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Surya Grahan 2025: नए साल में इस दिन लगेगा पहला सूर्यग्रहण, विशेष संयोग भी बनेगा

Surya Grahan 2025: नया वर्ष निकट है. लोग नए वर्ष के उत्सव को मनाने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं. इसके साथ ही, लोग नए वर्ष में आने वाले त्योहारों, पर्वों और घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं. लोगों के मन में यह जानने की जिज्ञासा भी होती है कि आगामी सूर्य ग्रहण कब होगा और चंद्र ग्रहण का प्रभाव कितना रहेगा. आइए, सूर्य ग्रहण की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें.

Grahan 2025 :  ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का अत्यधिक महत्व होता है. अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होता है, जबकि पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होता है. ग्रहण के समय राहु का प्रभाव पृथ्वी पर अधिक हो जाता है. राहु और केतु को मायावी ग्रह माना जाता है. इस कारण ग्रहण के दौरान मांगलिक कार्य करने से मना किया जाता है. इसके अतिरिक्त, ग्रहण के समय खानपान से भी बचने की सलाह दी जाती है. लापरवाही बरतने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

इस दिन लगेगा साल 2025 का पहला सूर्यग्रहण

नासा की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 का पहला सूर्यग्रहण 29 मार्च को होगा. यह ग्रहण सुबह 8:50 बजे प्रारंभ होगा और दोपहर 12:43 बजे समाप्त होगा. यह एक आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जिसे एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के कुछ क्षेत्रों और उत्तर-दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा. हालांकि, यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. आंशिक सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में नहीं होते, जिससे चंद्रमा केवल सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है.

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ग्रहण काल – दोपहर 2:21 बजे से 6:16 बजे तक (कुल समय – 3 घंटे 53 मिनट)

ग्रहण का मध्यकाल – दोपहर 4:17 बजे

ग्रहण कहां देखा जा सकेगा – यूरोप, उत्तरी एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, आंशिक उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, उत्तरी ध्रुव.

भारत में यह ग्रहण दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा.

बनेगा ये विशेष संयोग

इस अवधि में मीन राशि और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में ग्रहों का एक विशेष संयोग उत्पन्न होगा. इस दिन मीन राशि में सूर्य और राहु के साथ-साथ शुक्र, बुध और चंद्रमा भी उपस्थित रहेंगे. इसके परिणामस्वरूप द्वादश भाव में शनि का स्थान होगा. तीसरे भाव में वृषभ राशि में बृहस्पति, चौथे भाव में मिथुन राशि में मंगल और सप्तम भाव में कन्या राशि में केतु की स्थिति होगी. पांच ग्रहों के एक साथ प्रभाव के कारण इस ग्रहण का राशियों पर गहरा असर देखने को मिल सकता है.

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