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Navratri 2021 Day 2: नवरात्र के दूसरे द‍िन होगा मां ब्रह्मचार‍िणी पूजन,यहां देखें पूजा विधि, कथा,मंत्र और आरती

Shardiya Navratri 2021 Day 2, Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Timings, Mantra, Muhurat, Aarti: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.तो आइए जानते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, पढ़ें आरती, मंत्र कथा

Shardiya Navratri 2021 Day 2, Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Timings, Mantra, Muhurat, Aarti: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माता के इस अवतार का अर्थ तप का आचरण करने वाली देवी होता है. इनके हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप करने वाली. मां के इस रूप की उपासना करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी के लिए तपस्या करता है उसके अंदर संयम, त्याग, वैराग्य और सदाचार की उन्नति होती है. तो आइए जानते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, पढ़ें आरती, मंत्र कथा

ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा विधि

देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें.

मां ब्रह्मचारिणी का भोग:

कई जगह कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी को पिस्ते की मिठाई बेहद पसंद है तो उन्हें इसी का भोग लगाएं. वहीं, मां को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है. ऐसे में पूजा के दौरान इनसे बनी फूलों की माला को मां के चरणों में अर्पित करें. वहीं, कई जगह यह भी कहा जाता है कि मां को चीनी, मिश्री और पंचामृत बेहद पसंद है, तो मां को इसका भोग लगाएं. ऐसा करने से मां प्रसन्न हो जाती हैं.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

मां ब्रह्मचारिणी की आरती:

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

Posted By: Shaurya Punj

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