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जब ऋषभ और धवन को तैयार करने वाला कोच घर से बेदखल हुआ, तब आशीष नेहरा ने दिया अनोखा तोहफा

Ashish Nehra: क्रिकेट मैदान पर गेंदबाजी से बल्लेबाजों के छक्के छुड़ाने वाले बॉलर आशीष नेहरा अपनी दरियादिली के लिए काफी फेमस रहे हैं. अक्सर अपने हंसी मजाक से वे लोगों को अपना दीवाना बना देते हैं. लेकिन हाल ही में उनकी दरियादिली का खुलासा हुआ, जब उन्होंने अपने कोच को मुसीबत में घर गिफ्ट कर दिया था.

Ashish Nehra: पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा न केवल अपने क्रिकेट कौशल बल्कि अपने बड़े दिल के लिए भी जाने जाते हैं. उनकी दरियादिली और अपने कोच के प्रति सम्मान का एक मार्मिक उदाहरण प्रसिद्ध क्रिकेट कोच तारक सिन्हा के साथ जुड़ा हुआ है. आशीष नेहरा भारतीय क्रिकेट टीम के बेहतरीन बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों में से एक रहे हैं. 2011 के वनडे विश्व कप जीत में उनका योगदान उल्लेखनीय था. मैदान के बाहर भी वे ड्रेसिंग रूम में अपने चुलबुले और हंसमुख स्वभाव के लिए मशहूर थे. नेहरा के इस हंसमुख व्यक्तित्व के पीछे उनका भावनात्मक और संवेदनशील हृदय भी था, जिसका प्रमाण उनके कोच तारक सिन्हा के प्रति उनके सम्मान से मिलता है.

पद्मजीत सहरावत, जो एक प्रसिद्ध कमेंटेटर हैं, ने एक दिलचस्प घटना साझा की जब नेहरा और सिन्हा के बीच मजाकिया बातचीत के दौरान एक गहरी सच्चाई सामने आई. सोनेट क्रिकेट क्लब में अभ्यास के दौरान, नेहरा ने अपने कोच से देरी से आने का कारण पूछा. इस पर सिन्हा ने बताया कि उन्हें उनके मकान मालिक ने घर खाली करने का नोटिस दे दिया था और वे नई जगह की तलाश में थे.

इस बात ने नेहरा को झकझोर दिया, लेकिन उन्होंने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. कुछ दिनों बाद, जब बारिश के कारण क्लब दो दिन बंद रहा, तो तीसरे दिन नेहरा खुद अभ्यास के लिए देर से पहुंचे. जब तारक सिन्हा ने उनकी देरी पर चुटकी ली, तो नेहरा ने मुस्कुराते हुए अपने कोच को एक घर की चाबी सौंप दी और बताया कि यह घर उन्होंने उनके लिए खरीदा है ताकि उन्हें अब किराए की चिंता न करनी पड़े.

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छात्रों को कैसे प्रशिक्षित करेंगे, जब आप खुद देर से आते हैं

पदमजीत ने कहा, “एक बार नेहरा सोनेट क्रिकेट क्लब में प्रशिक्षण ले रहे थे और कोच तारक सिन्हा मैदान पर पहुंचने में देर कर रहे थे. नेहरा ने अपने कोच को चिढ़ाते हुए कहा, आप अपने छात्रों को कैसे प्रशिक्षित करेंगे, जब आप खुद देर से आते हैं.” “तारक सिन्हा ने जवाब दिया, “आप भारतीय क्रिकेटर हैं, आप बंगले में रहते हैं और मैं किराए के घर में रहता हूँ. मेरे घर के मालिक ने नोटिस भेजा है कि दो दिन के अंदर मुझे वह जगह छोड़नी होगी. मैं नई जगह की तलाश में गया था और इसलिए देर हो गई.”

उस मजाक के अगले दो दिन तक बारिश के कारण क्लब बंद रहा और तीसरे दिन आशीष नेहरा तीन घंटे देरी से क्लब पहुंचे. मजाक को फिर से हवा देते हुए सिन्हा सर ने कहा, “टेस्ट खिलाड़ी! उस दिन तो तुम बड़ी समझदारी भरी बातें कर रहे थे, आज क्या हो गया?” पदमजीत ने कहा, “नेहरा ने सिन्हा को एक घर की चाबी सौंपी और बताया कि उन्होंने उन्हें संकट से बचाने के लिए एक नया घर खरीदा है.”

सच्चे सम्मान की मिसाल

यह घटना प्रसिद्ध पत्रकार विजय लोकपल्ली की पुस्तक ड्रिवेन: द विराट कोहली स्टोरी में भी दर्ज है. यह न केवल नेहरा के उदार स्वभाव को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वे अपने कोच के प्रति कितने आभारी थे. सिन्हा, जिन्होंने नेहरा के करियर को संवारने में अहम भूमिका निभाई, उनके इस भावनात्मक उपहार से बहुत खुश हुए. आशीष नेहरा की यह दरियादिली क्रिकेट जगत में उनकी महानता को दर्शाती है. वे न केवल एक बेहतरीन क्रिकेटर थे, बल्कि एक सच्चे इंसान भी थे, जिन्होंने अपने कोच के प्रति (गुरु दक्षिणा) कृतज्ञता जताने का एक अनमोल तरीका अपनाया.

आशीष नेहरा अपने कोच और क्लब के प्रति पूरी तरह समर्पित थे. उन्होंने 2001 में श्री वेंकटेश्वर कॉलेज ग्राउंड को विकसित करने के लिए अपनी टूर फीस दान कर दी थी, ताकि सॉनेट क्लब की मदद की जा सके. लेकिन कुछ समय बाद सॉनेट क्रिकेट क्लब वहां से हटा दिया गया. एसवीसी से निकाले जाने के बाद, सॉनेट अब केंद्रीय सचिवालय ग्राउंड से काम करता है. उस समय नेहरा टीम में तुरंत ही शामिल हुए थे, लेकिन उसी समय उन्होंने यह महान कार्य किया था.

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तारक सिन्हा भारतीय क्रिकेट के लीजेंड

तारक सिन्हा भारत के सबसे प्रभावशाली क्रिकेट कोचों में से एक माने जाते हैं. उन्होंने 1969 में दिल्ली में सॉनेट क्रिकेट क्लब की स्थापना की, जिसने आशीष नेहरा, आकाश चोपड़ा, अंजुम चोपड़ा और शिखर धवन जैसे कई प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को निखारा. कुल 13 इंटरनेशनल क्रिकेटर देने वाली उनकी कोचिंग से उभरने वाली आखिरी बड़ी प्रतिभा ऋषभ पंत रहे, जो भारत के प्रमुख विकेटकीपर-बल्लेबाजों में शामिल हैं. सिन्हा को स्थानीय क्रिकेट समुदाय में “उस्तादजी” के नाम से जाना जाता था, जो उनके गहरे खेल ज्ञान और समर्पण को दर्शाता है.

क्रिकेट कोचिंग में उनके योगदान के अलावा, तारक सिन्हा ने 2001-2002 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के मुख्य कोच की भूमिका भी निभाई. उनके उत्कृष्ट मार्गदर्शन और योगदान के लिए 2018 में भारत सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया. हालांकि, 2021 में कैंसर से लड़ाई के बाद उनका निधन हो गया, लेकिन उन्होंने भारतीय क्रिकेट में एक अमिट छाप छोड़ी, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी.

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