कोलकाता : बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट ने दूसरी पारी में 85 रन देकर छह विकेट चटकाये जिससे सौराष्ट्र ने रविवार को यहां रणजी ट्रॉफी के फाइनल कै चौथे दिन बंगाल को नौ विकेट से शिकस्त दी. पहली पारी में 230 रन बड़ी बढ़त लेने के बाद सौराष्ट्र की टीम ने बंगाल की दूसरी पारी को 241 रन पर समेट दी. सौराष्ट्र को मैच अपने नाम करने के लिए 12 रन का लक्ष्य मिला. टीम ने 2.4 ओवर में एक विकेट गंवाकर लक्ष्य हासिल कर लिया.
सौराष्ट्र की टीम दूसरी बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनी है. मैच में नौ विकेट लेने वाले सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट मैन ऑफ द मैच चुने गये, जबकि टीम के अर्पित वसावड़ा रणजी सत्र के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गये. उन्होंने इस सत्र में 907 रन बनाये. जयदेव उनादकट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में टीम इंडिया का हिस्सा थे. लेकिन रणजी ट्रॉफी का फाइनल खेलने के लिए बीसीसीआई ने उन्हें रिलीज कर दिया था.
आकाशदीप की गेंद पर सौराष्ट्र ने सलामी बल्लेबाज जय गोहिल (शून्य) का विकेट गंवाया लेकिन टीम 2.4 ओवर में 14 रन बनाकर दूसरी बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनी. सौराष्ट्र को पिछला खिताब 2019-20 सत्र में मिला था. उस समय टीम ने पहली पारी की बढ़त के आधार पर बंगाल को पछाड़ा था. सौराष्ट्र ने पिछले 10 सत्र में पांच बार रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनाकर अपनी निरंतरता साबित की. बंगाल की टीम एक बार फिर चैंपियन बनने से चूक गयी. उसने अपना पिछला खिताब 1989-90 में इसी ईडन गार्डन्स मैदान में सितारों से सजी दिल्ली को हरा कर जीता था.
टीम का पहला खिताब 1938-39 में आजादी से पहले के दौर में आया था. उनादकट ने दिन के शुरुआती सत्र में एक बार फिर अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवाया. उन्होंने शाहबाज अहमद (27) के रन आउट होने के बाद आखिरी पांच में से चार विकेट चटकाये. शनिवार को उन्होंने दो विकेट लिये थे. बंगाल के अनुभवी बल्लेबाज कप्तान मनोज तिवारी (68) और अनुस्तूप मजूमदार (61) ने अर्धशतकीय पारी खेल जुझारूपन दिखाया लेकिन टीम को शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों ने निराश किया.
अभिमन्यु ईश्वरन फाइनल की दो पारियों में शून्य और 16 रन ही बना सके. सेमीफाइनल में शतक जड़ने वाले सुदीप घरामी शून्य और 14 का योगदान ही दे पाये. घरामी ने इस सत्र में 800 से ज्यादा रन बनाये हैं. फाइनल में सुमंत गुप्ता को पदार्पण का मौका देना भी बंगाल को भारी पड़ा. उनके पास शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के लिए जरूरी तकनीक की कमी दिखी. वह बाहर निकलती गेंदों पर असहज दिखे. राज्य के खेल मंत्री और टीम के कप्तान तिवारी ने रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने के लिए अपने संन्यास के फैसले को टाला था. यह उनका चौथा फाइनल था लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी.
इससे पहले, तिवारी और शाहबाज की पिछले दिन की जोड़ी तीसरा रन चुराने की कोशिश में गफलत की शिकार हुई. इसका खामियाजा शाहबाज को रन आउट होकर भुगतना पड़ा. इससे तिवारी का लय भी गड़बड़ा गया. वह उनादकट की बाहर जाती गेंद पर बल्ला अड़ा कर आउट हुए. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल का स्कोर नौ विकेट पर 205 रन हो गया. मुकेश कुमार और इशान पोरेल की आखिरी जोड़ी ने 37 गेंद में 36 रन की साझेदारी कर टीम को पारी की हार से बचाया. रणजी फाइनल के लिए भारतीय टीम से रिलीज किये गये उनादकट ने पहली पारी में 44 रन देकर तीन विकेट लिये थे. उन्हें युवा वामहस्त तेज गेंदबाज चेतन सकारिया को अच्छा साथ मिला था. सकारिया ने 33 रन देकर तीन विकेट चटकाए थे.