नयी दिल्ली : कोरोना वायरस का खतरा है ऐहतियात है लॉकडाउन लेकिन इसमें भी सड़क पर बाहर भीड़ नजर आ रही है. कई राज्यों की सीमाओं पर भीड़ है मजदूरों की. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित कई ऐसे राज्य जिसके मजदूरों रोजी – रोटी की तलाश में दूसरे शहरों में काम करते हैं.
तमात फैक्ट्री और कारखाने बंद, मजदूर सड़क पर
लॉकडाउन में तमात तरह के कंपनी और फैक्ट्री बंद है. इसमें कई ऐसी कंपनियां हैं जो छोटे स्तर पर काम करती है जिसमें मजदूर भी काम करते हैं. लॉकडाउन हुआ तो काम पर जाना रूक गया. काम रूका तो आमद रूक गयी पैसे नहीं तो खाना नहीं, घर नहीं ऐसे में मजदूर सिर पर पोटली लेकर अपने परिवार के साथ पैदल ही अपने गांव अपने घर के लिए निकल पड़े. मजदूर पिछले चार दिनों से लगातार निकल रहे हैं. किसी तरह अपने गांव पहुंचने की कोशिश में कभी पैदल चल रहे हैं थक रहें हैं तो सड़क किनारे सुस्ता रहे हैं. दिल्ली सहित कई शहरों से मजदूरों का पलायन लगातार जारी है.
सोशल मीडिया पर उठ रही है आवाज
लॉकडाउन में आपके हाथों में मोबाइल है तो सोशल मीडिया पर ऐसे कई लोग हैं जो घर बैठे मजदूरों की आवाज बन रहे हैं. सोशल साइट पर मजदूरों की तस्वीरें शेयर की जा रही है. इनकी समस्या के साथ- साथ मांग है कि इनकी आवाज सुनी जाए.
सरकार क्या कर रही है
केंद्र और राज्य सरकार मजदूरों की मदद के लिए काम कर रही है लेकिन मजदूर इतने डरे हुए हैं कि वह किसी तरह अपने घर पहुंचना चाहते हैं. लॉकडाउन के चौथे दिन इस स्थिति को गंभीर होता देख गृह मंत्रालय ने सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि प्रवासी मजदूरों के रहने, खाने, कपड़े और इलाज का पुख्ता इंतजाम करें. गृहमंत्रालय ने इसके लिए राज्यों को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के लिए आवंटित की गई रकम का इस्तेमाल करने को कहा है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली के मुख्यंत्री अरविंद केजरीवाल से फोन पर बात की. बंगाल की मुख्यमंत्री ने केजरीवाल से फोन पर बात की. सीएम योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार की ओर से ट्वीट किया गया है कि मुख्यमंत्री ने अपील की है कि जो लोग जहां हैं वहीं रुकें, उनके लिए रहने खाने की व्यवस्था की जाएगी.
कई जगहों पर रोक कर भी लोगों के सेहत की जांच की जा रही है. कई लोगों को बसों से उनके राज्य, घर की तरफ भेजा जा रहा है. नीतीश कुमार ने कहा है कि दिल्ली से या कहीं और से लोगों को बुलाने से समस्या और बढ़ेगी. बिहार सरकार चाहती है कि जो जहां है वहीं उनके रहने खाने की व्यवस्था की जाए. बसों से लोगों को बुलाने से लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा