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इन राशि वालों के लिए बेहद शुभ है मकर संक्रांति
बताया जा रहा है कि इस साल चार राशियों के लिए मकर संक्रांति का पर्व बेहद शुभ होने वाला है. ये राशियां वृषभ, तुला, धनु और मीन हैं. यानी इन चार राशियों के जातकों के लिए अच्छी चीजें होंगी. ज्योतिषियों के अनुसार, वृषभ राशि वालों को संतान सुख, आवास, वाहन का उत्तम सुख मिलेगा. उनके मान सम्मान में भी इजाफा होगा.
मकर संक्रांति के दिन इन चीजों का दान करें
ऊनी कंबल, जरूरतमंदों को वस्त्र विद्यार्थियों को पुस्तकें पंडितों को पंचांग आदि का दान भी किया जाता है. अन्य खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जी, चावल, दाल, आटा, नमक आदि जो भी यथा शक्ति संभव हो उसे दान करके संक्राति का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है पुराणों के अनुसार जो प्राणी ऐसा करता है उसे विष्णु और श्रीलक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है.
मकर संक्रांति पर स्नान दान का महत्व
इस पर्व पर समुद्र में स्नान के साथ-साथ गंगा, यमुना, सरस्वती, नमर्दा, कृष्णा, कावेरी आदि सभी पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देने से पापों का नाश तो होता ही है पितृ भी तृप्त होकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं यहां तक कि इस दिन किए जाने वाले दान को महादान की श्रेणी में रखा गया है। वैसे तो सभी संक्रांतियों के समय जप-तप तथा दान-पुण्य का विशेष महत्व है.
मकर संक्रांति के अनेक नाम
मकर संक्रांति को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. जैसे- पंजाब में माघी, हिमाचल प्रदेश में माघी साजी, जम्मू में माघी संग्रांद , हरियाणा में सकरत, मध्य भारत में सुकरत, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात के साथ उत्तर प्रदेश में उत्तरायण, ओडिशा में मकर संक्रांति, असम में माघ बिहू,अन्य नामों से संक्रांति को मनाते है .
मकर संक्रांति पूजा विधि
आप इस पूजा को करने के लिए अपने पास एक साफ सुथरा लकड़ी की चौकी रखें और थोड़ा गंगाजल छिड़ कर शुद्ध करें . फिर उस पर कलश रख दें .फिर उसके बाद आप भगवान गणेश, भगवान शिव, भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और सूर्य भगवान की मूर्ति रखें .इसके बाद आप आप जैसे अपने देवी देवताओ को पूजते है वैसे ही पूज करें और साथ ही गणेश गायत्री मंत्र का जाप भी करें.
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का है खास महत्व
मकर संक्रांति के शुभ दिन पर कहा जाता है यदि पवित्र नदी गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेर में कोई डुबकी लगता है तो वह अपने सभी अतीत और वर्तमान पापों को धो देता है और आपको एक स्वस्थ, समृद्ध और खुशहाल जीवन प्रदान करता है. मकर संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है.
सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर में प्रवेश करते है
कहा जाता है कि इस खास दिन पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर में प्रवेश करते है. इस दौरान कहते है कि एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है.
भारत के अलग-अलग राज्यों में इस नाम से मनाई जाती है मकर संक्रांति
देश में मकर संक्रांति के पर्व को कई नामों से जाना जाता है. पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोग में इसे लोहड़ी के नाम से बड़े पैमाने पर मनाते हैं. लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है.
मकर संक्रांति को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है
मकर संक्रांति को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. जैसे- पंजाब में माघी, हिमाचल प्रदेश में माघी साजी, जम्मू में माघी संग्रांद , हरियाणा में सकरत, मध्य भारत में सुकरत, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात के साथ उत्तर प्रदेश में उत्तरायण, ओडिशा में मकर संक्रांति, असम में माघ बिहू,अन्य नामों से संक्रांति को मनाते है .
मकर संक्रांति पूजा विधि
आप इस पूजा को करने के लिए अपने पास एक साफ सुथरा लकड़ी की चौकी रखें और थोड़ा गंगाजल छिड़ कर शुद्ध करें . फिर उस पर कलश रख दें .फिर उसके बाद आप भगवान गणेश, भगवान शिव, भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और सूर्य भगवान की मूर्ति रखें .इसके बाद आप आप जैसे अपने देवी देवताओ को पूजते है वैसे ही पूज करें और साथ ही गणेश गायत्री मंत्र का जाप भी करें.
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के शुभ दिन पर कहा जाता है यदि पवित्र नदी गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेर में कोई डुबकी लगता है तो वह अपने सभी अतीत और वर्तमान पापों को धो देता है और आपको एक स्वस्थ, समृद्ध और खुशहाल जीवन प्रदान करता है. मकर संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है.
मकर संक्रांति पर तीर्थपतियों का प्रयाग आगमन
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और माघमाह के संयोग से बनने वाला यह पर्व सभी देवों के दिन का शुभारंभ होता है। इसी दिन से तीनों लोकों में प्रतिष्ठित तीर्थराज प्रयाग और गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगमतट पर साठ हजार तीर्थ, नदियां, सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि एकत्रित होकर स्नान, जप-तप, और दान-पुण्य करके अपना जीवन धन्य करते हैं.
मकर संक्रांति पर स्नान-दान
इस पर्व पर समुद्र में स्नान के साथ-साथ गंगा, यमुना, सरस्वती, नमर्दा, कृष्णा, कावेरी आदि सभी पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देने से पापों का नाश तो होता ही है पितृ भी तृप्त होकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं यहां तक कि इस दिन किए जाने वाले दान को महादान की श्रेणी में रखा गया है। वैसे तो सभी संक्रांतियों के समय जप-तप तथा दान-पुण्य का विशेष महत्व है.
सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि
शास्त्रों के अनुसार सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय दोनों हाथों की अंजलि के माध्यम से देना चाहिए लेकिन अर्घ्य देते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हाथ की तर्जनी उंगली और अंगूठा एक-दूसरे से न छुए. ऐसा होने की स्थिति में पूजा का कोई फल नहीं मिलता है क्योंकि इस मुद्रा को राक्षसी मुद्रा कहा गया है.
सूर्य को कितनी बार अर्घ्य देना चाहिए
तांबे या कांसे का लोटा प्रयोग अर्घ्य देने का प्रावधान है. गंगाजल, लाल चंदन, पुष्प इत्यादि जल में डालना चाहिए. इससे जल की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है. सूर्य को तीन बार अर्घ्य देना चाहिए और प्रत्येक बार अर्घ्य देते समय प्रत्येक बार परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा करने से ईश्वर की हमेशा आप पर कृपा बनी रहती है और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य पूरे होते हैं.
सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
सूर्य पूजन कहां और कैसे करना चाहिए
सूर्यनारायण को अर्घ्य जलाशय, नदी इत्यादि के आस-पास देना चाहिए. यदि जलाशय या नदी तक रोज नहीं पहुंच सकते तो साफ-सुथरी भूमि में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. घर की छत या बालकनी जहां से सूर्य दिखाई दें, वहां खड़े होकर सूर्य पूजन कर सकते हैं
शुभ माना जाता है 14 जनवरी का दिन
वहीं इस खास दिन पर लोग कामना करते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, साथ ही भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं. भोग लगाते है जिसमे चावल, दाल, गुड़, मटर, रेवड़ी चढ़ाते हैं. क्योंकि यह काफी शुभ माना जाता है. इस दिन लोग पतंग उड़ाते हैं. दरअसल मकर संक्रांति 14 जनवरी एक ऐसा दिन है, जब धरती पर एक अच्छे और शुभ दिन की शुरुआत होती है. ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है.
इन चीजों का करें दान
ऊनी कंबल, जरूरतमंदों को वस्त्र विद्यार्थियों को पुस्तकें पंडितों को पंचांग आदि का दान भी किया जाता है. अन्य खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जी, चावल, दाल, आटा, नमक आदि जो भी यथा शक्ति संभव हो उसे दान करके संक्राति का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है पुराणों के अनुसार जो प्राणी ऐसा करता है उसे विष्णु और श्रीलक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है.
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर अपने पास स्थित किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें. फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें और शनि से जुड़े हुए मंत्रों का जाप करें. इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें.
मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त- 14 जनवरी
14 जनवरी को सूर्यदेव का राशि परिवर्तन यानी सूर्य का मकर राशि में गोचर दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर होगा. इस वजह से 14 जनवरी को गंगा स्नान और सूर्य देव की पूजा का समय सुबह 08 बजकर 43 मिनट से प्रारंभ कर सकते है. मकर संक्रांति का पुण्य काल: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 45 मिनट तक
तुला राशि वालों को होगा धन लाभ
तुला राशि के जातकों को अच्छे भोजन और धन की प्राप्ति होगी. इसी तरह धनु राशि वालों को भी अच्छा और स्वादिष्ट खाना मिलेगा. हालांकि, इन्हें इस समय अवधि में आलस और व्यसन से बचने की सलाह दी गई है. मीन राशि के जातकों को भी धन लाभ होगा. उनके वाहन, आवास, स्थायी संपत्ति के भी योग बन रहे हैं. इनके लिए मकर संक्रांति का समय अच्छा रहेगा.
चार राशियों के लिए बेहद शुभ रहेगी मकर संक्रांति
बताया जा रहा है कि इस साल चार राशियों के लिए मकर संक्रांति का पर्व बेहद शुभ होने वाला है. ये राशियां वृषभ, तुला, धनु और मीन हैं. यानी इन चार राशियों के जातकों के लिए अच्छी चीजें होंगी. ज्योतिषियों के अनुसार, वृषभ राशि वालों को संतान सुख, आवास, वाहन का उत्तम सुख मिलेगा. उनके मान सम्मान में भी इजाफा होगा.
मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: 14 जनवरी की रात 08 बजकर 49 मिनट पर
मकर संक्रांति का पुण्य काल: 15 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
मकर संक्रांति पर जपे सूर्य मंत्र
मकर संक्रांति पर सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है. इस दिन सभी तरह के शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो जाते हैं. ऐसे में इस दिन गंगा स्नान, दान और सूर्य उपासना जरूर करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्यदेव को ॐ सूर्याय नम:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः, ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: का जाप करते हुए अर्घ्य दें.