पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए विश्व कप मुकाबले में मैच के बेहद अहम मौके पर पगबाधा की अपील में ‘अंपायर्स कॉल’ के परिणाम के मुद्दे पर क्रिकेट जगत दो खेमों में बंट गया है.
दक्षिण अफ्रीका के तबरेज शम्सी के हारिस रउफ की पगबाधा अपील से बचने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई, क्योंकि टीवी अंपायर ने नॉट आउट देने के मैदान अंपायर के फैसले पर कायम रहने का फैसला किया. इस हार से पाकिस्तान की टीम विश्व कप से बाहर होने के कगार पर पहुंच गयी है.
हरभजन सिंह, ग्रीम स्मिथ जैसे पूर्व क्रिकेटरों और हर्षा भोगले जैसे कमेंटेटरों ने भी अपने विचार व्यक्त करने के लिए एक्स (पूर्व में ट्विटर) का सहारा लिया.
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान कप्तान मिस्बाह उल हक ने ‘अंपायर्स कॉल’ के नियम को खेल से हटाने की वकालत की. हरभजन ने भी इसी तरह विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा, खराब अंपायरिंग और खराब नियमों के कारण पाकिस्तान को यह मैच गंवाना पड़ा. आईसीसी को यह नियम बदलना चाहिए…अगर गेंद स्टंप से टकरा रही है तो आउट है, चाहे अंपायर ने आउट दिया हो या नॉटआउट, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता…अन्यथा तकनीक का क्या फायदा?
इस तकनीक पर काम करने वाले लोगों की हालांकि राय उनसे अलग है. आईसीसी में इसस मुद्दे से जुड़े एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, इस समय, ‘अंपायर्स कॉल’ को हटाया नहीं जाएगा. आखिरकार, डीआरएस का मुख्य कार्य अंपायरों की भूमिका को कम/प्रतिस्थापित करना नहीं है, बल्कि त्रुटियों को सुधारकर इसे बढ़ाना है. मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छा तरीका है.
भोगले ने एक्स पर अपना दृष्टिकोण साफ करते हुए ‘अंपायर्स कॉल’ को सही करार दिया. उन्होंने लिखा, ‘ गेंद के पैड से टकराने के बाद, आप जो देखते हैं वह एक अनुमान है कि गेंद कहां हो सकती है, यह वास्तविक गेंद नहीं है क्योंकि इसमें कोई रुकावट आ गई है. यदि गेंद का 50% से अधिक हिस्सा स्टंप्स से टकराने का अनुमान है , आप 100% आश्वस्त हो सकते हैं कि ऐसा होगा. लेकिन अगर गेंद का 50% से कम हिस्सा स्टंप्स से टकराने का अनुमान है, तो मौजूदा सटीकता स्तर 100% निश्चितता के साथ नहीं बता सकता है कि गेंद स्टंप से टकराई होगी. उन्होंने कहा, ऐसे में आप अंपायर के मूल निर्णय को मान सकते है क्योंकि उसे बदलने के लिए आप पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है.