Peepal Tree: पीपल का वृक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है. इसे देवताओं का वासस्थान और सभी देवताओं का समागम स्थल भी कहा जाता है. इस विशाल वृक्ष की पूजा करने और इसकी जड़ों में जल चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. यह धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा सम्मिश्रण है.
मान्यता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है. इसलिए इसकी पूजा करने से सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा, पीपल के पेड़ को जल चढ़ाने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. कई लोग मानते हैं कि यह पेड़ कई प्रकार की बीमारियों और समस्याओं का निवारण भी करता है.
Kajari Teej 2024 : इस दिन है कजरी तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधान और कहानियां
जल चढ़ाने की प्रक्रिया में, पीपल के पेड़ की जड़ों में शुद्ध जल अर्पित किया जाता है. अक्सर जल में गुड़ और चने मिलाए जाते हैं. इस दौरान “ॐ खं खं” मंत्र का जाप किया जाता है. यह माना जाता है कि इन सामग्रियों और मंत्रों का विशेष महत्व है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पेड़ों के संपर्क में आने से मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति का मन शांत होता है. पीपल का वृक्ष भी एक विशाल प्राकृतिक ऑक्सीजन उत्पादक है, जो पर्यावरण की शुद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
हालांकि, पीपल के पेड़ की पूजा और जल चढ़ाने की परंपरा मुख्यतः आस्था और विश्वास पर आधारित है. यह एक सांस्कृतिक प्रथा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. कई लोगों के लिए, यह धार्मिक अनुष्ठान जीवन में संतुष्टि और आत्मिक शांति प्रदान करता है.
इसके साथ ही, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों का महत्व अहम है. पीपल के पेड़ को संरक्षित करना और उसकी पूजा करना, दोनों ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक हैं.
जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847