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Mahakumbh 2025 LIVE: महाकुंभ में आज सुबह 9.30 बजे तक साठ लाख ने किया स्नान

Mahakumbh 2025 LIVE: महाकुंभ को विश्व के सबसे विशाल धार्मिक समारोहों में से एक माना जाता है. यह महोत्सव 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी तक चलेगा, जो श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का अद्वितीय मिलन होगा.

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स्टीव जॉब्स की पत्नी पहुंचीं स्वामी कैलाशानंद के आश्रम

स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स स्वामी कैलाशानंद के आश्रम में पहुंची हैं. महाकुंभ के अवसर पर लॉरेन ने आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज से मुलाकात की. स्वामी कैलाशानंद गिरि ने लॉरेन के बारे में कहा, "वह अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व की धनी हैं. वह मुझे पिता और गुरु के रूप में सम्मान देती हैं. भारतीय परंपराएं अब वैश्विक स्तर पर स्वीकार की जा रही हैं."

महाकुंभ को लेकर पीएम मोदी का ट्वीट

महाकुंभ को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि महाकुंभ आस्था, भक्ति और संस्कृति के पवित्र संगम में अनगिनत लोगों को एक साथ एकत्रित करेगा.

60 लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान

अब तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया है महाकुंभ में लाखों भक्तों की उपस्थिति हो रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, आज सुबह 9.30 बजे तक 60 लाख लोगों ने स्नान किया है.

इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर सुरक्षा बलों को तैनात किया है.

त्रिवेणी संगम में श्रद्धालु लगा रहें हैं डुबकी

भारी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं. सुबह आठ बजे तक

लगभग चालीस लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया है. आज, 13 जनवरी - पौष पूर्णिमा के साथ 45 दिवसीय महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो रही है.

तिब्बत और नेपाल में भूकंप से मारे गए लोगों के लिए की गई पूजा

महाकुंभ में तिब्बत और नेपाल में आए भूकंप से काफी जानमाल का नुकसान हुआ, ऐसे में जान गवांने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए संगम तट पर पूजा की गई.

मकर संक्रांति पर पहला अमृत स्नान

महाकुंभ का आयोजन आज से शुरू हो रहा है, जिसमें मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान होगा. महाकुंभ 2025 का पहला महत्वपूर्ण स्नान सोमवार को पौष पूर्णिमा के दिन होगा. इस बार महाकुंभ में पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति का स्नान एक साथ पड़ रहा है. सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही मेला क्षेत्र में कल्पवास की शुरुआत भी होगी.

1.6 लाख टेंट कल्पवासियों के लिए स्थापित

महाकुंभ की विशेष परंपरा कल्पवास का पालन करने हेतु प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं. मेला क्षेत्र में गंगा के किनारे झूंसी से फाफामऊ तक लगभग 1.6 लाख टेंट कल्पवासियों के लिए स्थापित किए गए हैं. इन टेंटों में बिजली, पानी के कनेक्शन के साथ-साथ शौचालयों का निर्माण भी किया गया है. कल्पवासियों की सुविधा के लिए उनके टेंटों तक पहुंचने हेतु लगभग 650 किलोमीटर की अस्थाई सड़कों और 30 पंटून पुलों का निर्माण किया गया है.

पौष पूर्णिमा के एक दिन पूर्व 50 लाख श्रद्धालुओं ने किया संगम में स्नान

पौष पूर्णिमा के एक दिन पूर्व रविवार को लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान किया. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस अवसर पर पुरुष, महिलाएं, वृद्ध, बच्चे और अनेक साधु-संत अनुष्ठान करने तथा स्नान करने के लिए संगम पर एकत्रित हुए हैं.

महाकुंभ 2025 में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

महाकुंभ 2025 के अवसर पर मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आरएएफ, पुलिस और सीआरपीएफ की टीमों ने तैनाती की है. ये टीमें पर उपस्थित हैं ताकि भीड़ के प्रबंधन में कोई कमी न रहे.

श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु नाव के किराए का एक लगा सूचना बोर्ड

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नाव के किराए की दर का एक बोर्ड स्थापित किया गया है। संगम क्षेत्र में स्नान के लिए बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं को देखते हुए नाविक विष्णु निषाद ने कहा कि इस बार का कुम्भ मेला हमारे लिए खुशी का अवसर लेकर आया है। मेला प्रशासन द्वारा किराए में वृद्धि से सभी नाविकों में उत्साह है। स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए महाकुम्भ में पहली बार 'अंडर वॉटर ड्रोन' की तैनाती की गई है, जो 24 घंटे पानी के भीतर सभी गतिविधियों की निगरानी करने में सक्षम है.

महाकुंभ का पौराणिक महत्व

महाकुंभ मेला समुद्र मंथन की कथा से संबंधित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब समुद्र का मंथन किया गया, तब उसमें से अमृत का कलश प्रकट हुआ। देवताओं और राक्षसों के बीच इस अमृत को प्राप्त करने के लिए 12 दिन तक संघर्ष चला। इस प्रक्रिया के दौरान, अमृत की कुछ बूँदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। महाकुंभ केवल एक मेला नहीं है, बल्कि यह आस्था, विश्वास और एकता का प्रतीक भी है। यहां लोग संगम में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और साधु-संतों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति तीन दिन तक नियमित रूप से स्नान करता है, तो उसे हजार अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.

श्रद्धालुओं और पर्यटकों का विशाल समागम

महाकुंभ 2025 में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है. संगम तट पर आयोजित होने वाले 45-दिवसीय इस आयोजन में बड़ी संख्या में पर्यटकों और सांस्कृतिक प्रेमियों के भाग लेने की उम्मीद है। यह आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

संगम पर श्रद्धालुओं की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि

महाकुंभ में पहले स्नान के लिए रातभर से उपस्थित श्रद्धालु संगम की ओर अग्रसर हो रहे हैं. अब भीड़ में वृद्धि होने लगी है.

महाकुंभ का आयोजन 45 दिनों तक

महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस अवधि में मुख्य स्नान पर्व निम्नलिखित हैं:

14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति

29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या

3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी

26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि

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