Premanand Ji Maharaj: चुगलखोरी की यह आदत वास्तव में एक नकारात्मक प्रवृत्ति है, इसमें कोई संदेह नहीं है. इसे सुधारने के लिए आप अपने समय को सकारात्मक कार्यों में व्यतीत कर सकते हैं. यह प्रश्न आज मेरे लिए फिर से महत्वपूर्ण हो गया, जब मैंने यात्रा करते समय एक महिला को लगातार इसी व्यवहार में लिप्त देखा. मेरे मन में यह विचार आया कि क्या जीवन में केवल एक-दूसरे की कमियों को उजागर करके ही हम संतोष प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, यह आदत हम सभी में पाई जाती है. लेकिन क्या हम इसे बदलने का प्रयास नहीं कर सकते? क्यों नहीं कर सकते? एक व्यक्ति ने वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज से इसके बारे में पूछा
प्रेमानंद महाराज ने युवक को बताया, कैसे बचें इस आदत से
प्रेमानंद महाराज से युवक से पूछा कि वो जहां भी 3-4 लोगों को देखता है, इधर उधर कि बातें करने लगता है. ये आदत उसकी बचपन से है. उसने कहा कि वो इस आदत को छोड़ना चाहता है, इसके लिए क्या करना होगा. इसपर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर आपको कोई समस्या है, तो उसका समाधान भी आपके पास ही है. उन्होंने कहा कि मौन धारण कर ले, और कोई बात करने आए तो लिखकर बात करे और कह दे कि वृंदावन वाले बाबा ने मौन दिलवा दिया है. इसके अलावा अगर कुछ कहने कि इच्छा हो तो कमरा बंद कर जोर जोर से राधे राधे का जाप करें.
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चुगली करने से कोई लाभ नहीं
कभी गंभीरता से विचार करें जब आप किसी के बारे में चुगली कर रहे हों. इससे आपको क्या लाभ होगा? और यदि कोई लाभ है, तो आप यह सोचें कि चुगली करने वाला व्यक्ति आपके बारे में क्या सोच रहा है. एक दिन वह भी कह सकता है कि यह व्यक्ति हमेशा मेरी चुगली करता है. इसलिए, यह आप पर निर्भर करता है कि क्या आप इस आदत को वास्तव में बदलना चाहते हैं. जब भी आपके मन में ऐसा कोई विचार आए, तो बस एक सकारात्मक शब्द कहकर उसे अपने मन में दोहराएं. देखिए, आपकी यह आदत अवश्य छूट जाएगी.