Vinayak Chaturthi 2024: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 मई को पड़ रही है . इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत रखा जाता है. गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करने के बाद उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है , क्योंकि मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है. यदि आप भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी को मोदक का भोग अवश्य लगाएं. इससे आपके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी और घर में सुख-शांति का वास रहेगा.
गणपति बप्पा के प्रिय भोग
विनायक चतुर्थी का पर्व बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश जी को समर्पित है. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा करें और उन्हें प्रिय चीजों का भोग लगाएं. अगर आप गणपति बप्पा को प्रसन्न करना चाहते हैं,तो उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं. गणेशजी को लड्डू भी बहुत पसंद है. आप मोतीचूर,नारियल ,बेसन या मखाने के लड्डू, खीर, फल और मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं.
विनायक चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
दैनिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 मई को सुबह 02 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और 12 मई को सुबह 02 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में विनायक चतुर्थी का पर्व 11 मई को मनाया जाएगा.
विनायक चतुर्थी पर क्या करें?
भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए सबसे पहले अपने घर की साफ सफाई की जाती है ओर प्रसन्न मन से भगवान की मूर्ति का स्वागत किया जाता है . मूर्ति को एक ऊंचे मंच पर रखा जाता है और दूर्वा घास, फूल, और मोदक चढ़ाया जाता है . प्रार्थनाएं और मंत्र पढ़े जाते हैं, और पद्य समर्पण और पंचामृत स्नान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं.
पूजा विधि
- विनायक चतुर्थी का दिन भगवान श्री गणेश जी को समर्पित है.
- इस दिन स्नान कर के घर में चौकी लगाकर लाल या पीले रंग का साफ वस्त्र उसपर बिछाएं.
- अब गणेश भगवान को धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
- इस दौरान उन्हें दूर्वा और पीले फूल भी अर्पित करें.
- फिर गणेश जी के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें.
- इस दौरान गणेश जी के मंत्रों का जाप करें.
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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