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नागा साधु बनने की क्या है प्रक्रिया, इस कठिन प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक

Naga Sadhu: सनातन धर्म में नागा साधु उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो अपने जीवन को प्रभु की भक्ति में समर्पित करते हैं और वस्त्र नहीं पहनते हैं. नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है. इस प्रकार के साधु बनने की प्रक्रिया को कठिन माना जाता है. इस लेख में हम नागा साधु बनने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे.

Naga Sadhu: सनातन धर्म में साधुओं और संतों का अत्यधिक महत्व है. साधु और संत अपने जीवन के दौरान प्रभु की भक्ति और साधना में लीन रहते हैं. इसके साथ ही, वे लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे लोग अपने जीवन में भक्ति की गहराई को समझ पाते हैं. साधुओं और संतों में नागा साधु भी शामिल होते हैं. नागा साधु बनने के लिए एक कठिन प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक होता है.

महाकुंभ के अवसर पर एक साधारण संन्यासी केवल घोर तपस्या के बाद ही नागा बनता है. नागा बनने की प्रक्रिया में वह शस्त्र और शास्त्र दोनों की गहन शिक्षा प्राप्त करता है. सभी 13 अखाड़ों में जूना अखाड़ा को सबसे प्रमुख माना जाता है. जूना अखाड़े में गृहस्थ जीवन को त्यागकर नागा संन्यासी बनना बहुत कठिन है. इसके लिए कई वर्षों का समर्पण आवश्यक होता है.

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नागा साधु बनने की प्रक्रिया

  • नागा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन मानी जाती है. यह प्रक्रिया अखाड़ों के माध्यम से संपन्न होती है, जहाँ समिति यह सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति साधु बनने के योग्य है या नहीं. यदि व्यक्ति योग्य पाया जाता है, तो उसे अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है.
  • इसके बाद, व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है. नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है. इस प्रक्रिया में 6 महीने से लेकर 1 वर्ष तक का समय लग सकता है. परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए साधक को 5 गुरु से दीक्षा लेनी होती है, जो शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश के रूप में जाने जाते हैं, जिन्हें पंच देव कहा जाता है.
  • व्यक्ति सांसारिक जीवन को त्याग कर अध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करते हैं और अपने आत्म का पिंडदान करते हैं. नागा साधु भिक्षा में प्राप्त भोजन का सेवन करते हैं. यदि किसी दिन साधु को भोजन नहीं मिलता है, तो उन्हें बिना भोजन के रहना पड़ता है.
  • नागा साधु हमेशा वस्त्र नहीं पहनते हैं, क्योंकि वस्त्र को आडंबर और सांसारिक जीवन का प्रतीक माना जाता है. इस कारणवश, वे अपने शरीर को ढकने के लिए भस्म का उपयोग करते हैं. एक महत्वपूर्ण बात यह है कि नागा साधु सोने के लिए बिस्तर का उपयोग नहीं करते हैं.
  • नागा साधु समाज के लोगों के सामने सिर नहीं झुकाते और न ही किसी की निंदा करते हैं. हालांकि, वे वरिष्ठ सन्यासियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सिर झुकाते हैं. जो व्यक्ति इन सभी नियमों का पालन करता है, वही नागा साधु बनता है.

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