Jharkhand Naxal News: प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी ने झारखंड बंदी के दौरान गुरुवार की रात कुइड़ा-बरकेला और चाईबासा मार्ग पर गोइलकेरा के काशीजोड़ा गांव में पोस्टरबाजी व पर्चा फेंका. घटना से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत है. पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने बताया कि नक्सलियों ने जंगल में चार-पांच जगहों पर पोस्टर व पर्चे फेंके गये हैं. दूसरी ओर सूत्रों के अनुसार, भाकपा माओवादियों के सदस्य व एक करोड़ के इनामी मिसर बेसरा, असीम मंडल और पतिराम मांझी की टीम में बंगाल के भी कुछ नक्सली शामिल हैं. मिसिर बेसरा पोसैता के आसपास घूम रहा है. दस्ते के लोगों ने मिसिर बेसरा के बीच कड़ी सुरक्षा बना रखी है. नक्सली दस्ते कड़ी सुरक्षा घेरा में ही कहीं भी आ-जा रहे हैं. टोंटो व गोइलकेरा क्षेत्र में नक्सलियों का दस्ता जंगल में ही आसपास के क्षेत्र में घूम रहा है.
ग्रामीणों को लकड़ी या अनजान चीजें देखते ही वापस लौटने की हिदायत
पर्चा में नक्सलियों ने ग्रामीणों को आगाह किया है कि रोड-रास्ता व गांव के अगल-बगल के जंगल-पहाड़ से काटकर गिरायी गयी लकड़ी या किसी अनजान व अनहोनी चीजें देखने पर तुरंत वापस लौट जायें. उसे बिल्कुल न छुएं, क्योंकि बारूदी सुरंग, बुबी ट्रैप माइन व स्पाइक हॉल ऑटोमैटिक तरीके से लगाये गये हैं. उसे छूते ही विस्फोट हो जाता है, जिससे क्षण भर में किसी की मौत हो सकती है या स्पाइक हॉल में गिरकर घायल हो सकते हैं. पोस्टर में ग्रामीणों, लकड़हारों व चरवाहों को पहले जैसी सावधानी बरतने को कहा गया है. इसके पूर्व भी नक्सलियों ने पर्चा जारी कर ग्रामीणों को हिदायत दी थी.
कई ग्रामीण व मवेशियों की हो चुकी है मौत
मालूम हो कि नक्सलियों द्वारा जंगल में बिछाये गये आईईडी प्रेशर बम व बुबी ट्रैप की चपेट में आने से दर्जनभर से ज्यादा जवान घायल हो चुके हैं, वहीं ग्रामीणों और मवेशियों की मौत हो चुकी हैं. इतना ही नहीं करीब आधा दर्जन ग्रामीण घायल भी हुये हैं. इससे ग्रामीणों में नक्सलियों के खिलाफ अंदर ही अंदर आक्रोश पनपने लगा है. हाल में नक्सलियों द्वारा बरकेला के पास से दो लड़कियों को अपने दस्ते में ले जाने के बाद ग्रामीणों की नाराजगी के कारण उन्हें यह कहते हुये छोड़ना पड़ा था, लड़कियों को चोट लगी थी. इस वजह से उसे दस्ते में सुरक्षित रखा गया था.
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पुलिस का दावा : नक्सली जंगल से बाहर नहीं निकल पा रहे
पुलिस का दावा है कि जिला बल के जवान व सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इससे नक्सली बैकफुट पर हैं. जवानों ने नक्सलियों को उन्हीं के कोर एरिया में घेर रखा है. इस वजह से वे जंगल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. उन्हें टोंटो व गोइलकेरा सीमा पर घेर कर रखा गया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, मौजूदा समय में नक्सली चार ग्रुप में बंट गये हैं. प्रत्येक दस्ते में 20-25 लोग शामिल हैं. टोंटो व गोइलकेरा क्षेत्र में नक्सलियों तीन दस्ता एक ही जगह में छिपा हुआ है. बड़ालागिया, बरकेरा, अंजेदबेड़ा, तुम्बाहाका, रेंगडाहातु, लुईया, सोयतवा, कुईड़ा, आराहासा व रोआम में पुलिस व सुरक्षा बल का कैंप खुल जाने के कारण नक्सली जंगल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इतना ही नहीं वे अब इन गांवों में भी प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं और चारों तरफ से घिरे हुये हैं. इसके अलावा उनके पास लॉजिस्टिक भी ठीक नहीं पहुंच पा रहा है. पुलिस व सुरक्षाबलों ने इसपर भी लगाम कस रखा है. इस वजह से उनके पास खाने-पीने के सामान की भी कमी होने लगी है. दूसरी ओर ग्रामीण भी अब नक्सलियों से दूरी बनानेे लगे हैं.
10-15 मीटर लंबा है बुबी ट्रैप व स्पाइक हॉल
सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने टोंटो, मुफस्सिल व गोइलकेरा थाना क्षेत्र के जंगलों में बुबी ट्रैप, आइइडी व स्पाइक हॉल बना रखा है. यह बुबी ट्रेप व स्पाइक 10 से 15 मीटर लंबा है. यह बुबी ट्रैप व स्पाइक हॉल नक्सलियों के दस्ते में एक्सपर्ट द्वारा लगाया गया है, जो जरा भी संपर्क में आते ही ब्लास्ट कर जाता है. इस वजह से सैकड़ों सुरक्षा बल पुलिस के जवान नक्सलियों की मांद तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. जहां पर नक्सलियों ने पुलिस को नुकसान पहुंचाने का सामान सजा रखा है, वह उनके ठिकाने से करीब तीन किमी दूर है. सूत्रों की मानें तो इन दिनों पड़ रही प्रचंड गर्मी के कारण कई आइइडी अपने आप ब्लास्ट कर रहे हैं. पिछले दिनों ग्रामीणों ने आइइडी ब्लास्ट की कई आवाजें सुनी थीं.
हफ्तेभर में दस्ता छाेड़ भागे सात स्थानीय युवक
सूत्रों के अनुसार, नक्सली संगठन विस्तार के लिए गांव के लड़के- लड़कों को शामिल करने की कोशिश कर रहे है. इससे उनके परिजनों की चिंताएं बढ़ गयी हैं. सूत्र बताते हैं कि जहां नक्सली छिपे हैं, उसके आसपास के गांव के दर्जनभर से ज्यादा युवक पलायन कर गये हैं. विभिन्न शहरों में रहकर या तो पढ़ाई कर रहे हैं या फिर मजदूरी कर अपना गुजारा कर रहे हैं. दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों में नक्सली दस्ता में शामिल हुये करीब 20- 25 युवक भी दस्ता छोड़कर चले गये हैं. अभी पिछले दिनों हफ्तेभर में ही करीब सात लड़कों द्वारा दस्ता छोड़कर भाग जाने की चर्चा भी नक्सल क्षेत्र में जोरों पर है.
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