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झारखंड : बारिश होते ही पूर्वी सिंहभूम के कई गांवों के ग्रामीण घरों में हो जाते कैद, जानें कारण

पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जो बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाता है. यहां के ग्रामीणों को संपर्क अन्य गांवों से कट जाता है. बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं. बरसो से इस क्षेत्र में पुलिया निर्माण की मांग की गयी, लेकिन आज तक समाधान नहीं निकला है.

बरसोल (पूर्वी सिंहभूम), गौरब पाल : पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं, जहां के ग्रामीण बारिश के दिनों में घरों में कैद हो जाते हैं. इस क्षेत्र में बहने वाली पहाड़ी नदियां उफान पर रहने के कारण गांव टापू में तब्दील हो जाता है. बरसों से ग्रामीण पुलिया निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस समस्या के समाधान की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

बारिश के दिनों में उफान पर रागड़ो नदी, ग्रामीण परेशान

बता दें कि बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत कुमारडूबि पंचायत स्थित फुलकुड़िया, प्रतापपुर, मालकुंडा और खांडामौदा पंचायत स्थित धीरीगुटू और बढ़ाडहर गांव के ग्रामीण बारिश शुरू होते ही परेशानी झेलने लगते हैं. बारिश के दिनों में इस क्षेत्र से बहने वाली रागड़ो नदी में पानी उफान पर होता है. इससे इस क्षेत्र के गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

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बच्चों को स्कूल जाने में होती है परेशानी

रागड़ो नदी के किनारे बसे इन गांवों में लगभग 300 से 400 परिवार निवास करते हैं. ये गांव के तीन दिशाओं में खेत से घिरा है. गांव से मुख्य सड़क तक निकलने के लिए दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. नदी में जब जलस्तर काफी बढ़ जाता है, तब इस गांव के बच्चे तीन माह तक स्कूल नहीं जा पाते हैं.

बारिश के तीन महीने ग्रामीण हो जाते हैं कैद

गांव के सुबल सिंह, भरत सिंह, बिसु सिंह, सपन सिंह, हेमंत सिंह, गोपाल धुली, निताई धुली, गौरंग धुली, श्यामापद धुली, सुबल बैठा, धबल गिरि, जोतिन गिरि, निमाई गिरि, राधेश्याम दास, सनत दास, फनी दास आदि के मुताबिक नदी पर पुलिया नहीं होने के कारण बरसात में तीन महीना गांव से निकलना मुश्किल हो जाता है.

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पुलिया निर्माण की मांग

ग्रामीणों के मताबिक, काफी दिनों से यहां एक पुलिया निर्माण की मांग की जा रही है. लेकिन, इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है. इसके कारण हर साल बरसात में ग्रामीण अपने घरों में कैद होने के लिए मजबूर हो जाते हैं. वहीं, मरीजों को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है.

खराब सड़क की स्थिति

इन चार गांव को वर्तमान में कीचड़युक्त और खराब रखरखाव वाले सड़क का सामना करना पड़ता है. खासकर मानसून के दौरान. इससे परिवहन बुरी तरह बाधित हो जाती है. इससे लोगों को काफी परेशानी उठनी पड़ती है. गर्भवती महिलाओं और गंभीर परिस्थितियों में मरीजों को सड़क की खतरनाक स्थिति के कारण समय पर चिकित्सा देखभाल प्राप्त करना बेहद मुश्किल हो रहा है. गांव से उचित सड़क तक पहुंचने के लिए खटिया के सहारे लगभग दो किमी की यात्रा करनी पड़ती है.

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कई महीनों से खराब पड़ा है सोलर पंप

फुलकुड़िया गांव में एक सोलर पंप लगा था, जो कई महीनों से खराब है. इससे स्थानीय समुदाय की आजीविका पर काफी असर पड़ रहा है. अभी सोलर पंप खराब होने की वजह से लोगों को काफी दूर से पानी लाकर घरों के कामकाज करनी पड़ रही है. गांव के अधिकांश लोग मजदूरी व खेती कर जीविकोपार्जन करते हैं. गांव में एक उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय, सरकारी कूप, बिजली के अलावे कुछ भी सुविधा नहीं है. लोगों को जीने के लिए सबसे पहले सड़क की आवश्यक्ता होती है जो अब तक नहीं मिल पाया है. गांव के लोग खेतों की मेढ़ के सहारे चलकर गांव से निकलते व पहुंचते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक, चुनाव में जैसे-तैसे उस गांव में नेता पहुंचते हैं और बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर चले आते हैं.

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