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Dengue Fever: झारखंड से सटे इस इलाके में डेंगू का कहर, बुझ गया घर का इकलौता चिराग, मौत से पसरा मातम

डेंगू से पीड़ित 21 वर्षीय राजकुमार महापात्र की मौत के साथ घर का इकलौता चिराग बुझ गया. इस हादसे से पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. पूरे परिवार को घर के इकलौते बेटे से काफी उम्मीदें थीं. मृतक के परिजनों ने बताया कि राजकुमार महापात्र को करीब दो हफ्ते पहले बुखार आया था. जांच के बाद दवा दी गयी थी.

बरसोल (पूर्वी सिंहभूम), गौरव पाल: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के बरसोल से सटे बंगाल के चोरचिता गांव में डेंगू से पीड़ित 21 वर्षीय एक युवक राजकुमार महापात्र की सोमवार को इलाज के दौरान मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गयी. राजकुमार अपने पिता के इकलौते बेटे थे. उनके पिता भक्त राम महापात्र बंगाल के इलाके में ही सिक्योरिटी गार्ड का काम किया करते हैं. बताया जा रहा है कि राजकुमार स्नातक की पढ़ाई के साथ-साथ घर पर अपनी मां के साथ घर के कामों में मदद करते थे. उसकी मौत से परिवार में मातम पसरा है. परिजनों ने बताया कि बीते शनिवार को हम लोगों ने उसको गोपीबल्लापुर हॉस्पिटल लेकर गए, जहां उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए डॉक्टर ने उसे मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया. यहां उसके डेंगू होने की पुष्टि हुई, लेकिन सोमवार की सुबह इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में कभी भी डेंगू, मलेरिया आदि प्रकोप के लिए कोई छिड़काव नहीं किया गया. ना ही कोई फॉगिंग मशीन द्वारा मच्छरों को मारने का कोई ठोस उपाय किया गया है. इस गांव में इसके पहले भी डेंगू के कई मरीजों के होने की पुष्टि हो चुकी है. सभी लोगों का इलाज कहीं न कहीं चल रहा है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग बेफिक्र है.

जांच में निकला था टाइफाइड

डेंगू से पीड़ित 21 वर्षीय युवक राजकुमार महापात्र की मौत के साथ घर का इकलौता चिराग बुझ गया. इस हादसे से पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. पूरे परिवार को घर के इकलौते बेटे से काफी उम्मीदें थीं और पिता बेटे की तरक्की की राह देख रहे थे. मृतक के परिजनों ने बताया उसको करीब दो हफ्ते पहले बुखार आया था. बुखार नहीं कम होने पर कई ब्लड टेस्ट किए गए, लेकिन उसमें डेंगू नहीं निकला. जांच में टाइफाइड निकला था. इसीलिए डॉक्टर ने उसको टाइफाइड की दवा दी थी.

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मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में हुई डेंगू की पुष्टि

टाइफाइड की दवा देने पर चार-पांच दिनों के अंदर बुखार कम हो गया. फिर चार-पांच दिन बाद दोबारा ज्यादा बुखार आने लगा. फिर उसी समय टाइफाइड की दवा दोबारा चालू की गयी, लेकिन राजकुमार को काफी वीकनेस फील होने लगी थी. परिजनों ने बताया कि बीते शनिवार को हम लोगों ने उसको गोपीबल्लापुर हॉस्पिटल लेकर गए, जहां उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए डॉक्टर ने उसे मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया. यहां उसके डेंगू होने की पुष्टि हुई, लेकिन सोमवार की सुबह इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.

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बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के प्रति ग्रामीणों में रोष

ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में कभी भी डेंगू, मलेरिया आदि प्रकोप के लिए कोई छिड़काव नहीं किया गया. ना ही कोई फॉगिंग मशीन द्वारा मच्छरों को मारने का कोई ठोस उपाय किया गया है. इस गांव में इसके पहले भी डेंगू के कई मरीजों के होने की पुष्टि हो चुकी है. सभी लोगों का इलाज कहीं न कहीं चल रहा है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग बेफिक्र है.

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बरसोल क्षेत्र में डेंगू का एक भी केस नहीं

बहरागोड़ा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उत्पल मुर्मू ने कहा कि जहां पर घटना घटी है, वो बंगाल का क्षेत्र है. हम लोगों के एरिया में अभी तक कोई ऐसा रिपोर्टिंग नहीं है कि किसी को डेंगू हुआ है. जहां-जहां रिपोर्टिंग हो रही है या फिर डेंगू का लार्वा मिलने की आशंका है. उस जगह पर डेनेफोश का छिड़काव करा रहे हैं. हम लोगों को जहां तक जानकारी मिली है, उसके अनुसार बरसोल क्षेत्र में डेंगू का कोई केस नहीं है. Nh1 पॉजिटिव को अगर डेंगू मानते हैं, फिर भी उसको कंफर्म के लिए एलिजा नामक टेस्ट करवाना पड़ेगा. अगर ऐसा कोई सिंप्टम रहेगा, तो बहरागोड़ा के सरकारी अस्पताल को सूचित करें.

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