Vinayak Chaturthi 2025 Mantra Jaap: हर महीने शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से एक दिन पहले विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. इस शुभ दिन भगवान गणेश को अर्पित होता है साथ ही चतुर्थी का व्रत पूरी निष्ठा के साथ रखा जाता है, इस व्रत को करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है,साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है. ज्योतिष भी कारोबार और करियर में सफलता पाने और धैर्य के लिए भगवान गणेश की पूजा करने का सुझाव देते हैं, भगवान गणेश की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है, इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं,अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं,साथ ही पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए संतान गणेश स्तोत्र का पाठ करें.
विनायक चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्
ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्
ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा
वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम्
कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम्
विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम्
सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम्
गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,
चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम्
लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,
शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम्
गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,
सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम्
सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,
शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम्
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,
विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
संतान गणपति स्तोत्र नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्