बीस साल की उम्र में 2007 में दक्षिण अफ्रीका में जब रोहित शर्मा ने अर्धशतक जड़ा था तब यह अंदाजा लग गया था कि इस खिलाड़ी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. उस साल टी20 विश्व कप में भारतीय टीम की औसत आयु 26 साल थी और उस टीम ने खिताब जीतकर क्रिकेट के मायने बदल दिये थे. इस विश्व कप से पहले तक भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) इस प्रारूप को अपनाने से कतरा रहा था लेकिन टी20 विश्व कप खिताब ने इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत की नींव रखी. टी20 विश्व कप के शुरुआती सत्र के 15 साल के बाद एक बार फिर से भारतीय टीम खेल के सबसे छोटे अंतरराष्ट्रीय प्रारूप में विश्व विजेता बनने के मकसद से ऑस्ट्रेलिया पहुंची है. इस बार टीम की कमान हालांकि रोहित के पास है और इसकी औसत आयु 30 साल से ज्यादा है.
रोहित शर्मा (कप्तान) : इंडियन प्रीमियर लीग का पांच खिताब जीतने वाले रोहित ने राष्ट्रीय स्तर की द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में टीम को शानदार सफलता दिलायी है. शीर्ष क्रम में वह शानदार बल्लेबाज रहे हैं और कलात्मक तरीके से बड़े शॉट खेलने में उनका कोई जवाब नही.
केएल राहुल (उप कप्तान) : समकालीन समय में सबसे कलात्मक खिलाड़ियों में से एक लेकिन भारत के शीर्ष क्रम में सबसे कमजोर कड़ी. मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के पसंदीदा लोकेश राहुल अक्सर अपने स्ट्राइक-रेट से जूझते रहे हैं. उनके पास इस खेल के सभी शॉट्स हैं लेकिन अहम मैचों में उनका बल्ला ज्यादातर खामोश ही रहा है. भारत के शुरुआती मैच में वह पाकिस्तान के प्रमुख तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी से कैसे निपटते हैं यह देखना दिलचस्प होगा.
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विराट कोहली : कोहली किसी भी प्रतिद्वंद्वी टीम के लिए सबसे बड़ा खतरा बने रहेंगे. उनके लिए सबसे अच्छी बात यह है कि वह लय में आ गये हैं और एशिया कप के दौरान अपने पुराने रंग में दिखे. मैच की शुरुआती आठ-दस गेंदों के बाद उन्हें रोकना मुश्किल होगा.
सूर्यकुमार यादव : मैदान के हर क्षेत्र में शॉट खेलने की क्षमता उन्हें खास बनाती है. टी20 क्रिकेट में 176 का स्ट्राइक रेट उन्हें इस प्रारूप का सबसे खतरनाक खिलाड़ी बनाता है. उन्होंने 34 मैचों में नौ अर्धशतक और एक शतक लगाया है. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की मजबूत गेंदबाजी के खिलाफ उन्होंने सहजता से रन बनाये.
हार्दिक पंड्या : टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी की अहम कड़ी. हार्दिक ऐसे ऑलराउंडर हैं जिसकी भारतीय टीम को हमेशा से जरूरत रही है. आक्रामक बल्लेबाजी के साथ बीच के ओवरों में तेज गेंदबाजी से उन पर कुछ विकेट निकालने की जिम्मेदारी होगी. वह टीम में फिनिशर की भूमिका भी निभायेंगे.
ऋषभ पंत : इस विकेटकीपर बल्लेबाज का 62 मैचों में 127 का स्ट्राइक-रेट उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं करता. आक्रमण और संभल कर खेलने के बीच भ्रम की स्थिति का उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.
दिनेश कार्तिक : भारतीय क्रिकेट टीम के पहले टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच को खेलने वाले कार्तिक प्रतिभा के मामले में पंत से काफी पीछे है लेकिन फिनिशर की भूमिका को शानदार तरीके से निभाने के कारण वह इस टीम के अहम सदस्य हैं.
रविचंद्रन अश्विन : खेल में नये तरीकों को ढूढने के लिए पहचाने जाने वाले अश्विन इस प्रारूप में कई बार टीम से अंदर-बाहर होते रहे है. बायें हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ शानदार रिकॉर्ड के कारण वह पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीम के खिलाफ अच्छा विकल्प होंगे.
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अक्षर पटेल : रवींद्र जडेजा की जगह टीम में आये अक्षर ने हाल के दिनों में शानदार गेंदबाजी की है लेकिन बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण के मामले में वह जडेजा जितना बेहतर नहीं हैं.
युजवेंद्र चहल : पिछले एक साल में चहल की गेंदबाजी में निरंतरता नहीं रही है. खराब लय में होने के कारण वह पिछले टी20 विश्व कप टीम से बाहर हो गये थे लेकिन लय आने के बाद टीम में वापसी करने में सफल रहे. ऑस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों में हालांकि कलाई के स्पिनरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है.
भुवनेश्वर कुमार : इस में कोई संदेह नहीं की भुवनेश्वर कुमार ने अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेल लिया है. पिछले कुछ मैचों में आखिरी ओवरों में उनकी गेंदबाजी लचर रही है लेकिन अनुभव के मामले में वह भारत के अन्य तेज गेंदबाजों से आगे है.
मोहम्मद शमी : जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने के बाद मुख्य टीम में आये शमी ने पिछले टी20 विश्व कप के बार इस प्रारूप का कोई अंतरराष्ट्रीय मुकाबला नहीं खेला है लेकिन आईपीएल में गुजरात टाइटन्स के अच्छे प्रदर्शन से वह राष्ट्रीय टीम (टी20) में वापसी करने में सफल रहे.
अर्शदीप सिंह : ज्यादा अनुभवी नहीं है लेकिन आईपीएल में प्रभावित करने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सीमित मौके पर खुद को साबित करने में सफल रहे है. बायें हाथ के तेज गेंदबाज होने के कारण टीम में विविधता प्रदान करते हैं.
हर्षल पटेल : कौशल के मामले में मौजूदा भारतीय टीम के सबसे शानदार तेज गेंदबाज है लेकिन अच्छा प्रदर्शन के लिए पिच से मदद पर निर्भर रहते हैं. हर्षल के बाद बल्ले से बड़े शॉट खेलने की क्षमता भी है.
दीपक हुड्डा : हुड्डा ने सीमित मौके पर खुद को शानदार तरीके से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साबित किया है. शीर्ष क्रम के बल्लेबाज होने के कारण एकादश में जगह बनाना मुश्किल होगा लेकिन तेज बल्लेबाजी के साथ उनके पास ऑफ स्पिन गेंदबाजी करने की भी क्षमता है.