लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के कायरतापूर्ण हमले में देश ने अपने 20 जांबाज बेटों को खो दिया है. इनमें पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत चिंगड़ा पंचायत के कोषाफलिया गांव का वीर सपूत गणेश हांसदा भी शामिल है. 21 वर्षीय गणेश की शहादत की सूचना मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ पड़ी. गणेश के पिता सुबदा हांसदा, मां कापरा हांसदा, बड़े भाई दिनेश हांसदा और भाभी सोनारी हांसदा के आंसू थम नहीं रहे हैं. जिसने भी सुना, वह गणेश के परिवार को ढांढ़स बंधाने उनके घर की ओर दौड़ पड़ा. बुधवार सुबह कोषाफलिया गांव पहुंचे चाकुलिया प्रतिनिधि राकेश सिंह व बहरागोड़ा प्रतिनिधि प्रकाश मित्रा को गम व गुस्से के साथ-साथ गौरव से भरे दिखे शहीद गणेश हांसदा के परिजन, प्रियजन व ग्रामीण.
गणेश को बचपन से ही सेना में जाने की तमन्ना थी. गणेश के दोस्त राहुल पैड़ा, आशीष सिंह, धर्मेंद्र मांडी आदि ने बताया कि वह पढ़ाई के साथ खेलकूद में अच्छा था. उसने आठवीं तक गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोषाफलिया में पढ़ाई की. केरुकोचा उत्क्रमित हाई स्कूल से वर्ष 2015 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद जमशेदपुर एलबीएसएम कॉलेज करनडीह में इंटर साइंस में दाखिला लिया. इसी दौरान उसने एनसीसी ज्वाइन की. बचपन से वह सेना में भर्ती होने का सपना देखा करता था. खेलते व स्कूल जाते समय अपने दोस्तों से कहता था कि एक दिन भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करेगा.
गणेश के शहीद होने की खबर से दोस्त दुखी हैं. दोस्तों ने बताया कि गणेश कम बोलता था. खेलकूद में बेहतर प्रदर्शन करता था. गांव में उसे फुटबॉल का रोनाल्डो कहा जाता था. दोस्तों ने बताया कि गणेश काफी तेज दौड़ता था. यहीं वजह थी कि सेना बहाली में उसने दौड़ में एक्सीलेंट मार्क्स पाया था. हर 15 से 20 दिनों में एक बार अपने दोस्तों से फोन पर बात करता था. दोस्तों ने बताया कि खेल के मैदान से बैठकर अंतिम बार एक महीने पहले उससे बात हुई थी.
संथाली समुदाय का लाल गणेश हांसदा कई महीनों से देश के सबसे ठंडा स्थान लद्दाख में पदस्थापित था. इसके बावजूद उसने कभी शराब को हाथ नहीं लगायी. इसको लेकर गणेश के दोस्त गर्व महसूस करते हैं. गणेश के साथ पढ़ने और खेलने वाले दोस्त राहुल, आशीष, धर्मेंद्र आदि ने बताया कि गणेश जब कभी गांव पहुंचता अपने दोस्तों को नशे से दूर रहने की सलाह देता था.
शहीद गणेश ने प्राथमिक शिक्षा कोषाफलिया उत्क्रमित मध्य विद्यालय से पूरी की. यहां पहली से आठवीं तक पढ़ाई पूरी की. स्कूल के शिक्षक श्रीमत हांसदा, प्रभात घोष, गौरांग पाल और सुरेश सोरेन ने बताया कि गणेश बचपन से मृदुभाषी व शांत स्वभाव का छात्र था. वह पढ़ने में काफी तेज था. फुटबॉल व तीरंदाजी में उसकी रुचि थी. फुटबॉल व तीरंदाजी में गणेश ने स्कूल को कई पुरस्कार दिलाया है. इस वर्ष छुट्टी में घर आने पर वह सरस्वती पूजा मनाने स्कूल पहुंचा था. स्कूल में मां सरस्वती की वंदना व पूजा करने के उपरांत शाम तक स्वयं प्रसाद वितरण कार्यक्रम में शामिल रहा. वह बच्चों का लगातार उत्साहवर्धन करता थे. गणेश के शहीद होने की खबर पाकर स्कूल के शिक्षक भावुक हो उठे.
शहीद गणेश हांसदा के परिजनों से मुलाकात करने बुधवार की शाम उपायुक्त रविशंकर शुक्ला व एसएसपी डॉ एम तमिलवाणन कोषाफलिया गांव पहुंचे. उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की. उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में प्रशासन शहीद के परिवार के साथ खड़ा रहेगा. डीसी व एसएसपी ने अंतिम संस्कार के लिए चयनित स्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि गुरुवार को शव गांव पहुंचेगा. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कराया जाएगा.
गणेश की उसके परिवार के लोगों से दो जून को अंतिम बार फोन पर बात हुई थी. दिन के करीब 11 बजे गणेश ने अपने भाई दिनेश को फोन किया था. उस दौरान वह खेत में काम कर रहे थे. गणेश ने कहा था कि मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं. आप सभी लोग ठीक से रहियेगा. मां- पिताजी को भी कह दीजिएगा कि मेरी चिंता ना करें. उसने अपने बड़े भाई को जब फोन किया, तब वहां मां-पिताजी मौजूद नहीं थे. इसलिए गणेश ने कहा था कि फिर कुछ दिनों बाद फिर फोन करूंगा, तब मां और पिता जी से भी बात होगी. फिर दोबारा गणेश से परिजनों की बात नहीं हुई.
गणेश की मां कापरा ने बताया कि उसके पिता सुबदा हांसदा ने तीन-तीन शादियां की थीं. पहली दो पत्नियों की कोई संतान नहीं है. वह तीसरी पत्नी हैं. उसे दो बेटे हैं. बड़ा बेटा दिनेश और छोटा बेटा गणेश हांसदा. दोनों भाइयों में काफी प्रेम था. जब गणेश फोन करता था, तब वह अपने भाई से घंटों बात करता था. वह अपने बड़े भाई के साथ सगे संबंधियों के घर व मेले आदि में घूमने जाया करता था. दोनों भाइयों के बीच परस्पर प्रेम को देखकर लोग उनकी मिसाल दिया करते थे.
गणेश के शहीद होने की खबर से मां कापरा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. कापरा कभी अपने बेटे की तस्वीर को निहारती हैं, कभी घर आने वालों को. कभी फूट-फूट कर रोने लग जाती हैं. वह रोते हुए कहती कि जीवन काफी गरीबी में गुजरा. वृद्ध पिता मेहनत मजदूरी करके दो पैसे कमाते. वह बकरी और भेड़ पालती थीं. इन्हें बेच कर जो पैसे आते उससे गणेश की पढ़ाई का खर्च निकल जाता था.
हाल में दो महीने की छुट्टियों पर गणेश घर आया था. उसने कहा था कि मां अब चिंता छोड़ दो. अब हमारी गरीबी दूर हो जायेगी. बहुत जल्द हमारी अपनी जमीन होगी. अपना पक्का मकान होगा. बड़े भैया ने मुझे पढ़ा लिखाकर इस योग्य बनाया. अब उन्हें व्यवसाय शुरू करने के लिए मदद करेंगे. पूरा परिवार जल्द खुशहाल हो जायेगा. मां हमारे अच्छे दिन आ गये हैं. भगवान को कुछ और ही मंजूर था. नौकरी के अभी दो वर्ष नहीं बीते थे कि मेरा लाल दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गया.
बहरागोड़ा के कोषाफलिया गांव में शहीद गणेश हांसदा का घर सड़क से करीब 50 मीटर पूर्व में स्थित है. घर तक जाने वाली सड़क की स्थिति ठीक नहीं है. इसे देख बीडीओ राजेश कुमार साहू व सीओ हीरा कुमार ने तत्काल जेसीबी मंगाकर मुरुम डालकर सड़क निर्माण शुरू कराया. गांव में दो स्ट्रीट लाइट लगायी गयी. जिस स्थान पर अंतिम संस्कार कराया जायेगा, वहां साफ-सफाई की व्यवस्था की गयी. गुरुवार को शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंच सकता है. उपायुक्त रविशंकर शुक्ला व एसएसपी डॉ एम तमिलवाणन की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कराया जायेगा.
Posted by : Pritish Sahay