Parivartini Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. हर माह दो एकादशी तिथि होती है. पहला कृष्ण पक्ष और दूसार शुक्ल पक्ष की. वहीं साल भर में कुल 24 एकादशी तिथि होती है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 25 और 26 सितंबर को रखा जाएगा. आइए ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से जानते है कि परिवर्तिनी एकादशी का व्रत दो दिन क्यों रखा जाएगा, और किस दिन रखना शुभ रहेगा, इसके साथ ही जानेंगे परिवर्तिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व…
इस साल परिवर्तिनी एकादशी के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं. इस साल परिवर्तिनी एकादशी का व्रत दो दिन होगा. पहला दिन गृहस्थों के लिए और दूसरा दिन वैष्णव लोगों के लिए होगा. परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से तीनों लोकों की पूजा का फल मिलता है, इसके साथ ही वाजपेय यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से पाप मिटते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपना करवट बदलते हैं. धार्मिक मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में होते हैं. भाद्रपद शुक्ल एकादशी तिथि को वे एक करवट से दूसरे करवट होते हैं. इस वजह से भाद्रपद शुक्ल एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं.
इस साल भाद्रपद शुक्ल एकादशी तिथि 25 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 07 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 26 सितंबर मंगलवार को सुबह 05 बजे होगा. उस दिन हरिवासर सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा. ऐसे में परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा, हालांकि 26 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत वैष्णव के लिए होगा.
इस बार परिवर्तिनी एकादशी 25 और 26 सितंबर को दो दिन पड़ रही है. पहले दिन सुकर्मा योग दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से है, जो अगले दिन भी होगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 25 सितंबर की सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. रवि योग सुबह 06 बजकर 11 मिनट से सुबह 11 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. द्विपुष्कर योग 26 सितंबर को 09 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर देर रात 01 बजकर 44 मिनट तक होगा. ये सभी शुभ योग आपके लिए कल्याणकारी हैं.
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परिवर्तिनी एकादशी की पूजा आप रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में कर सकते हैं, जो 25 सितंबर को प्रात:काल से लेकर पूरे दिन है. सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा पाठ करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी. पूजा के लिए राहुकाल वर्जित है.
परिवर्तिनी एकादशी का व्रत जो लोग 25 सितंबर को रखेंगे, वे 26 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी का पारण करेंगे. यह पारण हरिवासर के खत्म होने के बाद होगा. 26 तारीख को व्रत का पारण समय दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से 03 बजकर 49 मिनट तक है. इस समय में पारण कर लें. जो लोग 26 सितंबर को व्रत रखेंगे, वे अगले दिन 27 सितंबर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट के बीच पारण कर सकते हैं.