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झारखंड में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति पर सालखन मुर्मू ने सत्ता पक्ष और विपक्ष पर साधा निशाना

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने 1932 के खतियान अाधारित स्थानीय नीति को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष पर निशाना साधा. कहा कि दोनों राज्य की जनता को बरगलाने का काम कर रही है. उन्होंने सरना कोड लागू करने को लेकर 30 नवंबर, 2022 को रेल और सड़क जाम करने की बात कही.

Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर में पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड की हेमंत सरकार और विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर राज्य की जनता का बरगलाने का काम कर रही है. वहीं, सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर देश के पांच राज्यों में रेल और सड़क चक्का जाम करने की बात कही.

स्थानीय नीति के नाम पर जनता को बरगलाया जा रहा

चक्रधरपुर के वन विश्राामागार में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि 1932 आधारित खतियान में झामुमो राजनीतिक स्टेंड अपना रही है. कहा कि राज्य की सत्ता पार्टी झामुमो-कांग्रेस-राजद ही नहीं, विपक्षी दल भाजपा-आजसू भी 1932 के खतियान को लेकर यहां की जनता को बरगला रही है, जबकि 1932 खतियान झामुमो सरकार की राजनीतिक स्टैंड है.

आदिवासी समुदाय का अब तक नहीं हुआ भला

श्री मुर्मू ने कहा कि कुर्मी को एसटी बनाने का मतलब आदिवासियों के लिए फांसी का फंदा बनाने जैसा है. JMM पर निशाना साधते हुए कि कहा कि वोट की लालच में कुर्मी महतो जाति को आदिवासी या एसटी बनाने का प्रत्यक्ष समर्थन किया है, जिसका असर ओड़िशा और बंगाल में भी पड़ा है. वहीं, बीजू जनता दल और टीएमसी भी दोषी है. उन्होंने कहा कि राज्य और आदिवासियों की पिछड़ापन में झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी सबसे अधिक दोषी है, क्योंकि चार दशकों से आदिवासियों का अब तक भला नहीं हुआ है.

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सरना धर्म कोड मान्यता के लिए 30 नवंबर को रेल और सड़क चक्का जाम होगा

आदिवासी सेंगेल अभियान झारखंड और वृहद झारखंड क्षेत्र में आदिवासी हितों की रक्षा के लिए जेएमएम, बीजेडी और टीएमसी के खिलाफ सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष को मजबूर है. इसके लिए सेंगेल को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर भरोसा है. उनके सहयोग से आगे के संघर्ष को सफल बनाने के लिए विचाररत है. सालखन मुर्मू ने कहा कि केंद्र सरकार अगर सरना धर्म कोड की मान्यता पर सकारात्मक संकेत देने को तैयार है, तो सेंगेल खुलकर भाजपा को साथ देने के लिए तैयार है अन्यथा सेंगेल, सरना धर्म कोड मान्यता के लिए 30 नवंबर, 2022 को पांच प्रदेशों में रेल रोड चक्का जाम को मजबूर है.

ऐतिहासिक रहा कोलकाता रैली

उन्होंने कहा कि गत 30 सितंबर, 2022 का सरना धर्म कोड कोलकाता रैली ऐतिहासिक सफल थी, जिसमें पांच प्रदेशों से लगभग एक लाख सेंगेल समर्थक आदिवासी के साथ-साथ रांची से सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा, शिक्षाविद डॉ करमा उरांव, विद्यासागर केरकेट्टा के शामिल होने से आदिवासी एकता और आंदोलन बहुत मजबूत हुआ है. प्रेस कांफ्रेंस में तिलका मुर्मू, कविराज मुर्मू, सूबेदार बिरुआ, प्रेमशीला मुर्मू, मुरारी अल्डा, राजनाथ हेंब्रम, ललित मोहन टुडू, धनंजय हेंब्रम, श्रीसिंह मार्डी, खेला मुर्मू, साइमन लागुरी, मोहन सिंह दोंगो आदि मौजूद थे.

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