खरसावां : केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (कोविड-19) का प्रभाव जनजातीय समुदाय में नगण्य है. इसके बावजूद मंत्रालय राज्यों में जनजातीय मामलों से संबंधित अधिकारियों के संपर्क में है और समुचित रूप से लगातार हालात का जायजा लेने का काम कर रहा है. श्री मुंडा ने कहा कि वह लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं और राज्यों से भी संपर्क कर आवश्यक कदम उठा रहे हैं.
प्रभात खबर प्रतिनिधि शचिंद्र कुमार दास से बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य व केंद्र शासित प्रदेश सरकारें आदिवासी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर सेवा प्रदाताओं (आशा, एएनएम आदि) के माध्यम से मेलजोल में दूरी, मॉस्क पहनने और हाथ धोने संबंधित जानकारी देने के लिए जागरुक कर रही है. बाहर से आने वाले आगंतुकों से कोरोना का संक्रमण जनजातीय समुदाय तक न पहुंचे, इसके लिए राज्य सरकारों के सहयोग से कारगर कदम उठाये गये हैं.
श्री मुंडा ने कहा कि शहरी क्षेत्रों के व्यापारियों का जनजाति क्षेत्र के साप्ताहिक हाट बाजार में आवागवान निषेध किया गया है. आशा कार्यकर्ताओं की मदद से विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में सफाई और स्वच्छता, सामाजिक दूरी अभ्यास आदि के बारे में जागरूकता पैदा करने का काम किया जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हालांकि स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाएं राज्य सरकार का विषय है, जनजातीय कार्य मंत्रालय अपने विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत राज्य सरकारों की मांग पर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए समय-समय पर धन उपलब्ध कराता है. इसके लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय अपनी स्कीम से प्रति वर्ष लगभग 500-600 करोड़ रुपये राज्य सरकारों को अनुदान के तौर पर प्रदान करता है.
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उन्होंने बताया कि इसके अलावा भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय लगभग 3000 करोड़ रुपये जनजाति समुदाय के लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के माध्यम से प्रति वर्ष खर्च करता है. उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य सरकारों से अभी चालू वित्तीय वर्ष में कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है.
फिर भी जनजातीय मंत्रालय राज्य सरकारों को अपनी प्रमुख स्कीमों में आवंटित फंड का 20 प्रतिशत (यानि लगभग 1000 करोड़) एड-हॉक अनुदान के तौर पर देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो इस महीने के प्रथम सप्ताह तक निर्गत कर दी जायेगी. इस अनुदान का उपयोग कोरोना संक्रमण से निपटने, स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी और आजीविका के साधन उपलब्ध कराने पर खर्च किया जायेगा.