World Cup Stories : 1983 में जब भारत ने विश्वकप जीता, तो इसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी. भारतीय क्रिकेट फैंस भी इस बात की उम्मीद नहीं कर रहे थे कि टीम विश्वकप लेकर आएगी. लेकिन कपिल देव के एरा में यह संभव हुआ. जब भारतीय टीम विश्वकप जीतकर स्वदेश लौटी तो बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के लिए प्राइज मनी घोषित की थी एक-एक लाख रुपए, लेकिन बीसीसीआई जो आज दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है उसके पास खिलाड़ियों को देने के लिए मैच फीस के पैसे भी नहीं थे.
बीसीसीआई के बारे में यह खुलासा वाॅयस ऑफ इंडियन क्रिकेट कहे जाने वाले कमेंटेटर हर्षा भोगले ने रविचंद्रन अश्विन के यू-ट्यूब पर किया है. उन्होंने ‘कुट्टी स्टोरीज विद ऐश’ में बताया कि खिलाड़ियों को पैसे देने के लिए उस वक्त लता मंगेशकर से राज सिंह डुंगरपुर ने मुंबई या दिल्ली में लाइव कंसर्ट कराया था, तब जाकर खिलाड़ियों को पैसे दिए गए थे. राज सिंह डुंगरपुर और लता मंगेशसकर के बीच गहरी दोस्ती थी और लता मंगेशकर क्रिकेट फैन भी थीं, इसलिए उन्होंने यह शो किया था. हर्षा भोगले ने बताया कि 1983 के विश्वकप में बीसीसीआई के अध्यक्ष एनकेपी साल्वे को फाइनल का टिकट नहीं दिया गया था और ना ही उन्हें अन्य अधिकारियों के लिए कोई अतिरिक्त टिकट मिला था, ऐसे में एनकेपी साल्वे ने 1987 का विश्वकप भारत में आयोजित कराने का ठाना और इसमें पाकिस्तान से भी उन्हें मदद मिली.
संसद में दी गई एक जानकारी के अनुसार बीसीसीआई ने वित्तीय वर्ष 2017 से 2022 के बीच 27,411 करोड़ कमाए और 4,298 करोड़ रुपये टैक्स दिए हैं. आज स्थिति यह है कि बीसीसीआई अपने ग्रेड A प्लस के खिलाड़ियों को 7 करोड़, ए को 5 करोड़, बी को 3 करोड़ और सी को 1 करोड़ का सालाना कॉन्ट्रेक्ट देता है. साथ ही इन खिलाड़ियों को मैच के दौरान मैच फीस भी अलग से दी जाती है जो टेस्ट मैच के लिए 15 लाख, वनडे के लिए 6 लाख और टी-20 मैच के लिए 3 लाख रुपये है.