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झारखंड का एक ऐसा अनुमंडल जहां ब्लड बैंक की नहीं है सुविधा, एक यूनिट के लिए 26 किमी तय करनी पड़ती है दूरी

पश्चिमी सिंहभूम का चक्रधरपुर अनुमंडल. इस अनुमंडल में आठ लाख की आबादी है. इसके बावजूद यहां एक ब्लड बैंक की जरूरत है. खून की कमी से जूझने वाले गंभीर मरीजों को रेफर किया जाता है. जरूरत पड़ने पर मरीजों को जमशेदपुर व चाईबासा रेफर किया जाता है.

Jharkhand News: आठ लाख से अधिक आबादी वाले पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर अनुमंडल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है. ब्लड बैंक नहीं रहने के कारण खून की कमी से जूझने वाले गंभीर मरीजों को रेफर किए जाने का सिलसिला जारी है. सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी लोगों को खून की कमी के कारण आए दिन बाहर रेफर कर दिया जाता है. जिले में एकमात्र ब्लड बैंक चाईबासा में है, जो चक्रधरपुर से 26 किलोमीटर दूर है. इस कारण समय पर खून नहीं मिलने से कई बार मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है. साथ ही रेफर होने की स्थिति में मरीज के परिजनों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है.

ब्लड बैंक की प्रक्रिया धीमी

रेलवे अस्पताल में एक साल पहले जिस रफ्तार से ब्लड बैंक का शुभारंभ हुआ और उपकरणों की खरीदारी की गयी. उस अनुसार छह माह पहले ही ब्लड बैंक का संचालन शुरू हो जाना था. परंतु साल भर के बाद भी ब्लड बैंक संचालन के लिए लाइसेंस नहीं मिल सका है. रेलवे अस्पताल लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रक्रिया व शर्तों को पूरा करने में जुटा है. जिला स्तर पर धीमी प्रक्रिया के कारण ब्लड बैंक के संचालन में अभी और समय लग सकता है.

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एक साल से बेकार पड़े हैं उपकरण

ब्लड बैंक के लिए विधायक निधि से 24 लाख रुपये की लागत से उपकरणों की खरीदारी की गयी है. सभी उपकरण अत्याधुनिक हैं. अत्याधुनिक उपकरणों से खून की तमाम जांच व रिपोर्ट तैयार की जायेगी. इसके लिए लैब टेक्नीशियनों को प्रशिक्षण देना होगा.

रेलवे अस्पताल में मैन पावर की कमी

रेलवे अस्पताल में मैन पावर की काफी कमी है. इसे रेलवे अस्पताल प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है. रेलवे ब्लड बैंक को निजी हाथों में नहीं देना चाहती है. पर मैन पावर की कमी के कारण इसकी शुरुआत नहीं की जा सकी है. रेलवे दूसरे जगहों से टेक्नीशियनों को लाने की तैयारी में है. रेलवे अस्पताल प्रबंधन ने मैन पावर के लिए वरीय अधिकारियों को पत्र प्रेषित किया है.

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जिला स्वास्थ्य विभाग से मिलेगा फर्नीचर

जिला स्वास्थ्य विभाग से रेलवे अस्पताल को फर्नीचर उपलब्ध कराया जाना है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रेलवे अस्पताल का जायजा भी लिया है. साथ ही जल्द फर्नीचर उपलब्ध कराने की बात कही है. वहीं, ड्रग्स इंस्पेक्टर ब्लड बैंक स्थल व उपकरणों का जायजा लेंगे. इसे लेकर रेलवे अस्पताल को अवगत कराया गया है.

शहरवासियों की बहुप्रतीक्षित मांग है ब्लक बैंक

ब्लड बैंक चक्रधरपुर के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग है. चक्रधरपुर के लोगों ने रक्तदान कर सबसे अधिक रक्त संग्रह करने का रिकॉर्ड बनाया है. जरूरतों को देखते हुए आये दिन रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है.

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ब्लड बैंक शुरू करने को लेकर रेलवे प्रयासरत

रेलवे अस्पताल के सहायक सीएमएस डॉ श्याम सोरेन ने कहा कि ब्लड बैंक जल्द शुरू हो, इसके लिए रेलवे प्रयासरत है. लाइसेंस के नियम व शर्तों को पूरा किया जा रहा है. जिला से फर्नीचर मिलेगा. ड्रग इंस्पेक्टर भी ब्लड बैंक का जायजा लेने वाले हैं. इससे जिला स्तरीय कागजी प्रक्रिया पूरी होगी. इसके बाद नयी दिल्ली लाइसेंस के लिए आवेदन भेजा जायेगा. इसके बाद नयी दिल्ली की टीम स्थल का जायजा लेगी. यह जटिल प्रक्रिया है, कुछ समय लगेगा.

चक्रधरपुर में पांच साल में 9767 यूनिट रक्त संग्रह

चक्रधरपुर में दर्जनों सामाजिक संस्थाओं द्वारा प्रत्येक वर्ष शिविर लगाकर हजारों यूनिट रक्त संग्रह किया जाता है. इसके बाद भी यहां के लोगों को जमशेदपुर व चाईबासा पर आश्रित रहना पड़ता है. कोल्हान में सबसे अधिक रक्त संग्रह करने वाला शहर चक्रधरपुर है. पर यहां के लोगों को रक्त की जरूरत पड़ने पर मोटी रकम खर्च कर जमशेदपुर या चाईबासा जाना पड़ता है. चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल व रेलवे अस्पताल में संभावना होने के बाद भी रक्त नहीं रखा जाता है.

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पांच वर्षों में किया गया रक्त संग्रह

  • वर्ष 2018-19 में 2275 यूनिट

  • वर्ष 2019-20 में 2022 यूनिट

  • वर्ष 2020-21 में 2018 यूनिट

  • वर्ष 2021-22 में 1444 यूनिट

  • वर्ष 2022-22 में 2007 यूनिट

रक्त संग्रह करने वाली संस्थाएं

श्री श्री शिरडी साईं भक्त मंडल, भगेरिया फाउंडेशन, बेंगोली एसोसिएशन, सुमिता होता फाउंडेशन, गिरिराज सेना, झारखंड ग्रामीण चिकित्सा संघ, सरस्वती देवी मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट, मारवाड़ी युवा मंच.

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चक्रधरपुर में ब्लड स्टोरेज यूनिट नहीं

भगेरिया फाउंडेशन के विनोद भगेरिया ने कहा कि रक्त संग्रह में चक्रधरपुर विशिष्ट स्थान रखता है. परंतु दुर्भाग्य है कि यहां ब्लड स्टोरेज यूनिट नहीं है. शहर वासियों को समय पर रक्त नहीं मिल पाता है. प्रत्येक वर्ष 2000 से 2300 यूनिट रक्त संग्रह कर चाईबासा भेजा जाता है. ब्लड बैंक नहीं रहने से मरीजों की जान पर बन जाती है. वहीं, बेंगोली एसोसिएशन के प्रदीप मुखर्जी ने कहा कि चक्रधरपुर में ब्लड बैंक की मांग लंबे समय से की जा रही है. अभी तक ब्लड बैंक की स्थापना नहीं होना यहां के लोगों के लिए दुर्भाग्य की बात है. मरीज को ब्लड की जरूरत पड़ने पर कई घंटे बाद मुहैया हो पाता है. शहर में ब्लड बैंक की जल्द स्थापना हो.

चक्रधरपुर में एक अदद ब्लड बैंक की जरूरत

श्री श्री शिर्डी साईं भक्त मंडल के आर श्रीकांत राव का कहना है कि चक्रधरपुर के रक्तदाता जागरूक हैं. पर यहां के जिम्मेदार लोग ब्लड बैंक के लिए सकारात्मक पहल नहीं कर रहे हैं. कई वर्षों से ब्लड बैंक स्थापना को चर्चा होती है, पर कुछ दिनों के बाद मामला शांत पड़ जाता है. शहर में ब्लड बैंक की स्थापना जल्द हो. वहीं, ग्रामीण चिकित्सा संघ के डॉ जेजे षाड़ंगी का कहना है कि चक्रधरपुर में ब्लड बैंक होना अति आवश्यक है. चक्रधरपुर, बंदगांव, सोनुआ, गोइलकेरा, मनोहरपुर, आनंदपुर के मरीजों को रक्त की जरूरत पड़ने पर भारी परेशानी होती है. शहर में हजारों यूनिट रक्त संग्रह होता है. लेकिन उसे सुरक्षित रखने के लिए ब्लड बैंक नहीं है. 

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