल भर में कुल 12 पड़ती है और हर एक पूर्णिमा तिथि का अपना एक महत्व है. ऐसे ही ज्येष्ठ पूर्णिमा को काफी खास मानी जाती है, इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही पूर्णिमा तिथि के दिन पितरों के तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं, इस दिन चंद्र देव के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर काफी अच्छे योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व…
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि और शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 21 जून को सुबह 7 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 22 जून को सुबह 6 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो रही है. उदया तिथि के हिसाब से ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून 2024 को मनाई जा रही है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से लेकर शाम 6 बजकर 42 मिनट तक शुभ योग रहेगा. इसके बाद शुक्ल योग लग जाएगा. भगवान शिव की पूजा के लिए शिव वास योग सुबह 6 बकर 38 मिनट से 23 जून को सुबह 5 बजकर 12 मिनट तक है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- 21 जून को सुबह 4 बजकर 7 मिनट से 4 बजकर 44 मिनट तक
- विजय मुहूर्त – 21 जून को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा.
- गोधूलि मुहूर्त – 21 जून को शाम 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
- नीतिशा मुहूर्त- 21 जून को रात 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.
ज्येष्ठा पूर्णिमा पूजा विधि
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है.
- अगर संभव न हो तो आप नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान भी कर सकते हैं.
- नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
- इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना भी करें.
- फिर भगवान विष्णु को भोग लगाएं, भोग में तुलसी पत्ता भी शामिल करें.
- इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
- फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें.
- पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
- चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें.
- चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल का तीसरा महीना ज्येष्ठ मास है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के साथ-साथ दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. वहीं इस दिन दान देने से पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है. इस दिन कुछ जगहों पर महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखकर पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए वट वृक्ष की पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान, पूजा पाठ करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.