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पितृपक्ष इस दिन से शुरू, पितरों की कृपा पाने के लिए मिलेंगे 15 दिन, समर्पण से तर्पण दिलाएगी पितृ ऋण से मुक्ति

Pitru Paksha 2023: ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहते हैं. शास्त्रों में तीन ऋण बताये गये हैं- पितृ ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण. ये तीनों ऋण बहुत महत्व रखते हैं. मनुष्य लोक में पिता मृत्यु समय अपना सबकुछ पुत्र या पुत्री को सौंप देते हैं.

Pitru Paksha 2023: आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 30 सितंबर से पितरों को तिल, जौ से तर्पण किया जायेगा. कुंडली से पितृ दोष की शांति, पुरखों के आशीर्वाद, पितरों को तृप्ति के लिए पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान कर ब्राह्मण भोजन कराया जायेगा. इस बार पितृपक्ष में सभी तिथियां पूर्ण होने से पितरों की कृपा पाने के लिए पूरे 15 दिन मिलेंगे. मान्यता है कि पितरों को जब जल और तिल से पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है, तब उनकी आत्मा तृप्त होती है.

Pitru Paksha 2023: तीन पुरखों का होगा तर्पण

ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष में पिता, पितामह, प्रपितामह और मातृ पक्ष में माता, पितामही, प्रपितामही इसके अलावा नाना पक्ष में मातामह, प्रमातामह, वृद्धप्रमातामह वहीं नानी पक्ष में मातामही प्रमातामही, वृद्ध प्रमातामही के साथ-साथ अन्य सभी स्वर्गवासी सगे-संबंधियों का गोत्र एवं नाम लेकर तर्पण किया जायेगा.

Pitru Paksha 2023: समर्पण से तर्पण दिलायेगी पितृ ऋण से मुक्ति

ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहते हैं. शास्त्रों में तीन ऋण बताये गये हैं- पितृ ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण. ये तीनों ऋण बहुत महत्व रखते हैं. मनुष्य लोक में पिता मृत्यु समय अपना सबकुछ पुत्र या पुत्री को सौंप देते हैं. इसलिए संतान पर पितृ ऋण होता है. पितृपक्ष में अपने पितरों को श्रद्धासुमन अर्पित करना चाहिए. पितृपक्ष में जल और तिल से तर्पण करना चाहिए. इस दौरान किये गये श्राद्धकर्म और दान-तर्पण से पितरों को तृप्ति मिलती है.

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Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में तर्पण विधि

  • पितृपक्ष के समय प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए.

  • तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करें.

  • तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा मांगें.

  • पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने वाले लोग बरतें ये सावधानी

  • पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए जो भी श्राद्ध कर्म करते हैं

  • पितृपक्ष के दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए.

  • पितृपक्ष के दौरान घर पर सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए.

  • तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए.

यहां जानें श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां

  • 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- पूर्णिमा श्राद्ध

  • 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- प्रतिपदा श्राद्ध

  • 30 सितंबर 2023 दिन शनिवार- द्वितीया श्राद्ध

  • 01 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- तृतीया श्राद्ध

  • 02 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- चतुर्थी श्राद्ध

  • 03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार- पंचमी श्राद्ध

  • 04 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- षष्ठी श्राद्ध

  • 05 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- सप्तमी श्राद्ध

  • 06 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- अष्टमी श्राद्ध

  • 07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- नवमी श्राद्ध

  • 08 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- दशमी श्राद्ध

  • 09 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- एकादशी श्राद्ध

  • 11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- द्वादशी श्राद्ध

  • 12 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध

  • 13 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध

  • 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या

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किस तिथि को आपके पितर होंगे खुश?

अगर आपके पूर्वज आपसे नाराज हैं तो उनकी मृत्यु की तिथि के दिन श्राद्ध पक्ष में या किसी भी अमावस्या तिथि के दिन पिंडदान और तर्पण करने पर पितर जल्द प्रसन्न होते है. अब आप सोच रहे होंगे कि आपके पितर तिथि विशेष को ही क्यों खुश होंगे. तो बता दें कि जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस दिन की तिथि महत्वपूर्ण हो जाती है. क्योंकि पितृपक्ष में उस तिथि पर ही उस पितर के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है. पितृपक्ष की निश्चित तिथि पर अपने पितरों के लिए भोजन, दान, पंचबलि कर्म, तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं.

पितरों की तिथि याद न हो तो पितृपक्ष में कैसे करें श्राद्ध?

पितर की तिथि की जानकारी न हो तो आप पितृ पक्ष की अमावस्या यानि आश्विन अमावस्या को अपने पितर के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं. इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का पिंडदान करने का विधान है.

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पितृ दोष निवारण मंत्र

पितृ दोष निवारण मंत्र ‘ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः’, ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ये सभी मंत्र आपको पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में मदद करते हैं और यदि आप इन मंत्रों का जाप विधि-विधान से करते हैं तो पितरों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद मिलता है.

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