इंडियन प्रीमियर लीग फ्रैंचाइजी सनराइजर्स हैदराबाद एक बार फिर से चर्चा में है. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज साइमन कैटिच ने सहायक कोच के पद से इस्तीफा दे दिया है. कथित रूप से कैटिच कुछ नीलामी से नाखुश थे. कैटिच को वेस्ट इंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा और भारत के पूर्व बल्लेबाज हेमंग बदानी के साथ टॉम मूडी और मुत्ता मुरलीधरन के नेतृत्व वाले सनराइजर्स हैदराबाद के कोचिंग ग्रुप में शामिल किया गया था. उन्होंने नीलामी के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया.
काव्या मारन की अध्यक्षता वाले सनराइजर्स हैदराबाद प्रबंधन ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है कि क्या कैटिच का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है या क्या उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया जायेगा. ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ने बताया कि कैटिच का इस्तीफा मुख्य रूप से इसके कारण था कि दो दिवसीय नीलामी में चर्चा की गयी पूर्व नीलामी रणनीति का पालन नहीं किया गया था.
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जहां एसआरएच ने निकोलस पूरन (10.75 करोड़ रुपये), वाशिंगटन सुंदर (8.75 करोड़) और राहुल त्रिपाठी (8.50 करोड़) को खरीदा. सनराइजर्स की कुछ बड़ी खरीदारियां चौंकाने वाली रही हैं. हालांकि यह हमेशा एक खिलाड़ी की गुणवत्ता नहीं होती बल्कि नीलामी की गतिशीलता होती है जो एक खिलाड़ी की अंतिम कीमत निर्धारित करती है.
बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाजी ऑलराउंडर अभिषेक शर्मा की 6.75 करोड़ रुपये की डील भी आंख मूंद कर की गयी. अभिषेक को आईपीएल के इस संस्करण के लिए संभावित सलामी बल्लेबाज के रूप में देखा जा रहा है. 21 वर्षीय ने लीग में अपने चार सत्रों में कुछ भी नहीं किया है, जो इतनी भारी कीमत की गारंटी देता है और कई लोग पूरन की बोली पर हैरान थे क्योंकि उन्होंने पिछली बार संयुक्त अरब अमीरात में सबसे खराब आईपीएल सत्रों में से एक का सामना किया था.
सनराइजर्स के तीन रिटेंशन भी सवालों के घेरे में आ गये हैं क्योंकि वे अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्पिनर राशिद को मना नहीं सके. इसके अलावा, उन्होंने दो कश्मीरी युवाओं, तेज गेंदबाज उरमान मलिक को उनकी गति के लिए और अब्दुल समद को उनकी बड़ी हिटिंग के लिए 4 करोड़ रुपये में रखा. यहां तक कि रोमारियो शेफर्ड, जिसे शायद शुरुआत नहीं मिली, को उसके सीपीएल कारनामों के आधार पर 7.75 करोड़ रुपये से अधिक में खरीदा गया था.
सनराइजर्स प्रबंधन पिछले साल उस समय विवादों में घिर गया था जब उन्होंने डेविड वार्नर को कप्तानी से हटा दिया था और फिर संयुक्त अरब अमीरात में दूसरे चरण के दौरान उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया था. डेविड वॉर्नर, जिसने 2016 में सनराइजर्स को अपने एकमात्र आईपीएल खिताब दिलाया था, उन्हें डग-आउट में बैठने की अनुमति भी नहीं दी गयी.