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ये है देश के 12 ज्योतिर्लिंग, जानें उनकी मान्यताएं और खासियत

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थान उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक फैले हुए हैं. 12 ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थल उस विशेष क्षेत्र की पहचान स्थापित करते हैं.

ज्योतिर्लिंग या ज्योतिर्लिंगम भगवान शिव का एक भक्तिपूर्ण प्रतीक है. ज्योति शब्द का अर्थ है प्रकाश या चमक और लिंग का अर्थ है चिह्न या प्रतीक. ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का दीप्तिमान प्रतीक है. शिव महापुराण के अनुसार, भारत और नेपाल में 64 मूल ज्योतिर्लिंग मंदिरों का उल्लेख है, जिनमें से 12 सबसे पवित्र है और महा ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थान उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक फैले हुए हैं. 12 ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थल उस विशेष क्षेत्र की पहचान स्थापित करते हैं.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर को भारत में पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. मंदिर वास्तुकला की चालुक्य शैली में बनाया गया है. यह मंदिर गुजरात के काठियाड़ जिले में वेरावल के पास भारत के पश्चिमी कोने पर अरब महासागर के तट पर बनाया गया है. भारत के सभी ज्योतिर्लिंग मंदिरों में इसे सबसे पवित्र माना जाता है.

इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, विशेषकर महाशिवरात्रि के अवसर पर. ऐसा माना जाता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का निर्माण चंद्रमा (सोमनाथ) ने शुद्ध सोने से किया था. बाद में रावण ने चांदी से इसका नवीनीकरण कराया. इसके बाद इसे कृष्ण द्वारा चंदन से और अंत में भीमदेव द्वारा पत्थर से बनाया गया था. साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

मान्यता

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर आंध्रप्रदेश के दक्षिणी भाग में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है. मंदिर को श्री भ्रामराम्बा ज्योतिर्लिंग मंदिर भी कहा जाता है. शिव पुराण के अनुसार, मल्लिकार्जुन शिव और पार्वती दोनों का संयुक्त रूप है. मल्लिका शब्द देवी पार्वती का परिचय देता है और अर्जुन भगवान शिव को संदर्भित करता है.

मल्लिकार्जुन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. मंदिर का निर्माण 1234 ई के आसपास होयसल राजा वीर नरसिम्हा द्वारा किया गया था. यह मंदिर वास्तुकला की द्रविड़ शैली में बनाया गया है. मंदिर सुंदर वास्तुकला नक्काशी से चिह्नित है. मंदिर परिसर 2 हेक्टेयर में फैला है और इसमें चार गेटवे हैं, जिन्हें गोपुरम के नाम से जाना जाता है. मंदिर परिसर में कई हॉल भी हैं और सबसे उल्लेखनीय मुख मंडप हॉल है.

मान्यता

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल a आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में घने महाकाल जंगल में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी भारत में सात मुक्ति स्थलों में से है. वह स्थान जो मनुष्य को अनंत काल तक मुक्त कर सकता है. मध्य भारत के लोकप्रतिय ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर मंदिर को पांच वर्षीय लड़के श्रीकर द्वारा स्थापित किया गया था जो उज्जैल के राजा चंद्रसेन की भक्ति से प्रेरित था.

मंदिर में एकमात्र स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है, जिसकी परिष्कृत उर्जा है. महाकाल दो शब्दों महा (भगवान शिव का गुण) और काल (समय) से मिलकर बना है. भगवान शिव का गुण काल से भी बड़ा माना जाता है और नश्वरता और समय का सिद्धांत उन्हें प्रभावित नहीं करता है. इस मंदिर का मुख्य आकर्षण इसकी भस्म आरती है, जो सुबह में किया जाने वाला पहला अनुष्ठान है जिसके दौरान शिवलिंग को चिता से ली गयी राख से स्नान कराया जाता है. दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु विशेष रूप से सावन के महीने और नागपंचमी पर इस मंदिर में आते हैं.

मान्यता

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है और मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी में शिवपुरी नामक एक द्वीप पर स्थित है. ओंकारेश्वर मंदिर एक सुंदर तीन मंजिला निर्माण है जो उत्कीर्ण ग्रेनाइट पत्थर से बने बड़े स्तंभों से बना है. लोगों का मानना है कि एक बाद देवों और दानवों के बीच युद्ध हुआ था और देवताओं ने भगवान शिव से जीत की प्रार्थना की थी. प्रार्थना से संतुष्ट होकर भगवान शिव ओंकारेश्वर के रूप से प्रकट हुए और देवतओं को बुराइयों पर विजय प्राप्त करने में मदद की.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

मान्यता

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योति

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर को वैद्यनाथ या बैजनाथ के नाम से भी जाना जाता है. यह झारखंड क संताल परगना क्षेत्र के देवघर में स्थित है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर भारत में सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे बाबाधाम के नाम से भी जाना जाता है. सभी शिव ज्योतिर्लिंग स्थलों में बैद्यनाथ धाम का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मंदिर परिसर में बाबा बैद्यनाथ का मुख्य मंदिर और अन्य 21 मंदिर शामिल हैं.

बैद्यनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण साल 1596 में राजा पूरन मल द्वारा किया गया था, जो गिद्दौर के महाराजा के पूर्वज थे. मंदिर परिसर में 22 मंदिर हैं. साथ ही मंदिर परिसर के केंद्र में बाबा मंदिर है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में हर साल श्रावण मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं. कई श्रद्धालु देवघर मंदिर में 105 किलोमीटर दूर सुलतानगंज से उत्तर वाहिनी गंगा से गंगाजल को कांवर में रखते हैं और इस कांवर को अपने कंधे पर लेकर बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को गंगा जल चढ़ाने के लिए देवघर आते हैं.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर पुणे महाराष्ट्र के सह्याद्री क्षेत्र में स्थित है. यह भीमा नदी के तट पर स्थित है और इस नदी का स्रोत माना जाता है. द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम के अनुसार, भीमाशंकर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठा ज्योतिर्लिंग है. भीमाशंकर मंदिर में नागर वास्तुकला पैटर्न है, जो वास्तुकला की मराठा शैली से संबंधित है. अपने धार्मिक महत्व के अलावा यह क्षेत्र कई शानदार दृश्य भी प्रस्तुत करता है.

नाना फडणनीस ने 18वीं शताब्दी में भीमाशंकर मंदिर बनवाया था. मंदिर अपनी नागर वास्तुकला शैली में राजस्थानी और गुजराती प्रभावों का एक सुंदर समामेलन है. मंदिर की बाहरी दीवारें शिव लीला, कृष्ण लीला , रामायण और महाभारत के दृश्यों को दर्शाती हैं. महाशिवरात्रि के दौरान हजारों भक्त यहां आते हैं. भीमाशंकर मंदिर जाने वाले भक्त पास में स्थित कमलाजा मंदिर-पार्वती का एक अवतार भी देखने आते हैं. यह भारत का सबसे लोकप्रिय ज्योतिर्लिंगों में से एक है.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर 12ज्योतिर्लिंगों में सबसे दक्षिण तमिलनाडु के सेतु तट रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है. मंदिर समुद्र से घिरा हुआ है और इसकी सुंदर वास्तुकला और सजाये गये गलियारे देखने लायक हैं. मंदिर का भारत के सभी हिंदू मंदिरों में सबसे लंबा गलियारा है. रामेश्वरम द्वीप में और आसपास 64 तीर्थ हैं, उनमें से 24 महत्वपूर्ण हैं. 22 तीर्थ रामनाथस्वामी मंदिर के भीतर है. यह ज्योतिर्लिंग रामायण औश्र राम की श्रीलंका से विजय वापसी के साथ जुड़ा हुआ है.

मंदिर का विस्तार 12वीं शताब्दी के दौरान पांड्य राजवंश द्वारा किया गया था और इनके प्रमुख मंदिरों के गर्भगृह का जीर्णोद्धार जयवीरा सिंकैरियान और जाफना साम्राज्य के उनके उत्तराधिकारी गुणवीरा सिंकैरियान द्वारा किया गया था. दक्षिण के वाराणसी के रूप में लोकप्रिय रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले पवित्र स्थानों में से एक है. यह भी हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, जिसे नागनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. गुजरात में सौराष्ट्र के तट पर गोमती द्वारका और बैत द्वारका द्वीप के बीच मार्ग पर स्थित है. मंदिर गुलाबी पत्थरों से बनाया गया है और मूर्ति दक्षिणामूर्ति है. भगवान शिव की 25 मीटर ऊंची प्रतिमा बड़ा बगीचा और नीला अरब सागर के अबाधित दृश्य भक्तों और आगंतुकों को आकर्षित करते हैं. मंदिर की निर्माण तिथि है, लेकिन वर्तमान में मंदिर का जीर्णोद्वार 1996 में स्वर्गीय गुलशन कुमार द्वारा किया गया था. हर साल हजारों तीर्थयात्री भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर आते हैं. जिनकी यहां नागदेव के रूप में पूजा की जाती है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत में सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो सभी प्रकार के जहरों का संरक्षण का प्रतीक है.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर विश्व के सर्वाधिक पूजनीय स्थल काशी में स्थित है. यह पवित्र शहर बनारस की भीड़भाड़ वाली गलियों के बीच में स्थित है. मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण मराठा शासक महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्ष 1780 में किया था. हाल ही में 2021 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से मंदिर के प्रांगण में अतिक्रमण को हटा दिया गया है. मंदिा की मीनारें सोने की परत चढ़ी हुई है, जिसके ऊपर एक सुनहरी छतरी है. मकर संक्रांति, कार्तिक पूर्णिमा, शिवरात्रि, महाशिवरात्रि देव दिवाली और अन्नाकूट के त्योहारों के दौरान दुनिया भी से कई तीर्थ यात्री काशी में इक्ट्ठा होते हैं.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महाराष्ट्र में नासिक से लगभग 30 किलोमीटर दूर गोदावरी नदी से ब्रह्मगिरी नामक पर्वत के पास स्थित है. मंदिर परिसर में कुसावर्त कुंड(पवित्र तालाब) श्रीमंत सरदार राव साहेब पारनेकर द्वारा निर्मित जो इंदौर राज्य के फडणनवीस थे. गोदावरी नदी का स्रोत माना जाताहै और जिसे गौतमी गंगा के रूप में भी जाना जाता है जो दक्षिण भारत की सबसे पवित्र नदी है. त्र्यंबकेश्वर एक प्रमुख आध्यात्मिक महत्व रखता है.

क्योंकि यह उन चार हिंदू शहरों में से है जहां हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. मंदिर का आकार बहुत ही अनोखा है. यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. वर्तमान मंदिर पेशवा बालाजी राव द्वारा बनाया गया था और तीन पहाड़ियों अर्थात ब्रह्मगिरी नीलगिरी और कलागिरी के बीच स्थित है. भारत में अन्य 12 ज्योतिर्लिंगों के विपरीत यहां स्थित ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता इसके तीन चेहरे हैं जो भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रुद्र के अवतार हैं. यह स्थान मानसून के मौसम में अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. अंजनेरी पर्वत भगवान हनुमान का जन्मस्थान त्र्यंबकेश्वर से सात किलोमीटर दूर है.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर उत्तराखंड राज्य में 11755 फीट(3583 मीटर) की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के पास गढवाल हिमालय शृंखला पर स्थित है. यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है. प्राचीन साहित्य में मंदिर के निर्माण के बारे में कोई खास उल्लेख नहीं है, ऐसा माना जाता है कि यह तीन हजार साल पुराना है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है. अत्यधिक ठंड के मौसम और बर्फबारी के कारण मंदिर सर्दियों के दौरान छह महीने के लिए बंद रहता है और सिर्फ अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है.

केदारनाथ के रास्ते में तीर्थयात्री पवित्र जल लेने के लिए पहले गंगोत्री औश्र यमुनोत्री जाते हैं जो वे केदारनाथ शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. सर्दियों के दौरान केदारनाथ मंदिर से विग्रह(देवता) को ऊखीमठ ले जाया जाता है जहां सर्दियों के महीनों में देवता की पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख के महीने के दौरान मूर्ति को केदारनाथ मंदिर में लाया जाता है जिसके दौरान मंदिर तीर्थ यात्रियों के लिए खोला जाता है. लिंगम के रूप में केदारनाथ की पीठासीन छवि अनियमित आकार कीहै, जिसकी परिधि 3.6 मीटर(12 फीट) और ऊंचाई 3.6 मीटर(12 फीट) है.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जिसे घृणेश्वर या घुश्मेश्वर नाम से भी जाना जाता है. वेरुल नामक एक गांव में स्थित है. जो महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास दौलताबाद से 20 किमी दूर है. यह भारत का 12वां ज्योतिर्लिंग है. इसे वर्तमान स्वरूप में 18वीं शताब्दी में इंदौर कीरानी अहिल्याबाई होल्कर ने फिर से बनवाया था. मंदिर का निर्माण लाल और काले पत्थरों से शानदार ढंग से किया गया है.

मंदिर में पांच मंजिला शिखर शैली का निर्माण है जो वास्तुकला की पर्वत शिखर शैली है. यह 240 फीट*185 फीट का मंदिर भारत का सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग मंदिर है. घृष्णेश्वर मंदिर को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जैसे कुसुमेश्वर, घुश्मेश्वर, ग्रुश्मेस्वर और ग्रिश्नेस्वर.

मान्यता :

साल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गयी.

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