Saptahik Vrat Tyohar 26 February to 3 March 2024: फरवरी महीने का आखिरी सप्ताह है. यह सप्ताह व्रत त्योहार के लिहाज से बेहद खास है, इस सप्ताह संकष्टी चतुर्थी, जानकी जयंती समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार हैं. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी को रात 01 बजकर 53 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 29 फरवरी को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर तिथि समाप्त होगी.
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत कब है?
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत कब है?
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी दिन बुधवार के दिन किया जाएगा. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत रखने का विधान है, इस दिन चंद्रमा को खुश करने के लिए चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. यह व्रत बुधवार को पड़ रहा है, इसलिए चंद्रमा की पूजा बौद्धिक विकास के मार्ग को प्रशस्त करेगी. गणेश चतुर्थी का व्रत करने से जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होती है, इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से बुध ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.
जानकी जयंती कब है?
जानकी जयन्ती फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को दिन मनाई जाती है, जो इस साल 3 मार्च को मनाई जाएगी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन मिथिला नरेश राजा जनक की दुलारी सीता जी प्रकट हुई थी. जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन माता सीता की पूजा की जाती है. माता सीता को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है.
जानकी जयंती का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता सीता की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और शांति की प्राप्ति होती है, वहीं अगर वैवाहिक जीवन की कोई समस्या रहती है तो वह समाप्त हो जाती है.
जानकी जयंती व्रत पूजा विधि
स्नान के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं, और व्रत का संकल्प लें.
एक चौकी पर भगवान राम सीता की मूर्ति स्थापित करें.
भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें.
राजा जनक-सुनयना और पृथ्वी की भी पूजा करें.
जो भी चीजें संभव हों माता सीता को भेंट करें.
भगवान और सीता को भोग लगाएं.
शाम को माता सीता की आरती के साथ व्रत खोलें.
मिट्टी के बर्तन में धान, जल और अन्न भरकर दान करें.
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