12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सारंडा में हाथियों के कोरिडोर नष्ट करने, उसके जीवन में रुकावट डालने तथा उन्हें हिंसक बनाने के लिए कौन है जिम्मेवार !

Jharkhand news, West Singhbhum news : सारंडा देश का पहला नोटिफाईड एलिफैंट (हाथी) रिजर्व एरिया है. इसे हाथियों का वास स्थल (Habitat) कहा जाता है. हाथी अपने वास स्थल सारंडा से घूमते हुए कोल्हान, पोडाहाट, दलमा आदि जंगल होते हुए धालभूमगढ़ के जंगल तक जाते हैं एवं फिर वहां से अपने कोरिडोर से सारंडा वापस आते थे. तब हाथी विभिन्न जंगलों के गांवों में उत्पात एवं जान-माल का नुकसान नहीं पहुंचाते थे. लेकिन, अब ऐसा क्या बदलाव हुआ जो हाथी हिंसा का रूप धारण कर जान-माल का भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह सवाल आज सभी के लिए चुनौती बना हुआ है.

Jharkhand news, West Singhbhum news : किरीबुरू (शैलेश सिंह) : सारंडा देश का पहला नोटिफाईड एलिफैंट (हाथी) रिजर्व एरिया है. इसे हाथियों का वास स्थल (Habitat) कहा जाता है. हाथी अपने वास स्थल सारंडा से घूमते हुए कोल्हान, पोडाहाट, दलमा आदि जंगल होते हुए धालभूमगढ़ के जंगल तक जाते हैं एवं फिर वहां से अपने कोरिडोर से सारंडा वापस आते थे. तब हाथी विभिन्न जंगलों के गांवों में उत्पात एवं जान-माल का नुकसान नहीं पहुंचाते थे. लेकिन, अब ऐसा क्या बदलाव हुआ जो हाथी हिंसा का रूप धारण कर जान-माल का भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह सवाल आज सभी के लिए चुनौती बना हुआ है.

हाथियों पर रिसर्च करने वाले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF), न्यू दिल्ली के पूर्व वरिष्ठ समन्वयक डाॅ राकेश कुमार सिंह जो वर्ष-1990 के दशक में सारंडा में हाथियों पर रिसर्च किये थे, के अनुसार सारंडा में अनियंत्रित माइनिंग एवं भारी पैमाने पर अतिक्रमण की वजह से हाथियों के स्वभाव में भारी बदलाव हुआ है.

Also Read: नेतरहाट के मैग्नोलिया प्वाइंट से देखिए सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत नजारा

उन्होंने कहा कि लगभग 857 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सारंडा में लगभग 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में खनन कार्य चल रहा है, जिसमें सेल और प्राइवेट कंपनियां शामिल है. सैकड़ों एकड़ जमीन पर अवैध अतिक्रमण है. इसके अलावा सारंडा के लगभग 443 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में खनन कार्य के लिए 19-20 प्राइवेट कंपनियों के साथ पूर्व की सरकार एमओयू की थी. अगर इन कंपनियों को खनन के लिए लीज दे दिया गया, तो करीब 643 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में खनन होने लगेगा. ऐसी स्थिति में कल्पना कीजिए कि सारंडा का नजारा कैसा होगा. कहां आदमी रहेंगे एवं कहां वन्यप्राणी.

डॉ सिंह ने कहा कि आजादी पूर्व ब्रिटिश सरकार ने सारंडा के विभिन्न क्षेत्रों में अपने उद्देश्य के लिए 10 जंगल गांव थलकोबाद, तिरिलपोसी, नवागांव (1 और 2), करमपदा, नवागांव, दिघा, बिटकिलसोय, बालीबा एंव कुमडीह को बसाया था. इसके अलावे दर्जनों राजस्व गांव थे, जिनकी आबादी मुश्किल से 10-15 हजार के करीब होगी.

आज सारंडा में झारखंड आंदोलन एवं वनाधिकार पट्टा के नाम पर भारी पैमाने पर जंगलों को काट कर जमीन पर कब्जा कर दर्जनों अवैध गांव बसाया गया, जिससे सारंडा पर जनसंख्या का भारी बोझ बढ़ने लगा. इससे आबादी लगभग 70-75 हजार के करीब पहुंच गयी है. सारंडा पर बढ़ा जनसंख्या का बोझ का लाभ लकड़ी माफिया और लकड़ी तस्कर भारी पैमाने पर उठाने लगे, जिससे करीब 25-30 फीसदी सारंडा का सघन वन क्षेत्र खत्म हो गया. अर्थात खनन कंपनियों को खनन के लिए लीज देने तथा अवैध अतिक्रमण ने सारंडा में हाथियों का घर और कोरिडोर को अलग-अलग क्षेत्रों में खंडित कर दिया, जिससे हाथियों का मूवमेंट रूक गया. इसी वजह से हाथियों एवं लोगों के बीच टकराव बढ़ गया.

उन्होंने कहा कि विकास और रोजगार के नाम पर सारंडा में औद्योगीकरण, खनन, सड़कों का जाल आदि बढ़ने की वजह से और रात में भारी मशीनों एवं वाहनों के चलने से होने वाली कंपन दूर बैठे हाथियों के बाईलॉजिकल क्लॉक को प्रभावित कर रहा है. हालांकि, सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद रिजर्व वन क्षेत्र में भारी मशीनों एवं वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध है. अनियंत्रित खनन एंव अवैध अतिक्रमण की वजह से सारंडा की तमाम प्राकृतिक जलश्रोत एवं कारो-कोयना जैसी बड़ी नदियों का अस्तित्व खत्म होते जा रहा है, जिससे हाथियों के सामने पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है.

Also Read: देखरेख के अभाव में बेकार हो गया करोड़ों रुपये की लागत से बना गुमला का यह अस्पताल, मरीजों के इलाज की जगह लटका है ताला

200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चलते खादान

सारंडा का लगभग 200 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूभाग जिसे विभिन्न खादानों को लीज मिला है, जिसमें कुछ में खनन चल रहा है. कुछ इसी वर्ष से बंद है. कुछ प्रस्तावित, तो कुछ पर इंफ्रास्ट्रक्चर (डैम आदि) बनाये गये हैं. इन खादानों में किरीबुरु- मेघाहातुबुरु माइंस सेल (लीज- 1), विजय- 2 (टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स), दुबिल आयरन ओर माइंस चिड़िया (सेल), दुरगाईबुरु आयरन ओर माइंस गुवा (सेल), घाटकुड़ी माइंस : मेसर्स ओएमएम, घाटकुड़ी माइंस : मेसर्स रूंगटा, करमपदा माइंस : मेसर्स शाहा ब्रदर्स, करमपदा माइंस : मेसर्स सिंहभूम मिनरल्स, करमपदा माइंस : मेसर्स मिश्रीलाल जैन एंड संस, टाटीबा माइंस : मेसर्स केजेएस अहलुवालिया, अजीताबुरु माइंस : मेसर्स देवका बाई वेल्जी, टोपाईलोर गुवा ओर माइंस (सेल), जिलिंगबुरु- 1 (सेल), जिलिंगबुरु- 2 (सेल), खास जामदा माइंस : श्रीराम मिनरल्स, बालाजी माइंस : मेसर्स अनिल खिरवाल, बिहार माइंस : मेसर्स एनके-पीके, अजीताबुरु माइंस (सेल), बुद्धाबुरु माइंस : मेसर्स सेल मैकलेलन, सुकरी आयरन ओर माइंस (सेल), किरीबुरु लीज- 2 (सेल), किरीबुरु लीज-3 (सेल), टेलिंग रांगरिंग डैम मेघाहातुबुरु (सेल), सेल लीज- 5 कुमडीह डैम, जेराल्डाबुरु माइंस : मेसर्स जेएसपीएल, दिशुमबुरु माइंस : मेसर्स इलेक्ट्रो स्टील, अंकुवा : मेसर्स जेएसडब्लू. इसके अलावा आर्सेनल मित्तल, जिंदल जैसी दर्जनों ऐसी कंपनियां है जिसे सारंडा में लौह अयस्क का खनन के लिए लीज देने संबंधी पूर्व की सरकार के साथ एमओयू की थी.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें