16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड : पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव में 32 बिरहोर परिवार की स्थिति काफी दयनीय, मूलभूत सुविधाओं से हैं वंचित

पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव स्थित कांडेयोंग वन ग्राम के 32 बिरहोर परिवार की स्थिति काफी दयनीय है. इस गांव में ना तो आवास है और ना ही पेयजल आपूर्ति की समुचित व्यवस्था है. जाति, आय और आवासीय प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहे हैं. इन बिरहोर की समस्या सुनने की फुर्सत प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं है.

Jharkhand News: पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र बंदगांव प्रखंड के कांडेयोंग वन ग्राम स्थित 32 बिरहोर परिवार की स्थिति काफी दयनीय है. इन बिरहोरों को अब तक मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं है. इनकी परेशानी को देखते हुए सोमवार को ग्राम मुंडा सोम चांद बिरहोर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में पीपुल्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव सह समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई मुख्य रूप से उपस्थित थे.

इन बिरहोरों की नहीं सुनता कोई

बैठक में ग्राम मुंडा सोम चांद बिरहोर ने कहा कि झारखंड सरकार की ओर से अब तक मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है. कहा कि इस क्षेत्र में 20 साल से अधिक समय से रहते आ रहे हैं. इसके बावजूद आज तक कोई सुध नहीं ले रहा है. स्थिति ऐसी है कि आवास के अभाव में आज भी यहां के बिरहोर लकड़ी के पट्टे से बने मकान में रहने को विवश हैं. वहीं, घर के ऊपर प्लास्टिक ढककर जीवन गुजारने को मजबूर हैं. कहा कि एक भी पक्का मकान अब तक सरकार की ओर से उपलब्ध नहीं हो पाया है.

Also Read: झारखंड : गुमला में बेटे ने पिता की हत्या कर शव को दफनाया, 19 दिन बाद प्रशासन ने कब्र से निकाला बाहर

नहीं बन रहे जाति, आय और आवासीय प्रमाण पत्र

गांव में लोगों को वन पट्टा नहीं होने के कारण बिरहोर जाति के लोगों को ना तो जाति प्रमाण पत्र बन पाता और ना ही आय और आवासीय प्रमाण पत्र ही बन पा रहा है. जिससे बच्चों को पढ़ाई-लिखाई व नौकरी में काफी दिक्कतें हो रही हैं. कहा कि इस क्षेत्र में ना तो हमलोगों के लिए कोई रोजगार है और ना ही यहां अब तक बिजली आई है. पेयजल की स्थिति भी दयनीय है. यहां एक भी बोरिंग नहीं हुआ जिससे ग्रामीणों को पेयजल मिल सके.

प्रशासन भी नहीं ले रहा सुध

कहा कि ठंड में सभी बिरहोरों को कंबल भी नहीं मिल पाया था जबकि बहुत सारे बिरहोर का राशन कार्ड भी नहीं बन सका है. हम बिरहोर को देखने वाला एवं मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. जिस कारण यहां के बिरहोर काफी खराब स्थिति में अपने जीवन को जी रहे हैं.

Also Read: झारखंड : गोड्डा में सीएम हेमंत सोरेन की हुंकार, राज्य के उद्योगों में 75% स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार

प्रशासनिक अधिकारी आते, लेकिन नहीं लेते सुध

इसके अलावा ना तो प्रधानमंत्री आवास, ना ही बकरी शेड और ना ही आंगनबाड़ी केंद्र का भवन इस क्षेत्र में हो पाया है. लेकिन, आलम देखिए इस क्षेत्र में बीडीओ, सीओ व एसडीओ बराबर इस क्षेत्र में आते हैं. इसके बावजूद इन बिरहोर की स्थिति उन्हें नजर नहीं आता है. विकास के नाम पर यहां के बिरहोर काफी पिछड़े हैं.

रस्सी बनाकर जीवन यापन कर रहे बिरहोर

उन्होंने कहा कुंदरुबुटु में भारत सेवा श्रम द्वारा बिरहरों के रोजगार के लिए हस्तकरधा कपड़ा बुनाई केंद खोला था. उसमें बिरहरों को प्रशिक्षण देकर कपड़ा बुनाई कराई जाती थी. मगर अब यह भी बंद हो गया है जिससे बिरहोर बेरोजगार हो गये हैं. वर्तमान में कुछ बिरहोर पेड़ की छाल से रस्सी बनाकर अपना जीवन जी रहे हैं. मगर उतनी आमदनी नहीं होने के कारण हमलोगों की स्थिति काफी दयनीय है.

Also Read: झारखंड : कुचाई की नम्रता सामड हत्याकांड में आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर सड़क पर उतरे लोग, न्याय की मांग की

डीसी को देंगे पूरी जानकारी

बिरहोर की समस्या को सुन डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि यहां के बिरहोर परिवार के लोगों की काफी समस्याएं हैं. हम उनकी समस्या को समझते हैं. मगर वन पट्टा नहीं होने के कारण इन लोगों को सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि इन समस्या की जानकारी डीसी को दी जाएगी. कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि इन बिरहोर परिवारों को सरकार की सभी सुविधा उपलब्ध हो. इस मौके पर बुधराम बोरहोर, श्याम बिरहोर, पानी बिरहोर, बुधराम बिरहोर, बहादुर बिरहोर, सोमोल बिरहोर, बुधनी बिरहोर, उषा बिरहोर समेत काफी संख्या में बिरहोर उपस्थित थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें