Vinayak Chaturthi 2024: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है. यह दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को समर्पित है. पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. विनायक चतुर्थी का व्रत 10 जून दिन सोमवार को रखा जाएगा. यह पर्व हर मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. भगवान गणेश सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं. विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की पूजा करने पर धन वृद्धि और सुख-समृद्धि आती है.
शुभ योग में करें भगवान गणेश जी की पूजा
विनायक चतुर्थी पर शुभ योग का संयोग बन रहा हैं. इन शुभ योग में भगवान गणेश जी की पूजा करने पर कई गुना फल प्राप्त होता है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, ध्रुव योग और पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है. ध्रुव योग सूर्योदय से शाम 04 बजकर 48 मिनट तक है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सुबह 05 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 40 मिनट तक है. इस दिन पुष्य नक्षत्र सुबह से रात 10 बजकर 44 मिनट तक है. उसके बाद से अश्लेषा नक्षत्र लग जाएगा है. हालांकि जगह और शहर के अनुसार समय में अंतर रहेगा.
विनायक चतुर्थी तिथि
पंचांग के अनुसार 9 जून 2024 दिन रविवार को दोपहर 04 बजकर 12 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है. चतुर्थी तिथि की समाप्ति 10 जून 2024 दिन सोमवार को शाम 04 बजकर 46 मिनट पर होगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत सोमवार 10 जून 2024 दिन सोमवार को रखा जाएगा.
शुभ योग का बन रहा संयोग
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर ध्रुव योग बन रहा है. ध्रुव योग को शुभ होता हैं. इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है. इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहा है. वहीं विनायक चतुर्थी पर पुष्य नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति पर कोई गलत आरोप लगते हैं. वह झूठे कलंक का भागी बनता है. ऐसे में उस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है.
हर महीने पड़ती है दो चतुर्थी तिथि
पंचांग में हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं. वहीं साल में कुल 24 चतुर्थी तिथि आती है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. वहीं अमावस्या तिथि के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में विनायकी चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है.
विनायक चतुर्थी 2024 पूजा विधि
- विनायक चतुर्थी के दिन स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें.
- गणपति जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें.
- एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर गणपति जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
- जल से आचमन करें और आसन बिछाकर आप भी बैठ जाएं और पूजा आरंभ करें.
- इसके बाद गणपति जी को जल चढ़ाएं और फूल, माला चढ़ाने के साथ 11 जोड़े दूर्वा के चढ़ाएं.
- अब भगवान गणेश जी को सिंदूर, कुमकुम, रोली, अक्षत , पान आदि चढ़ा दें.
- भोग में मोदक, बूंदी के लड्डू या अपनी योग्यता अनुसार कोई मिठाई को भोग लगाएं और थोड़ा सा जल चढ़ाएं.
- घी का दीपक और धूप जलाकर अब गणेश चालीसा, मंत्र के बाद गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ कर लें.
- इसके बाद विधिवत आरती करें और अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें.