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सोम प्रदोष व्रत के दिन करें महादेव के इन मंत्रों का जाप, मिलेगा शुभ फल

Som pradosh 2025: सोम प्रदोष का व्रत, 27 जनवरी को रखा जाएगा, जो विशेष रूप से भगवान शिव का दिन है,इस दिन महामृत्युंजय, शिव गायत्री, पंचाक्षरी जैसे मंत्रों का जाप करना शुभ होता है,प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर कुछ चीजें चढ़ाना मना है, यह व्रत दोषों से मुक्ति और भगवान शिव के कृपा बनाये रखने के लिए किया जाता है.

Som Pradosh Vrat 2025:भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत की मान्यता कई अधिक है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति को हर प्रकार के दोषों से निवारण मिलता है. महादेव अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और श्रद्धा भाव से प्रसन्न होने वाले देव हैं, ऐसे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति प्रदोष का व्रत अपने सच्चे भाव से करेगा उसे शिव जी की विशेष वरदान प्राप्त होती है.

क्यों सोम प्रदोष का व्रत रखना फल दायक होता है?

धर्मिक परंपरा के अनुसार प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन शिव पुराण में किया गया है. वहीं प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोषकाल में करना शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा करते समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना भी शुभ होता है. इन मंत्रों के जाप से शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं.

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किस दिन रखा जाएगा सोम प्रदोष 2025 का व्रत?

som pradosh vrat 2025:माघ माह के कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत 27 जनवरी 2025 को रखा जाएगा. इस दिन सोमवार पड़ रहा है इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. क्योंकि त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 26 जनवरी को रात 8 बजकर 54 मिनट से होगी. साथ ही, इस तिथि का समापन 27 जनवरी को रात को 8 बजकर 34 मिनट पर होगा. वहीं प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त- 27 जनवरी को शाम 5 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 8 बजकर मिनट तक समपन होगा.

शिवलिंग पर ना चढ़ाएं ये चीजें?

प्रदोष व्रत के दिन पूजा करते समय शिवलिंग पर ऐसी कोई चीजें ना चढ़ाएं जिससे की आपकी पूजा भंग हो जाए. साथ ही शिवलिंग पर सिंदूर, हल्दी, केतकी के फूल या नारियल का चढ़ावा न चढ़ाए , इसके साथ ही शिव जी को टूटे हुए चावल, तुलसी की पत्तियां भी नहीं अर्पित करना चाहिए.

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सोम प्रदोष के दिन करें इन मंत्रों का जाप?

महामृत्युंजय मंत्रः सोम प्रदोष व्रत की पूजा में महामृत्युंजय मंत्र को बहुत प्रभावशाली माना जाता है.इस पूजा में मंत्र को रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए,इसे प्राणरक्षक और महामोक्ष मंत्र भी कहा जाता है. इसे कुश आसन पर बैठकर जाप करें.

ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः, ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्‌

उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्‌, ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

शिव गायत्री मंत्रः यह भी भगवान शिव का मंत्र है, इसे प्रदोष व्रत के साथ नियमित पूजा में भी जाप कर सकते हैं,साथ ही जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प योग, राहु केतु और शनि पीड़ा दे रहा है, उन लोगों को इस मंत्र को जपना फलदायक होता है.

ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्

क्षमायाचना मंत्रः महादेव की पूजा के बाद क्षमा याचना मंत्र अवश्य पढें, इससे पूजा में हुई गलतियों का दोष नहीं लगता, साथ ही भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो

पंचाक्षरी मंत्रः यह सबसे लोकप्रिय शिव मंत्र है.यह भगवान शिव के पंच तत्व बोध, उनकी पांच तत्वों पर सार्वभौमिक एकता को दर्शाता है. ऐसी मान्यता है की इसमें मानसिक बीमारियों को दूर रखने का चिकित्सीय गुण मंत्र है.

1.ॐ नमः शिवाय
2.ऊँ आशुतोषाय नमः
3.ऊँ सों सोमाय नमः
4.ऊँ नमो धनदाय स्वाहा
5.ऊँ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ऊँ

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ऊँ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊँ
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमःऊँ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधन

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