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आने वाला है Maha Shivratri 2024 का त्योहार, जानें 8 या 9 मार्च कब मनाया जाएगा ये पर्व

Maha Shivratri 2024: इस वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि पर्व के दुर्लभ संयोग बन रहा है.8 मार्च शुक्रवार त्रयोदशी तिथि रात्रि 7 बजकर 38 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि 9 मार्च सायं 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी,श्रवण नक्षत्र प्रातः 7 बजकर 59 तक उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र,शिवयोग रात्रि 11 बजकर 09 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग,सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से दिवा 10 बजकर 41 मिनट तक,शिवरात्रि पूजा रात में होती है इसलिए इसमें उदया तिथि देखना जरूरी नहीं है.

Maha Shivratri 2024: फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनायी जाती है.शिवभक्तों के लिए शिवरात्रि का व्रत एवं भगवान् शिव की पूजा विशेष फलदायी है.महाशिवरात्रि शिव और शक्ति का मिलन का दिन है.मान्यता है कि इस समय भगवान् शिव का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है. यहां जानें ज्योतिषाचार्य डॉ.एन.के.बेरा से कि इस वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि पर्व किस दिन मनाया जाएगा.

Maha Shivratri 2024: शिवजी की पूजा करने से मिलता है ये शुभफल

महाशिवरात्रि में शिवजी की पूजा और उपासना करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्तों का हर मनोकामना पूरी करते हैं.स्थाई सुख-समृद्धि,संतान सुख,आयु-आरोग्य की बृद्धि,रोग बाधा से छुटकारा मिलता है.जिन व्यक्तियों की जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष,विष योग,शनि की आढैया तथा साढ़ेसाती,साथ ही मंगली दोष व्याप्त है उन्हें शिवरात्रि का व्रत एवं भगवान् शिव की विधिपूर्वक पूजा उपासना करना चाहिए.जिन लोगों के घर में कलह,वाद-विवाद,लड़ाई-झगड़े से परेशानी,मामला मुकदमा,आर्थिक हानि,चालू व्यापार बंद हो जाना,भाग्य बाधा,संतान हीनता,विवाह बाधा तथा सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए महाशिवरात्रि व्रत से बढ़कर और कोई व्रत नहीं हैं.

Maha Shivratri 2024: बन रहा है इस में महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग

इस वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि पर्व के दुर्लभ संयोग बन रहा है.8 मार्च शुक्रवार त्रयोदशी तिथि रात्रि 7 बजकर 38 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि 9 मार्च सायं 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी,श्रवण नक्षत्र प्रातः 7 बजकर 59 तक उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र,शिवयोग रात्रि 11 बजकर 09 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग,सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से दिवा 10 बजकर 41 मिनट तक,शिवरात्रि पूजा रात में होती है इसलिए इसमें उदया तिथि देखना जरूरी नहीं है.इसलिए महाशिवरात्रि का त्योहार 8 मार्च शुक्रवार को ही मनायी जायेगी,इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत का संयोग भी है.इस दिन सुबह से लेकर रात्रि जागरण कर शिव पूजा का विधान है.

महाशिवरात्रि के अवसर पर निर्जला व्रत रखकर रात्रि के चारों पहरों में चार बार पूजा करते हैं उन्हें शिवजी के विशेष कृपा मिलता है.समस्त संकट दूर हो जाता है.मनोवाँछित फल की प्राप्ति होती है.

रात्रि के प्रथम पहर में पूजा का समय-सायं 6 बजकर 23 मिनट से रात्रि 9 बजकर 29 मिनट

रात्रि के द्वितीय पहर में पूजा का समय-रात्रि 9 बजकर 29 मिनट से (9 मार्च) 12 बजकर 33 मिनट

रात्रि के तृतीय पहर में पूजा के समय-रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से रात्रि 3 बजकर 35 मिनट

रात्रि के चतुर्थ पहर पूजा के समय –रात्रि 3 बजकर 35 मिनट से प्रातः 6 बजकर 38 मिनट

Maha Shivratri 2024: महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन ही शिवजी वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था.इसी दिन रात में भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था.दूसरी मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे.शिव का प्राकट्य ज्योर्तिलिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था.महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग 64 अलग-अलग जगहों पर प्रकट हुए थे.मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती के साथ शिवजी की पूजा करने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

भगवान् शिव और उनका नाम समस्त मंगलों का मूल है.वे कल्याण की जन्मभूमि,परम कल्याणमय तथा शांति के आगार है.वेद तथा आगमों में शिवजी को विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बताया गया है.समस्त विद्याओं के मूल स्थान भी भगवान शिव ही है.वे सबके मूल कारण,रक्षक,पालक तथा नियन्ता होने के कारण महेश्वर कहे जाते हैं.उनका आदि और अन्त न होने से अनन्त हैं.

Maha Shivratri 2024: भगवान शिव को लिंगरूपसे पूजा का तात्पर्य क्या है

महाशिवरात्रि यह परमब्रह्म शिव का लिंग रूप में साकार प्रकटीकरण का पर्व है.विश्वभर में फैले हुए शिवभक्त इसदिन अति श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक,रूद्राभिषेक इत्यादि विविध प्रकार से पूजा-आराधना करते हैं.जगह-जगह शिवालयों से निकली शिव बरात देशवासियों की श्रद्धा को समेटती भक्ति भाव लुटाती एक अतुलनीय वातावरण का सृजन कर देती है.

भगवान् शिव को लिंगरूप से पूजा-उपासना का तात्पर्य यह है कि शिव,पुरूष लिंगरूपसे इस प्रकृतिरूपी संसारमें स्थित है.यही सृष्टिकी उत्पत्तिका मूलरूप है.त्रयम्बकं यजामहे शिव उपासना का महामंत्र है.शिवपुराण में शिव को संसार की उत्पत्ति का कारण और परब्रह्म कहा गया है.भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर हुए विवाद को सुलझाने के लिए एक दिव्य लिंग प्रकट किया था.इस लिंग का आदि और अंत ढूंढ़ते हुए ब्रह्मा और विष्णु को शिव के परब्रह्म स्वरूप का ज्ञान हुआ.इसी समय से शिव ही पूर्ण पुरूष और निराकार परब्रह्म है.इसी के प्रतीकात्मक रूप में शिव के लिंग की पूजा की जाती है.शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग में सभी देवताओं का पूजन बिना आह्वान विसर्जन किया जा सकता है.

Maha Shivratri 2024: महाशिवरात्रि में भोलेनाथ की उपासना के लिए आवश्यक बातें

स्नान आदि से निबृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें.संभव हो तो सिले हुए वस्त्र धारण न करें.शुद्ध आसन पर पूर्व या उत्तर मुख होकर बैठे.संकल्प करें तथा शिवपूजन के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें—

1.शिवजी की पूजा के समय भस्म,त्रिपुन्ड और रूदाक्षमाला धारण करें.

2.भगवान शिव की पूजा में विशेष पत्र और पुष्प में,बिल्व-पत्र प्रधान हैं,किन्तु बिल्व पत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए.बिल्व-पत्र चढ़ाते समय बिल्व-पत्र में तीन से लेकर ग्यारह दलों तक के बिल्व-पत्र प्राप्त होते हैं.ये जितने अधिक पत्रों का हो,उतने ही उत्तम माने जाते हैं,यदि तीन में से कोई दल टूट गया हो तो वह बिल्व पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए.

3.आक का फूल और धतुरे का फूल भी शिव पूजा के विशेष सामग्री है,किन्तु सर्वश्रेष्ठ पुष्प है नीलकमल का.उसके अभाव में कोई भी कमल का पुष्प भगवान शिव को चढा़ सकते हैं.

4.शिवजी के पूजा में तिल का प्रयोग नहीं होना चाहिए और चम्पा का पुष्प नहीं चढा़ना चाहिए.

5.शिवजी को भांग का भोग अवश्य लगाना चाहिए.लोगों की यह धारणा है कि शिवजी को लगाया गया भोग भक्षण नहीं करना चाहिए.केवल शिवलिंग को स्पर्श कराया गया भोग नहीं लेना चाहिये.

6.शिव की परिक्रमा में सम्पूर्ण परिक्रमा नहीं की जाती.जिधर से चढ़ा हुआ जल निकलता है,उस नाली का उल्लंघन नहीं करें.वहाँ से परिक्रमा उल्टी की जाती है.

7.शिवजी की पूजा में कुटज,नागकेशर,मालती,चम्पा,चमेली,कुन्द,जूहि,रक्तजवा,मल्लिका,केतकी(केवडा)के पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए.

Maha Shivratri 2024: महाशिवरात्रि में शिव-उपासना से लाभ

1.महाशिवरात्रि में शिवालय जाकर शिव लिंग पर बम-बम कहते हुए जल चढाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और मनुष्य को हर पापों से छुटकारा मिल जाता है. .

2.शिव उपासना से मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय तथा सफलता प्राप्त करता है.

3.महाशिवरात्रि व्रत से अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है तथा सदैव रोग मुक्त भी रहता है.

4.भगवान शिव सौभाग्य दायक हैं अतः महाशिवरात्रि के अवसर पर कुवांरी कन्या द्वारा इनकी आराधना करने से मनोवांछित वर प्राप्ति होती है.

5.शिवजी के उपासना करने से परिवार में सुख-सम्पन्नता,धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.व्यवसाय में उन्नति तथा दुःख-दरिद्रता,निःसन्तान को संतान सुख प्राप्त होता है.

6.शिव लिंग पर जलाभिषेक तथा विल्वपत्र चढ़ाने भगवान शिव प्रसन्न होते हैं संतान को हर कष्ट से छुटकारा मिलता है.

7.महाशिवरात्रि के दिन सुबह तथा सांयकाल पंचाक्षर मंत्र नमः शिवाय या ऊँ हौं जूं सः मंत्र का 108 बार जप करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

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