सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश. झारखंड के सरायकेला-खरसावां में 9 अप्रैल से 14 अप्रैल तक चड़क पूजा आयोजित की जायेगी. चड़क पूजा के दौरान पारंपरिक घट यात्रा (कलश यात्रा) निकाली जायेगी. खरसावां अंचल कार्यालय की ओर से इसकी तैयारी जोरों पर चल रही है. खरसावां में चड़क पूजा का आयोजन सरकारी खर्च से होता है. चड़क पूजा पर करीब 40 हजार रुपये खर्च होता है.
पांच दिवसीय होगी चड़क पूजा
9 से 14 अप्रैल तक चड़क पूजा का आयोजन किया जायेगा. नौ अप्रैल को रात साढ़े नौ बजे शुभ घट, 10 अप्रैल को शाम साढ़े सात बजे मथा घट, 10 अप्रैल को ही रात दस बजे दुर्गा मां की यात्रा घट, 11 अप्रैल शाम साढ़े सात बजे वृंदावनी, 12 अप्रैल शाम सात बजे शंकर जी का गरीया भार, 13 अप्रैल को रात्रि जागरण तथा 14 अप्रैल को अहले सुबह तीन बजे मां काली का कालिका घट निकालने के बाद विसर्जन किया जायेगा. बताया गया कि चड़क पूजा में निकलने वाले वृंदावनी घट रामगढ़ नदी से बाजारसाही के शिव मंदिर तक लाया जायेगा, जबकि अन्य पांच घटों को कुम्हार साही स्थित सोना नदी से बाजार साही स्थित शिव मंदिर पहुंचाया जायेगा.
सरकारी खर्च से होता है चड़क पूजा का आयोजन
खरसावां में चड़क पूजा का आयोजन सरकारी खर्च से होता है. जानकारी के अनुसार चड़क पूजा पर करीब 40 हजार रुपया खर्च होता है. जानकारी के अनुसार खरसावां में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य सरकार की ओर से सालाना 7.5 लाख की राशि उपलब्ध कराया जाता है. इनमें चड़क पूजा भी शामिल है.
राजा-रजवाड़े के समय से हो रही चड़क पूजा
चड़क पूजा का आयोजन राजा-रजवाड़े के समय से होता आ रहा है. चड़क पूजा को चैत्र पर्व का धार्मिक पहलू माना जाता है. चड़क पूजा के दौरान शुभ घट निकलने के बाद ही चैत्र पर्व आयोजित किया जाता है. मालूम हो कि आजादी से पूर्व राजा-रजवाड़े के समय चैत्र पर्व का आयोजन विशेष सरकारी कोष से होता था. 1947 में विभिन्न रियासतों के भारत गणराज्य में विलय के दौरान तत्कालीन राजा व सरकार के बीच हुए मर्जर एग्रीमेंट के बाद से ही चड़क पूजा समेत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन सरकारी खर्च से होता है.
हर वर्ष की तरह होगी चड़क पूजा
खरसावां के सीओ गौतम कुमार ने कहा कि हर वर्ष की तहत इस वर्ष भी चड़क पूजा का आयोजन किया जायेगा. चड़क पूजा के दौरान सदियों से चली आ रही परंपराओं का निर्वाह आस्था व भक्ति भाव के साथ किया जायेगा. सभी कार्यक्रम तय समय पर होंगे.