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शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा पुण्य काल
आज भगवान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर गये है. आज पुण्य काल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
मकर संक्रांति पर होता है पुण्य काल का विशेष महत्व
मकर संक्रांति पर पुण्य काल का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि पुण्य काल में पूजा और दान करने से मकर संक्रांति का पूर्ण लाभ मिलता है. मकर संक्रांति आज भगवान सूर्य सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्यास्त तक बना रहेगा.
इस दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी
मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था. तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी. इस दिन से खिचड़ी खाने और बनाने का रिवाज चला आ रहा है. खिचड़ी को पौष्टिक आहार के रूप में भी ग्रहण किया जाता है.
क्यों उड़ाते हैं इस दिन पतंग
मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में जाते ही शुभ समय की शुरुआत हो जाती है. इसलिए लोग शुभता की शुरुआत का जश्न पतंग उड़ाकर मनाते हैं. इस दिन आसमान में रंग बिरंगी पतंगे लहराती हुई नजर आती हैं. कई जगहों पर पतंग उड़ाने की प्रतियोगताएं भी आयोजित की जाती है.
सूर्यदेव को इस सामग्री से करें पूजा
सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है. पूजा के उपरांत लोग अपनी इच्छा से दान-दक्षिणा करते हैं. वहीं, इस दिन खिचड़ी का दान करना भी विशेष महत्व रखता है.
37 साल बाद इस योग में स्नान करेंगे श्रद्धालु
दान-पुण्य और स्नान का पर्व मकर संक्रांति है. इस बार मकर संक्राति पर पंचग्रही योग बना है. ज्योतिष के अनुसार यह योग 37 साल बाद बना है. श्रद्धालु 37 साल बाद इस योग में पुण्य की डुबकी लगाएंगे. आज श्रद्धालु घाट किनारे स्नान कर पूजा-अर्चना, अंजलि से ही सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके बाद गंगापुत्र घाटियों के यहां तिलक-चंदन लगवाएंगे और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देंगे. वहीं, खिचड़ी के साथ ही पूछ पकड़कर गोदान भी करेंगे. मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही सूर्य देव उत्तरायण हो जाएंगे.
जानें इस दिन की मान्यता
इस दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और पावन नदियों में स्नान कर दान करते हैं. मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है.
कब तक रहेगा पुण्य काल
आज भगवान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर गये है. आज पुण्य काल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
आपके राज्य में किस नाम से मनाया जाता है मकर संक्रांति
हरियाणा, पंजाब व दिल्ली के कुछ स्थानों में लोहड़ी,
उत्तराखंड में उत्तरायणी,
गुजरात में उत्तरायण,
केरल में पोंगल,
गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति
झारखंड, बिहार, बंगाल में मकर संक्रांति के नाम से प्रसिद्ध है यह त्योहार
आज भूल कर भी न भूलें ये काम
मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू हो चुका है. यह मुहूर्त सूर्यास्त तक बना रहेगा. ऐसे में इस बीच स्नान से लेकर पूजा-पाठ तक का निपटा ले काम और आज दान करना न भूलें. कहा जाता है कि इसका विशेष महत्व है. इससे बरकत होती है.
तिल के दान का खास महत्व
मकर संक्रांति पर तिल के दान का खास महत्व होता है. इस दिन ब्राह्माणों को तिल से बनी चीजों का दान करना सबसे अधिक पुण्यकारी माना जाता है. वहीं, इस दिन भगवान विष्णु, सूर्य और शनिदेव की भी तिल से पूजा की जाती है. मान्यता है कि शनि देवता ने अपने क्रोधित पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से ही की थी, जिससे सूर्य देव प्रसन्न हो गए थे.
शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना होता है शुभ
मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व होता है. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है.
आज इस पकवान का है खास महत्व
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है. इन सभी पकवान से ही भोग लगाया जाता है और दान किया जाता है. यह भी कहा जाता है कि इस समय मौसम में काफी सर्दी होती है, तो तिल और गुड़ से बने लड्डू खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है.
जानें क्या है मान्यता...
इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और पावन नदियों में स्नान कर दान करते हैं. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है.
स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त
आज मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य देव सुबह 8 बजकर 30 मिनट यानी साढ़े 8 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी. आज सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा पुण्य काल का समय रहेगा. हालांकि, महापुण्य काल प्रात: काल में ही रहेगा. माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
पवित्र नदियों में स्नान करने का है विशेष महत्व
आज मकर संक्रांति है. इस मौके पर पवित्र नदियों में स्नान करके दान करने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से पुण्य मिलता है.
आज स्नान-दान करने के लिए शुभ समय
आज मकर संक्रांति हैं. इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है. आज स्नान दान के लिए पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो सूर्यास्त तक रहेगा.
आज स्नान-दान का है विशेष महत्व
आज मकर संक्रांति है. इस दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है. आज के दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित किया जाता है. मकर संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है.
इस कारण नहीं हो पाएंगी शादियां
खरमास की समाप्ति के बाद विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्त्त मिलने लगते है. परंतु इस बार स्थितियां कुछ अलग प्रकार की बन रही है. क्योंकि जहाँ 16 जनवरी को ही शुभफल प्रदायक ग्रह देव गुरु के पश्चिम दिशा में अस्त होकर एवं 12 फरवरी को उदित होंगे वही, सौभाग्य, सुख सम्पन्नता के कारक ग्रह शुक्र 17 फरवरी 2021 को पूर्व दिशा में अस्त हो जायेंगें जो 19 अप्रैल 2021 को पश्चिम दिशा में उदित होंगे. इस अवधि के बीच मे सूर्य देव का गोचरीय संचरण 14 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन राशि मे होने के कारण खरमास लगा रहेगा.
खरमास का समापन हो जाएगा
पौष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 14 जनवरी 2021 दिन गुरुवार को दिन में 2:03 बजे सूर्य देव का परिवर्तन अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में होगा. इसी के साथ खरमास का समापन हो जाएगा.
मकर संक्रांति का होगा ये असर
दुनिया के केंद्र में इस संक्रांति से हलचल मचने वाली है क्योंकि ये दक्षिण की तरफ बढ़ रही है. दुनिया भर में फैली महामारी में एक महीने के अंदर भारी गिरावट आएगी. ये संक्रांति कुछ मामलों में अच्छी तो कुछ मामलों में मुश्किल भरी रहेगी. खासतौर से शासक वर्ग के लिए ये मकर संक्रांति कई चुनौतियां लेकर आ रही है.
मकर संक्रांति का प्रभाव
इस संक्रांति के प्रभाव से देश में जितनी भी सफेद वस्तुएं हैं जैसे कि चावल, चांदी, दूध और शक्कर इनके दाम बढ़ सकते हैं. वहीं सोने के दाम में भी गिरावट आएगी. ये संक्रांति लोगों के मन में चिंता और डर पैदा करेगी. इस संक्रांति के कारण जो भी सरकार केंद्र या राज्य में है उसके प्रति लोगों का रोष बढ़ेगा.
ज्योतिष में मकर संक्रांति का महत्व
ज्योतिष में मकर संक्रांति को देवी के रूप में माना जाता है और इनके स्वरूप पर बहुत कुछ निर्भर करता है. जैसे कि संक्रांति किस वाहन पर बैठकर आएगी और इसका शस्त्र क्या होगा. उसने क्या कपड़े पहने होंगे. उसका मुख किस तरफ होगा, वो क्या भोजन करेगी और वो किस दिशा से आएगी.
भक्तों को लाना होगा COVID-19 नेगेटिव रिपोर्ट
माघ मेला के आयोजकों में से एक राजेश कुमार ने कहा कि मेले को अच्छे से संचालित करने में प्रशासन हमारे साथ सहयोग कर रहा है. वे यहां सुचारू प्रक्रिया में मदद कर रहे हैं. भक्तों को अपने साथ एक COVID-19 की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ आने के लिए कहा गया है और अगर वे रिपोर्ट नहीं ले जाते हैं, तो उन्हें यहां टेस्ट किया जाएगा और उसके बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.
सबसे खास होती हैं चार संक्रांतिय़ां
साल में 12 संक्रांतियां होती हैं जिनमें से सबसे खास चार होती हैं. सबसे पहली मेष संक्रांति होती है. इसमें सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से ऋतु परिवर्तन होता है और गर्मी की शुरूआत होती है.
होता है ऋतु परिवर्तन
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेश करता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है.
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर में शिव के रूप बाबा गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाई जाती है
स्नान-दान और लोक कल्याण के पर्व मकर संक्रांति में दान का महत्व पूरे देश में है. उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी पर्व-महोत्सव इसी दिन मनाया जाता है. यहां कहा जाता है कि जिस अक्षय पात्र (खप्पर) में शिव के रूप बाबा गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाई जाती है.
मकर संक्रांति के दिन मनाए जाते हैं कई त्योहार
मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व भी मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर गुजरात लोग पतंगबाजी भी करते हैं. मकर संक्रांति को उत्तर भारत के कुछ इलाकों में खिचड़ी के पर्व के रूप में मनाते हैं। कई जगह खिचड़ी दान की जाती है तो कई जगह खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. वहीं दक्षिण भारत के तमिलनाडु व केरल में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं. पोंगल का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है.
पतंग उड़ाने का ये है फायदा
पतंग उड़ाने से दिमाग सदैव सक्रिय बना रहता है. इससे हाथ और गर्दन की मांसपेशियों में लचीलापन आता है. साथ ही मन-मस्तिष्क प्रसन्न रहता है क्योंकि इससे गुड हार्मोंस का बहाव बढ़ता है. पतंग उड़ाते समय आंखों की भी एक्सरसाइज होती है.
पतंग उड़ाने को लेकर ये है मान्यता
इसके अलावा पतंग उड़ाते समय व्यक्ति का शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आता है, जिससे उसे सर्दी से जुड़ी कई शारीरिक समस्याओं से निजात मिलने के साथ विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में मिलता. बता दें, विटामिन डी शरीर के लिए बेहद आवश्यक है जो शरीर के लिए जीवनदायिनी शक्ति की तरह काम करता है.
]क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, उत्तरायण में सूर्य की गर्मी शीत के प्रकोप व शीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती है. ऐसे में घर की छतों पर जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो सूरज की किरणें एक औषधि की तरह काम करती हैं.
मकर संक्रांति से जुड़े हैं कई वैज्ञानिक तथ्य
मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण का होता है, इस कारण इस समय सूर्य की किरणें व्यक्ति के लिए औषधि का काम करती हैं. सर्दी के मौसम में व्यक्ति के शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है. साथ ही त्वचा में भी रुखापन आने लगता है. ऐसे में छत पर खड़े होकर पतंग उड़ाने से इन समस्याओं से राहत मिलती है.
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है. आज के दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित किया जाता है. मकर संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है.
भगवान श्रीराम ने की थी पतंग उड़ाने की शुरुआत
पुराणों में उल्लेख है कि मकर संक्रांति पर पहली बार पतंग उड़ाने की परंपरा सबसे पहले भगवान श्रीराम ने शुरु की थी. तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार भगवान राम ने जो पतंग उड़ाई वह स्वर्गलोक में इंद्र के पास जा पहुंची थी.भगवान राम द्वारा शुरू की गई इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है.
दान का है विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन गरीबों को यथाशक्ति दान करना चाहिए. पवित्र नदियों में स्नान करें. इसके बाद खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है. इसके अलावा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है.
शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Dan Pun time)
भगवान सूर्य 14 जनवरी दिन गुरुवार की सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी. वहीं, दिन भर में पुण्य काल करीब शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. महापुण्य काल सुबह में ही रहेगा. माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
ये सामग्री दान करने की है मान्यता
सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है. पूजा के उपरांत लोग अपनी इच्छा से दान-दक्षिणा करते हैं. इस दिन खिचड़ी का दान भी विशेष महत्व रखता है.
ऐसे करें घर पर मकर संकांति की पूजा
- सुबह जल में गंगाजल, सुगंध, तिल, सर्वऔषधि मिलाकर स्नान करें. स्नान करने के दौरान गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु। इस मंत्र को पढ़े.
- भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान को तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, पीले फूल, हल्दी, चावल भेट करें. घी का दीप जलाएं और पूजन करें.
- इसके बाद सूर्यदेव को जल में गुड़ तिल मिलाकर अर्घ्य दें.
- जल में काले तिल, गुड़ डालकर पीपल को जल दें,
- जरूरतमंदों को तिल, गुड़, चावल, नमक, घी, धन, हल्दी जो भी भगवान को भेट किया वह दान कर दें.
- सूर्यपुराण, शनि स्तोत्र, आदित्यहृदय स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना लाभकारी रहेगा.
Posted by: Radheshyam Kushwaha