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England vs India: इंग्लैंड में एक बार फिर भारतीय दर्शकों के साथ नस्ली दुर्व्यवहार, बवाल के बाद जांच शुरू

एक भारतीय दर्शक ने कई ट्वीट करते हुए लिखा, एजबस्टन के ब्लॉक 22 एरिक होलीस में भारतीय प्रशंसकों के साथ नस्ली दुर्व्यवहार किया गया. लोगों ने हमें अपशब्द कहे. हमने वहां मौजूदा कर्मचारियों को इसकी जानकारी दी और उन्हें दोषियों को कम से कम 10 बार दिखाया लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

भारत और इंग्लैंड (England vs India) के बीच एजबस्टन में पांचवें टेस्ट के चौथे दिन के खेल के दौरान भारतीय प्रशंसकों ने नस्ली दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. जिसके बाद इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) और वारविकशर काउंटी क्रिकेट क्लब सक्रिय हो गया और मामले की जांच भी किया.

भारतीय दर्शकों का आरोप ब्रिटेन के कुछ फैन्स ने किया नस्ली टिप्पणी

भारत-इंग्लैंड मैच के दौरान कई भारतीय प्रशंसकों ने चौथे दिन के खेल के दौरान अन्य प्रशंसकों के नस्ली बर्ताव की जानकारी सोमवार रात ट्विटर पर साझा की. उन्होंने दावा किया कि ब्रिटेन के कुछ प्रशंसकों ने उनके प्रति नस्ली टिप्पणी की. यॉर्कशर के पूर्व क्रिकेटर अजीम रफीक ने नस्ली बर्ताव की जानकारी देने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को रीट्वीट किया. ब्रिटेन की संसदीय समिति के समक्ष पिछले साल रफीक की गवाही के बाद यॉर्कशर में संस्थागत नस्लवाद के दावों की जांच हुई थी और बड़े सुधारवादी कदम उठाए गए थे. रफीक ने कहा, यह पढ़कर निराश हूं.

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भारतीयों के नस्ली टिप्पणी के आरोप पर एजबस्टन ने खेद जताया

एजबस्टन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने रफीक के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, यह पढ़कर हमें बेहद खेद है और हम इस तरह के बर्ताव को माफ नहीं करेंगे. हम जल्द से जल्द इसकी जांच करेंगे. वारविकशर ने बाद में बयान जारी करके कहा कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं. एजबस्टन के मुख्य कार्यकारी स्टुअर्ट केन ने कहा, इस तरह की खबरों से मैं निराश हूं क्योंकि हम एजबस्टन को सभी के लिए सुरक्षित और स्वागत योग्य माहौल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

भारतीय दर्शकों ने किया ऐसा ट्वीट

एक भारतीय दर्शक ने कई ट्वीट करते हुए लिखा, एजबस्टन के ब्लॉक 22 एरिक होलीस में भारतीय प्रशंसकों के साथ नस्ली दुर्व्यवहार किया गया. लोगों ने हमें अपशब्द कहे. हमने वहां मौजूदा कर्मचारियों को इसकी जानकारी दी और उन्हें दोषियों को कम से कम 10 बार दिखाया लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और हमें अपनी सीट पर बैठने को कहा गया. उन्होंने लिखा, हमें अपने साथ मौजूद महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का भी डर था लेकिन जब हम बाहर निकले तो हमें कोई सहायता प्रदान नहीं की गई. आज के समाज में यह अस्वीकार्य है.

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