किरीबुरू (सैलेश सिंह) : सांरडा में वर्तमान समय में गंभीर पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी समस्याएं बड़े पैमाने पर वनों और वृक्षों की कटाई के कारण उत्पन्न हुई हैं, और हो रही है, जैसे- मिट्टी के क्षरण का बढ़ना, मिट्टी का कटाव और जमाव के कारण नदियों का रुकना, तापमान और बाढ़ में वृद्धि होना इत्यादि है. सारंडा रिजर्व वन के अध्ययन से पता चलता है कि एक समय यह घने जंगलों में से एक था और पेड़-पौधों और जीव-जन्तुओं में बहुत ही समृद्ध था.
खनन गतिविधियां, जंगल में नए गांवों का बसना, नक्सली हिंसा और लकड़ीयों की तस्करी आदि के कारण वन क्षेत्र संकुचन के लिए मुख़्य रुप से ज़िम्मेदार हैं, जिसके परिणामस्वरूप पहाड़ी वन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और बारहमासी जल स्रोतों का रुकना और सुखना है. यह अनुमान लगाया गया है कि दस हजार हेक्टेयर से अधिक अनछुए जंगल जहां 80 प्रतिशत कैनोपी के कवर में चल रहे खनन गतिविधियां तथा जंगल के कई हिस्सों में नए गांवों के बसने की वजह से तबाह और बरबाद हो गया है.
सारंडा रिजर्व वन के विनाश के कारण वनस्पतियों और जीवों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ विलुप्त हो गई और कुछ विलुप्त होने के कगार पर है. इसी तरह अगर इसका विनाश होता गया तो एक दिन यह भूमि बंजर भूमि बन जाएगी.