साहिबगंज : प्रदेश की हेमंत सरकार की ओर से वीर शहीद बिरसा मुंडा के नाम से योजना चलाई जा रही है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत खाली जमीन पर फलदार पेड़ लगाये जाएंगे. इस योजना की शुरूआत किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से किया गया है. इसमें मनरेगा योजना को भी जोड़ा गया है.
जिले के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए झारखंड सरकार ने बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत वर्ष 2020 में की थी. इस योजना के तहत आम, अमरुद के साथ मिश्रित फल की बागवानी किया जाता है. इसमें आम और अमरुद अलावा नींबू की भी बागवानी की जाएगी. बीते वर्ष 2020-21 में 387 एकड़ भूमि में बागवानी किया गया था, जिसमे जिले के सभी प्रखंडों में लाभुकों का चयन करके बागवानी किया गया था.
वहीं इस वर्ष 500 एकड़ भूमि में बागवानी करने का लक्षय रखा गया है, ताकि ये ज्यादा से ज्यादा किसान फलदार पौधा के साथ साथ अपने खेतों में अनाज, सब्जी भी उपजाए, ताकि पौधा को पर्याप्त मात्रा में पानी व पौष्टिक तत्व मिल सके. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत जून जुलाई में पौधरोपण किया जाता है.
इसके लिए विभाग अभी से ही साईट सलेक्शन कर रही है. ताकि समय पर लक्ष्य के अनुसार शत प्रतिशत पौधरोपण कर सके. लाभुक बागवानी के लिए अपने प्रखंड क्षेत्र में आवेदन करके इस योजना का लाभ ले सकते हैं. कम से कम आधा एकड़ और ज्यादा से ज्यादा डेढ़ एकड़ वाले एक लाभुक को इसका लाभ दिया जाएगा. समूह में लेने वाले को 5 एकड़ भूमि तक में बागवानी करने का लाभ दिया जाता है.
बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत बीते वर्ष 2021-22 में जिले में लगभग 500 एकड़ परती जमीनों पर बागवानी करने का लक्ष्य रखा गया है, इस लक्ष्य को बढ़ाया भी जा सकता है. विभाग अभी से ही बागवानी करने के लिए लाभुकों का चयन करने में लगा हुआ है. डीआरडीए के पीओ विसंभर पटेल ने बताया कि बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लाभुकों का चयन अभी से ही किया जा रहा है ताकि जनवरी में लाभुक के भूमि में गड्डा करने का कार्य किया जा सके और तय समय पर पौधारोपण ज्यादा से ज्यादा किया जा सके.
श्री पटेल ने बताया कि बिरसा हरित ग्राम योजना के जरिए जमीन का सदुपयोग किया जाएगा. फलदार वृक्षों से जो फल आएंगे उसका निर्यात कर लाभुक का आमदनी को बढ़ेगा. यह योजना क्रन्तिकारी साबित होगी. इस योजना के तहत अच्छे नस्ल के आम के पौधे आम्रपाली, लेंगड़ा, मल्लिका सहित अन्य प्रजाति के आम लगाये जाएंगे और एल-49 व इलाहाबादी सफेदी प्रजाति के अमरुद के पौधे लगाए जाएंगे.
इसके चारों ओर इमारती लकड़ी का वृक्षारोपण की भी योजना है. इस योजना में पौधा के लिए गड्डा करने, पौधा लगाने, पौधा लाने का खर्च, खाद, मरम्मति, पानी, पटवन सभी का खर्च योजना के तहत किया जाता है, लाभुक खुद से करते है तो लाभुक को मजदूरी दिया जाता है. श्री पटेल ने यह भी बताया कि लाभुक पौधरोपण के बाद खुली जगह में सब्जी अनाज का उत्पादन पूरे वर्ष करें ताकि पौधा को बेहतर नमी, देखभाल, पौष्टिक आहार मिलेगा और जल्दी ही पौधा फल देने लगेगा.
बिरसा हरित ग्राम योजना किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए चलायी जा रही योजना है. इसमें फलदार वृक्ष लगाकर आनेवाले सालों में किसानों की आमदनी को बढ़ाया जाएगा. फलदार पौधे लगने से राज्य में भारी मात्रा में फलों का उत्पादन होगा और फलो का उचित दाम मिलेंगे.
अधिक से अधिक पौधा लगाने से वातावरण भी सही रहेगा. वृक्ष की लकड़ियां और इमारती लकड़ियों की आपूर्ती आसान हो जाएगी. स्थानीय स्तर पर काम की मांग में वृद्धि भी इस योजना से होगी. जिससे लोगो की आय बढ़ेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा. सभी फल लाभुक का होगा.
एक किसान को डेढ़ एकड़ भूमि पर ही भगवानी करने का लाभ दिया जाएगा. वही आम का पौधा लगाने के लिए 15 से 30 फीट की आपस में दूरी होनी चाहिए, आम्रपाली के लिए 15 फीट, मालदा लेंगड़ा आम के लिए 30 फीट की दोनों पेड़ के बीच होनी चाहिए. सबसे कम आधा एकड़ भूमि वाले लाभुकों को इसका लाभ दिया जाएगा. वहीं आम का पौधा 3 फीट से 5 फिट का ज्यादा बेहतर होता है.
बिरसा हरित ग्राम योजना में मनरेगा को भी जोड़ा गया है. लाभुक को बागवानी खेत में सिचाई करने में परेशानी न हो इसके लिए कुआं सहित अन्य चीजें विभाग द्वारा दिया जाता है, ताकि फलदार पौधा को समय समय पर सिचाई हो सके. खेत में मेड़ बंधाई, गड्डा खोदना, पौधा रोपण का सारा खर्च देती है.
सभी बीडीओ को निर्देश दिया गया है कि बिरसा हरित ग्राम योजना के लाभुकों का चयन करें, हमलोग पहले से ही लाभुक का चयन कर रहे है. जनवरी से गड्डा खोदने का कार्य करेंगे, वर्षा में पौधारोपण किया जाएगा. पिछले वर्ष लगाये गए पौधे काफी बेहतर स्तिथि में है.
पौधारोपण के साथ साथ खेती भी उस बगवानी वाली खेती में किसान करे ताकि फलदार पौधा को पानी सहित अन्य पौष्टिक तत्व मिलता रहेगा और पौधा का नियमित देखभाल होता रहेगा. दो तीन वर्ष बाद जो फल आएगा तो लाभुक का इस फल से आमदनी बढ़ेगी.
Posted By : Sameer Oraon