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Cricket, South Africa: फिर हारे चोकर्स, आखिर कैसे लगा ये धब्बा?

Cricket: लगातार अच्छा खेलने वाली टीम अपने सभी मैच जीतती है, लेकिन फाइनल मैच में आकर उसकी नाव डूब जाती है. दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट की कहानी ऐसी ही है. उनके ऊपर लगा चोकर्स का धब्बा उतरने का नाम ही नहीं ले रहा. आइए जानते हैं कैसे लगा उसके ऊपर यह चोकर्स (Chockers) का धब्बा.

T20 World Cup 2024: इस बार की गर्मियों में तारीख 29 जून 2024 को भारत ने टी20 विश्वकप का फाइनल मैच जीता. दक्षिण अफ्रीका की टीम पहली बार किसी क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थी. एक समय के लिए वह मैच अफ्रीकन टीम के हिस्से में जाता दिख रहा था, लेकिन अंत में भारत ने 7 रनों से जीत हासिल कर दूसरी बार विश्वकप जीता और साउथ अफ्रीका का सपना तोड़ दिया. ज्यादा समय नहीं लगा जब प्रोटियाज टीम को इसी साल दोबारा विश्वकप जीतने का मौका आया. उसकी महिला टीम भी टी20 विश्वकप के फाइनल में पहुंची. बीती रात न्यूजीलैंड के खिलाफ द. अफ्रीकी टीम के पास अपना चोकर्स का धब्बा मिटाने का बेहतरीन मौका था, लेकिन आज भी उनका दिन नहीं था. न्यूजीलैंड की टीम ने 33 रन से मैच जीत कर द. अफ्रीकी जनता का दिल तोड़ दिया.

बारिश हुई और प्रोटियाज की किस्मत बह गई

1992 में क्रिकेट में वापसी के बाद विश्व कप सेमीफाइनल में द. अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच मैच हुआ. दक्षिण अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रन की जरूरत थी, लेकिन तभी बारिश आ गई और अंपायर्स ने मैच रोक दिया. बारिश के बाद जब मैच शुरू हुआ तो उस समय के नियम के अनुसार पहले बैटिंग करने वाली टीम के सबसे कम रन वाले ओवर के अनुपात में रन बनाने का लक्ष्य दिया जाता था. लेकिन यह नियम द. अफ्रीका के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ. बारिश रुकने के बाद जब मैच शुरू हुआ तो स्कोर बोर्ड पर 1 गेंद पर 22 रन का लक्ष्य टंग गया. यहां से अफ्रीका के चोकर्स बनने की शुरुआत हुई.

इसके बाद तो जैसे खराब किस्मत की लाइन लग गई...

1999: स्टीव वॉ की चालाकी और एलन डोनाल्ड रन आउट

1999 के विश्वकप के सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका के साथ फिर किस्मत ने धोखा किया. ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए इस मैच में द. अफ्रीका को 214 रन की चुनौती थी. 48वें ओवर के बाद प्रोटीज टीम को 12 गेंद में 18 रन की दरकार थी. 49 वें ओवर में अफ्रीकन टीम ने 9 रन बनाए. अंतिम ओवर में 9 विकेट खो चुकी द. अफ्रीका को 9 रन चाहिए थे. क्रीज पर लांस क्रूजनर थे, पहली गेंद पर 1 रन बनाने के बाद स्टीव वॉ ने टेलेंडर एलन डोनाल्ड को दबाव में ला दिया. वह किसी भी तरह सिंगल लेना चाहते थे और चौथी गेंद पर उन्होंने वही गलती की. सिंगल लेने के चक्कर में वह रन आउट हो गए और द. अफ्रीका फाइनल से बाहर हो गया.

2003 में फिर बारिश और डकवर्थ लुइस का संशय

2003 विश्व कप में, दक्षिण अफ्रीका को सुपर आठ में जाने के लिए अपने आखिरी ग्रुप स्टेज मैच में जीत की जरूरत थी. श्रीलंका के खिलाफ, बारिश ने प्रोटीज को लक्ष्य का पीछा करने में बाधा डाली और क्रीज़ पर मार्क बाउचर को संदेश स्पष्ट नहीं था. आखिरी गेंद पर, उन्हें डीएलएस स्कोर से आगे निकलने के लिए एक रन की जरूरत थी, लेकिन बाउचर ने एक डॉट बॉल खेली और मैच टाई पर समाप्त हुआ क्योंकि बारिश के कारण आगे कोई खेल नहीं हुआ और एक बार फिर प्रोटियाज एक जरूरी मैच हार गए.

2007: वर्ल्ड कप में एक खराब दिन

2007 के वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल मैच में भी द. अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी. उस मैच में ग्लेन मैक्ग्रा और शॉन टैट ने साउथ अफ्रीका को 149 के कुल स्कोर पर आउट करने में महती भूमिका निभाई थी. 

2011 के क्वार्टर फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 222 रनों का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीकन टीम एक समय पर 3 विकेट पर 108 रन बना चुकी थी, लेकिन उसके बाद सिर्फ 64 रन जोड़कर सारी टीम पवेलियन लौट गई.

2015 वर्ल्ड कप, बारिश और फिर से डकवर्थ लुइस

किस्मत खराब होना इसी को कहते हैं. द. अफ्रीका एक बार फिर सेमी फाइनल में पहुंचा. उसके सामने फिर से कीवी टीम थी. साउथ अफ्रीका ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 43 ओवर में 281 रनों का स्कोर खड़ा किया. लेकिन एक अहम मौके पर द. अफ्रीका के फील्डर्स ने कैच छोड़ कर न्यूजीलैंड को जीत थमा दी.  

दक्षिण अफ्रीका की टीम में आज तक महान खिलाड़ियो ने खेल कर उसको यहां तक पहुंचाया है. जैक कैलिस, ग्रीम स्मिथ, गैरी कस्टर्न, हर्शेल गिब्स, ए बी डिविलियर्स, मोर्ने मोर्कल, जोंटी रोड्स, लांस क्रूजनर और भी अनेक विश्वस्तरीय खिलाड़ी इस अफ्रीकन टीम की शोभा बढ़ा चुके हैं. लेकिन इस टीम ने आज तक कोई भी बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीता है. पहली बार किसी फाइनल का सफर करने वाली यह अफ्रीकी टीम भविष्य में कोई टूर्नामेंट जीते तो उसके ऊपर से यह चोकर्स का धब्बा मिटे.

 

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