संदर्भ : श्रीलंका ने पाकिस्तान को 23 रन से हराकर एशिया कप जीता.
1996 में श्रीलंका ने एकदिवसीय वर्ल्ड कप जीता था और जीत के बाद उस समय के कप्तान अर्जुना रणतुंगा से पूछा गया कि आपकी टीम के जीत का राज क्या है, उन्होंने कहा कि उनकी टीम में कोई जीनियस नहीं है, लेकिन सभी खिलाड़ी बढ़िया हैं और इससे टीम एक सूत्र में बंधी और जीत मिली. जीनियस के सहारे कोई भी टीम इक्का दुक्का मैच जीत सकती है, लेकिन लगातार जीत के लिए टीम के 11 खिलाड़ी का खेलना जरूरी होता है.
हालांकि, उस जीत के बाद वर्ल्ड क्रिकेट को श्रीलंका टीम से मुथैया मुरलीधरन, सनथ जयसूर्या, दिलीप मेंडिस, चामिंडा वास जैसे कई नये सुपरस्टार मिले. आज भी एशिया कप में वही कहानी दुहरायी गयी. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले भारत और पाकिस्तान को एशिया कप जीतने के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा था क्योंकि दोनों टीमों में एक से एक बड़े नाम थे, श्रीलंका की टीम को कहीं रेस में भी नहीं माना जा रहा था.
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भारत की टीम में विराट कोहली, रोहित शर्मा, लोकेश राहुल, हार्दिक पांड्या, ऋषभ पंत, सूर्यकुमार यादव, युजवेंद्र चहल जैसे बड़े नाम, पाकिस्तान की टीम में भी बाबर आजम, मोहम्मद रिजवान, कई बिग हिटर्स और 150 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेकने वाले कई युवा गेंदबाज. इसके बरक्श श्रीलंका की टीम में भी कोई भी सुपर स्टार नहीं था.
महिला जयवर्धने, कुमार संगकारा, मुथैया मुरलीधरन और कई अन्य बड़े खिलाड़ियों के संन्यास लेने के बाद नयी टीम के बनने का संक्रमण काल चल रहा था. पिछले 3-4 साल से लगातार हारती श्रीलंका की टीम. ये भी कहा जाने लगा था कि श्रीलंका में अब क्रिकेट का स्तर गिर गया है. लेकिन उम्मीद के विपरीत एशिया कप में पहला मैच अफगानिस्तान से हारने के बाद श्रीलंका टीम एकजुट हुई. एक -एक खिलाड़ी ने बेहतरीन प्रदर्शन करना शुरू किया और टीम लगातार जीतते गयी. लगा कि कुछ जीनियस नहीं टीम खेल रही है और इस श्रीलंका की टीम ने पूरे देश में निराशा के बीच मुस्कुराने का एक मौका दिया है.