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झारखंड : बदहाल है पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल का बस स्टैंड, यात्री सुविधाओं का है टोटा

पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला अनुमंडल में कई बस स्टैंड का हाल बेहाल है. बस टर्मिनल में यात्री सुविधाओं को टोटा है. कहीं शौचालय जर्जर हैं, तो कई साफ-सफाई का अभाव. धूप और बरसात में यात्री परेशान होते हैं.

 लाखों का राजस्व देने वाला स्टैंड बदहाल, सुविधाओं के लिए तरसते यात्री
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Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल में तीन बड़े बस पड़ाव घाटशिला का फूलडुंगरी, मुसाबनी और बहरागोड़ा में हैं. इन बस स्टैंडों से सरकार को हर वर्ष लाखों रुपये का राजस्व मिलता है, जबकि यात्री सुविधाओं का टोटा है. बस स्टैंड में पहुंचने वाले यात्री मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकते हैं. कहीं शौचालय जर्जर हैं, तो कई साफ-सफाई का अभाव. धूप और बरसात में यात्री परेशान होते हैं. वर्ष 2023-24 में घाटशिला बस पड़ाव की नीलामी 6.40 लाख रुपये में हुई. मुसाबनी बस पड़ाव का टेंडर किसी ने नहीं लिया, तो अंचल विभाग अपने स्तर प्रति वर्ष करीब चार से पांच लाख रुपये राजस्व वसूली करता है. बहरागोड़ा बस बड़ाव की नीलामी इस वर्ष नहीं हुई. सरकारी स्तर पर 4.50 लाख रुपये राजस्व मिलता है.

 बहरागोड़ा इंटर स्टेट बस टर्मिनल : शौचालय जर्जर, पानी के लिए भटकते हैं यात्री
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रोजाना परिचालन : 50 से 60 बसें व 40 से 50 छोटे वाहन

बहरागोड़ा में जिला परिषद इंटर स्टेट बस टर्मिनल का एक साल से नीलामी नहीं हुई है. ऐसे में लगभग 4.50 लाख का राजस्व मिलता है. टेंडर होता, तो बड़े पैमाने पर राजस्व मिलता. बस स्टैंड में लगी लगभग 20 स्ट्रीट लाइट बरसों से खराब है. शौचालय जर्जर है. यात्रियों के लिए बैठने की सुविधा नहीं है. पेयजल के लिए लोग तरसते हैं. वर्ष 2017-18 में नंटू महंती ने लगभग 12 लाख, वर्ष 2018-19 में राजकुमार कर ने 16. 26 लाख, वर्ष 2019-20 में निर्मल दूबे ने लगभग 13 लाख की बोली लगाकर टेंडर लिया था. कोरोना में लगभग डेढ़ साल गुजर गया. उसके बाद विभाग ने टेंडर नहीं निकाला. अंचल कार्यालय राजस्व वसूली कर रहा है.

सफेद हाथी साबित हो रहे एनएच किनारे बने यात्री प्रतीक्षालय

बहरागोड़ा प्रखंड में एनएच-18 और 49 के किनारे बने यात्री प्रतीक्षालय देखरेख के अभाव में सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. बस स्टैंड से लगभग 300 से 400 मीटर दूरी पर प्रतीक्षालय है. यह खंडहर में तब्दील हो रहा है. माटिहाना, बहरागोड़ा, गम्हरिया, पूर्वांचल के जगन्नाथपुर, नयाबासन, दारीसोल आदि के प्रतीक्षालय बेकार हैं. फोरलेन निर्माण के बाद ठेका कंपनी ने सभी प्रतीक्षालय का निर्माण किया था.

  • बस स्टैंडों में सफाई का अभाव शौचालय जर्जर, यात्री शेड नहीं

  • बहरागोड़ा बस स्टैंड में लगभग 20 स्ट्रीट लाइटें वर्षों से खराब

  • चाकुलिया में बस स्टैंड के लिए पानी की तरह बहा पैसा, लेकिन शुरू नहीं

  • मुसाबनी बस स्टैंड में यात्रियों की बैठने तक की व्यवस्था नहीं

  • शेड नहीं होने से धूप और बरसात में परेशान होते हैं यात्री

  • वर्ष 2023-24 में घाटशिला बस पड़ाव की नीलामी 6.40 लाख रुपये में हुई. मुसाबनी का टेंडर किसी ने नहीं लिया.

 घाटशिला का फूलडुंगरी बस पड़ाव : बसें बढ़ीं, सुविधाएं वहीं, एकमात्र शौचालय जर्जर
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रोजाना परिचालन : 60 से 65 बसें

(हाइवे चौड़ीकरण के बाद रात में भी बसें चलती हैं)

घाटशिला के फूलडुंगरी में बस स्टैंड वर्ष 2002-03 में पूर्व सांसद आभा महतो के कार्यकाल में बना था. तब स्टैंड से काफी कम बसें चलती थीं. आज झारखंड के विभिन्न जगहों, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार के लिए बसें खुलती हैं. बसों की संख्या बढ़ीं, लेकिन यात्री सुविधा जस की तस हैं. स्टैंड में मात्र एक शौचालय है, जो 2002-03 में बना था. शौचालय जर्जर है. इससे महिला यात्री परेशान होती हैं.

6.40 लाख रुपये में हुआ टेंडर

वर्ष 2023-24 के लिए 24 जून को 6.40 लाख रुपये की बोली लगाकर रामदास हांसदा ने टेंडर अपने नाम किया. 2022- 23 में नीलामी नहीं हुई. अंचल कार्यालय ने 5.51 लाख रुपये राजस्व वसूला. 2020- 21 व 2022 में बस स्टैंड की नीलामी सुनील मुर्मू के नाम हुआ था. 5.20 लाख रुपये अग्रिम राशि जमा करने पर स्टैंड मिला था.

प्रवेश व निकास का रास्ता एक, सड़क पर खड़ी होती हैं बसें

वर्तमान में फूलडुंगरी बस स्टैंड का टेंडर लेने वाले रामदास हांसदा ने बताया कि स्टैंड की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. स्टैंड की सफाई होती है. एक बेहतर शौचालय निर्माण की जरूरत है. यहां इन और आउट का एक ही रास्ता है. बसें सड़क पर खड़ी होती हैं. एनएचएआइ ने आस पास भूमि अधिग्रहण किया, उसपर बड़ा बस पड़ाव बन सकता है.

 कई जगह बस स्टैंड नहीं एनएच पर रुकती हैं बसें
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घाटशिला अनुमंडल में कई जगहों पर बस पड़ाव (स्टैंड) नहीं है. ऐसे में हाइवे या स्टेट हाइवे पर बसें रुकती हैं. यात्री धूप और बरसात में खुले आकाश के नीचे बसों का इंतजार करते हैं. आसपास दुकानों- होटलों में शरण लेते हैं. फोरलेन बनने के दौरान जहां-जहां यात्री शेड बने, वहां से चौक-चौराहे दूर हैं. कई जगह शौचालय और बोरिंग हुई, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है.

  मुसाबनी बस स्टैंड : सड़क पर बसें खड़ी करने से दुर्घटना का डर
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रोजाना परिचालन : करीब डेढ़ दर्जन बसें व दो दर्जन छोटे यात्री वाहन

मुसाबनी बस स्टैंड बदहाल है. धूप व बरसात में यात्री खुले आसमान के नीचे खड़े होकर बस का इंतजार करते हैं. बस स्टैंड में प्रतीक्षालय नहीं है. करीब डेढ़ दशक पूर्व बना नया बस स्टैंड अबतक चालू नहीं हो पाया है. बस व छोटे यात्री वाहन सड़क पर खड़े होते हैं. यहीं पर यात्री चढ़ते व उतरते हैं. इससे दुर्घटना का भय रहता है. बस स्टैंड का सुलभ शौचालय वर्षों से बंद है. इसका उपयोग गोदाम के रूप में हो रहा है. पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू के कार्यकाल में बने शौचालय में ताला लटक रहा है. बस स्टैंड में शौचालय के साथ पेयजल की सुविधा नहीं है. यात्रियों को बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है.

मुसाबनी में सरकारी स्तर पर होती है राजस्व की वसूली

मुसाबनी बस स्टैंड में सरकारी स्तर पर प्रतिवर्ष करीब चार लाख रुपये का राजस्व वसूली होती है. बस स्टैंड में यात्रियों के लिए सुविधा नहीं है. साफ-सफाई नहीं है. बारिश में कीचड़ से परेशानी होती है. मुसाबनी से ओडिशा, पश्चिम बंगाल के साथ रांची, जमशेदपुर, बहरागोड़ा, हाता, घाटशिला समेत कई स्थानों के लिए बसें व छोटे यात्री वाहनों का परिचालन होता है.

 चाकुलिया बस स्टैंड : सवा करोड़ का स्टैंड शुरू नहीं, चौक बना पड़ाव
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रोजाना परिचालन : एक दर्जन बसें

(सैकड़ों यात्री रोजाना आवागमन करते हैं)

चाकुलिया नगर पंचायत में रंकिनी मंदिर के समीप लगभग सवा करोड़ की लागत से बृहद बस स्टैंड का निर्माण किया गया है. बस स्टैंड के निर्माण में सरकार ने पानी की तरह पैसे बहा दिये, परंतु इसे शुरू करने को लेकर विभाग दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. सरकार को राजस्व की क्षति उठानी पड़ रही है. यहां से सैकड़ों यात्रियों का आना-जाना होता है. बस स्टैंड की शुरुआत नहीं होने से बस पुराना बाजार स्थित बिरसा चौक पर बसें रुकती हैं. भीड़-भाड़ वाले चौक होने के कारण बस यात्रियों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है. महिला यात्रियों को शौचालय नहीं होने से शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. बिरसा चौक पर शौचालय नहीं है.

नये बस स्टैंड में तमाम सुविधाएं मौजूद, शुरू होने का इंतजार

नये बस स्टैंड का निर्माण कार्य लगभग 6 महीने पहले पूर्ण हो चुका है. इसे संवेदक मनोज अग्रवाल ने बनाया है. जानकारी के मुताबिक संवेदक ने विभाग को भवन हैंडओवर कर दिया गया है. क्षेत्र के लोगों को बेसब्री से बस स्टैंड के शुरू होने का इंतजार है. करोड़ों की लागत से बने इस बस स्टैंड में यात्रियों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके बावजूद लोग परेशानी झेलने को मजबूर हैं.

 गालूडीह बस स्टैंड : न यात्री शेड है, न शौचालय, महिलाओं को होती है परेशानी
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गालूडीह में एनएच- 18 किनारे बस स्टैंड है. यहां यात्री शेड और शौचालय नहीं हैं. रोजाना हजारों यात्री आना-जाना करते हैं. यात्रियों को बस स्टैंड के पास अंडरपास, मिठाई, पान, चाय दुकान में बैठकर बस का इंतजार करना पड़ता है. बस स्टैंड में पेयजल व शौचालय की व्यवस्था नहीं है. शौचालय के अभाव में खासकर महिला यात्रियों को परेशानी होती है. पुरुष यात्री आस पास के क्षेत्र में खुले में पेशाब जाते हैं. यात्रियों को शेड नहीं होने से गर्मी, बरसात व सर्दी में खुले आकाश के नीचे रहना पड़ता है.

जहां बसें नहीं रुकतीं वहां बना दिया यात्री शेड
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एनएचएआई की ओर से निर्मित यात्री शेड और शौचालय बेकार हैं. शौचालय में ताला बंद रहता है. यह उपयोग के लायक नहीं है. गालूडीह में जिस स्थान पर यात्री शेड और शौचालय है, वहां बसें खड़ी नहीं होती हैं. न यात्री कभी बस का इंतजार करते नजर आते हैं. यात्री शेड के ठीक पीछे बंद शौचालय है, जो लंबे समय से बेकार पड़ा हुआ है.

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