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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए डॉ जानुम सिंह सोय, इनके बारे में जानें

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पश्चिमी सिंहभूम के डॉ जानुम सिंह सोय को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. डॉ सोय को यह सम्मान ‘हो' भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए दिया गया. डॉ सोय ने आधुनिक 'हो' शिष्ट काव्य समेत छह पुस्तकें लिख चुके हैं.

सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश: पश्चिमी सिंहभूम के डॉ जानुम सिंह सोय को बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. डॉ जानुम सिंह सोय को झारखंड की ‘हो’ भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए यह सम्मान मिला. पिछले चार दशक से भी अधिक समय से इस भाषा पर काम कर रहे हैं.

‘हो’ भाषा पर छह किताबें लिख चुके हैं डॉ जानुम सिंह सोय

72 वर्षीय डॉ जानुम सिंह सोय हो भाषा पर छह किताबें भी लिख चुके हैं. जनजाति मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने डॉ जानुम सिंह सोय को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी है. लंबे समय तक कोल्हान विश्वविद्यालय में सेवा देने के बाद फिलहाल रिटायर हो चुके हैं. हिंदी विभाग में एचओडी भी रह चुके हैं. उन्होंने हो भाषा के अलावा हिंदी में भी कई उपलब्धि हासिल कर चुके हैं.

मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने की थी चर्चा

पिछले दिनों ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्मश्री डॉ जानुम सिंह सोय के बारे में जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि ‘हो’ भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में अपना जीवन लगाने वाले डॉ जानुम सिंह सोय को अब पूरा देश जान गया है.

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कोल्हान यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस पर डॉ जानुम सिंह सोय को देश का प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान किया था. वर्ष 2012 में कोल्हान विश्वविद्यालय से रिटायर होने वाले डॉ सोय घाटशिला कॉलेज के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं.

प्रभात खबर से की थी खास बातचीत

1950 को जन्मे डॉ सोय आधुनिक ‘हो’ शिष्ट काव्य समेत छह पुस्तकें लिख चुके हैं. पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा होने के बाद प्रभात खबर से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था हो भाषा के संरक्षण और संवर्धण का प्रयास निरंतर चलता रहेगा. उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में युवाओं को भी जुड़ने की अपील की.

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