Vastu Tips for Puja Room: घर का मंदिर एक अत्यंत पवित्र स्थान है, जहाँ हम ईश्वर की आराधना करते हैं. वास्तु शास्त्र घर के निर्माण और विभिन्न कमरों के स्थान के संबंध में नियमों का निर्धारण करता है, जिसमें यह भी बताया गया है कि घर के मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए. यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर स्थापित किया जाए, तो यह निवासियों के लिए सुख, शांति और समृद्धि का संचार करता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक दिशा का विशेष महत्व और ब्रह्मांडीय ऊर्जा होती है. उदाहरण के लिए, उत्तर दिशा धन और सफलता का प्रतीक है, जबकि दक्षिण दिशा स्वास्थ्य और दीर्घायु का संकेत देती है.
इस दिशा में पूजा स्थल का निर्माण करें
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर का स्थान हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. इस दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है, जहाँ ऊर्जा का संचय होता है. इसे देव दिशा के रूप में भी जाना जाता है. इसलिए, आपके घर का मंदिर इस दिशा में होना आवश्यक है. यदि ईशान कोण में मंदिर बनाना संभव न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण कराना उचित रहेगा.
पूजा घर के लिए उपयुक्त रंग
वास्तु के अनुसार, पूजा कक्ष एक शांतिपूर्ण स्थान होना चाहिए, इसलिए इसके रंग भी शांति प्रदान करने वाले होने चाहिए. पूजा घर में सफेद, पीला, हल्का नीला, और नारंगी जैसे रंगों का चयन किया जा सकता है.
पूजा स्थल का स्थान
घर में मंदिर बनाते समय यह सुनिश्चित करें कि यह रसोई या बाथरूम के निकट न हो और न ही उनसे सटा हो. ऐसा होने पर इसे वास्तु विज्ञान के अनुसार अनुकूल नहीं माना जाता है. इसके अलावा, बेडरूम में भी पूजा स्थल का निर्माण नहीं करना चाहिए.