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बस, ट्रक, ट्रैक्टर चलाया है, जमीन ने जुड़ा आदमी हूं, जानें मोहम्मद शमी ने क्यों कही यह बात

मोहम्मद शमी ने जिंदगी की तमाम परेशानियों से जूझते हुए अपने जीवन को क्रिकेट में झोंक दिया. उन्होंने वह उपलब्धि भी हासिल की जो बड़े-बड़े के लिए सपना होता है. इसी वर्ल्ड कप में शमी ने गोल्डन बॉल का खिताब अपने नाम किया, जबकि शुरुआती चार मुकाबलों में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला.

क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में भले ही भारत हार गया हो, लेकिन मोहम्मद शमी के योगदान को कोई भुला नहीं सकता. इस वर्ल्ड कप के बाद मोहम्मद शमी भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे चर्चित खिलाड़ी बन गए हैं. शुरुआती चार मुकाबलों में बेंच पर बैठने के बाावजूद उन्होंने 24 विकेट के साथ गोल्डन बॉल अपने नाम किया. जिस गेंदबाजी लाइन में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, रवींद्र जड़ेजा जैसे सितारे थे उन सब के बीच मोहम्मद शमी की चमक सबसे ज्यादा थी. उन्होंने क्रिकेट विश्व कप सेमीफाइनल में सात विकेट भी चटकाए. यह वनडे में भारतीय क्रिकेट टीम के किसी खिलाड़ी के लिए पहली बार था.

शमी को मछली पकड़ने का है शौक

उत्तर प्रदेश में पले-बढ़े मोहम्मद शमी शुरुआत से ही काफी विनम्र थे. भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने से पहले उन्होंने बंगाल के लिए राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट खेला. मोहम्मद शमी ने हाल ही में अपने शौक और अपने बड़े होने के साल के बारे में खुलासा किया. उन्होंने प्यूमा के यूट्यूब चैनल पर कहा, ‘मुझे यात्रा करना, मछली पकड़ना पसंद है. मुझे गाड़ी चलाना बहुत पसंद है. मुझे बाइक और कार चलाना पसंद है. लेकिन भारत के लिए खेलने के बाद, मैंने बाइक चलाना बंद कर दिया है. अगर मैं घायल हो गया तो क्या होगा? कभी-कभी गांव में होता हूं तो मैं राजमार्गों पर बाइक चलाता हूं.

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ट्रैक्टर चलाने के लिए पिता से खाई डांट

शमी ने अपने पुराने दिन याद करते हुए कहा कि जमीन से ही आया हूं. खेतों की जो पगडंडी होती है मैंने वहां ट्रैक्टर चलाया है. बस, ट्रक चलाए हैं. मेरे एक स्कूल के दोस्त के घर में एक ट्रक था. उसने मुझे चलाने के लिए कहा. मैं तब छोटा था और एक मैदान पर गाड़ी चला रहा था. मैंने अपना ट्रैक्टर भी तालाब में चला दिया था. तब मेरे पिता ने मुझे डांटा था. उसी साक्षात्कार में, उन्होंने खुलासा किया कि उत्तर प्रदेश के लिए चयन ट्रायल के दौरान, उनके भाई ने मुख्य चयनकर्ता से बात की थी कि उनका चयन क्यों नहीं हो रहा है, लेकिन उनके जवाब ने उन्हें चौंका दिया.

चयनकर्ता की दबंगई

चयनकर्ता ने उनके भाई से कहा कि अगर मेरी कुर्सी हिला सकते हो तो लड़का सिलेक्ट हो जाएगा, बहुत अच्छा है, वरना सॉरी. मेरे भाई ने एक जवाब दिया कि कुर्सी हटाना भूल जाओ. मैं इसे उलटा कर सकता हूं, इतनी शक्ति है मुझमें. लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता, अगर मेरे भाई में क्षमता है तो चयन करना चाहिए. उनसे कहा गया कि क्षमता वाले लोग यहां किसी काम के नहीं हैं. मेरे भाई ने फॉर्म फाड़ दिया और कहा कि आज के बाद हम यूपी क्रिकेट में शामिल नहीं होंगे. वह यूपी क्रिकेट में मेरा आखिरी दिन था.

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बंगाल से खेल शमी

शमी ने आगे बताया कि फिर मैं 14-15 साल की उम्र में कलकत्ता चला गया. मैंने अपने कोच से बात की. मैं दृढ़ हो गया कि मुझे खेलना है. मुझे बहुत अनुभव मिल रहा था. तीन-चार साल के बाद, मैं अरुण लाल अकादमी में गया. यह सीमेंट की पिच थी. रन-अप के लिए जगह कम थी. मुझे आश्चर्य हुआ. लेकिन फिर भी मैंने गेंदबाजी की. फिर उन्होंने मुझे दोपहर का भोजन करने के लिए कहा. मैं आश्चर्यचकित नहीं था क्योंकि उन्होंने ब्रेक दिया और छोले की सब्जी दी. मैंने सोचा कि मैं चावल और दाल ले लूंगा.

शमी ने झेली कई मुश्किलें

शमी ने याद दिलाया कि मुझे अनुभव मिला और एक क्लब से ऑफर मिला, लेकिन वे भुगतान नहीं कर रहे थे. संघर्ष चलता रहा और फिर एक दिन क्लब के एक अधिकारी ने मुझे 25,000 रुपये दिए. बता दें कि शमी को कई प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ा है. उन्होंने प्यार की वजह से एक चीयर लीडर्स हसीन जहां से शादी की. लेकिन कुछ साल के बाद ही उसने शमी पर शारीरिक शोषण और दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया. लेकिन शमी सभी परेशानियों से जूझते हुए आज भी टीम इंडिया के अभिन्न अंग हैं.

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