T20 World Cup 2024 Final: भारतीय टीम की वर्ल्ड कप खिताब जीतने पर कल से लगातार जश्न मनाया जा रहा है. खिलाड़ी भी जश्न में डूब गए हैं. बारबाडोस के मैदान का दृश्य देखने लायक था. जब टीम इंडिया ने जीत दर्ज की, तो भारतीय खिलाड़ियों ने कोच राहुल द्रविड़ को बड़ा सम्मान दिया. खिलाड़ियों ने कोच द्रविड़ को उठाकर एकसाथ कई बाद हवा में उछाला. खिलाड़ी हर पल को यादगार बनाने की कोशिश में थे.
कोच के रूप में द्रविड़ ने रचा इतिहास
रोहित शर्मा भारत को वर्ल्ड कप दिलाने वाले तीसरे कप्तान बन गए. कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी के क्लब में रोहित शर्मा भी शामिल हो गए. इस जीत के साथ जहां कप्तान रोहित शर्मा का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया, वहीं कोच के रूप में राहुल द्रविड़ का नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. टीम इंडिया वर्ल्ड कप राहुल द्रविड़ के लिए बेहद खास था, क्योंकि इसके बाद उनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा. अगर इस बार भारत वर्ल्ड कप नहीं जीत पाता, तो द्रविड़ के नाम दो वर्ल्ड कप हारने वाले कोच के रूप में याद किया जाता. 2023 के आखिर में भारत ने वनडे का वर्ल्ड कप हारा था, उस समय भी द्रविड़ ही टीम इंडिया के कोच थे.
विश्व कप जीत के साथ गुरू द्रविड़ ने भारतीय टीम से ली विदा
टी20 विश्व कप जीतने के साथ ही मुख्य कोच के तौर पर भारतीय टीम के साथ राहुल द्रविड़ का कार्यकाल भी खत्म हो गया जिन्होंने आधुनिक क्रिकेट कोचिंग के भारी दबाव के बीच भी गरिमा और शालीनता से कामयाबी तक के सफर की बानगी दी. वैसे 11 साल बाद आईसीसी खिताब जीतने के बाद ‘ द वॉल’ को भी जज्बाती होते देखा गया. जैसे ही फाइनल के ‘प्लेयर आफ द मैच’ विराट कोहली ने उन्हें ट्रॉफी सौंपी, उन्होंने इतनी जोर से आवाज निकाली मानो आखिर में अपने भीतर की तमाम भावनाओं की अभिव्यक्ति कर रहे हों. द्रविड़ को ऐसा करते देखने की कोई शायद कल्पना भी नहीं कर सकता. कभी वह सनसनीखेज हेडलाइन नहीं देते लेकिन गैरी कर्स्टन की तरह चुपचाप काम करते रहे.
द्रविड़ का कोच के रूप में रहा चुनौतीपूर्ण सफर
श्रीलंका के खिलाफ 2021 में सीमित ओवरों की एक शृंखला के बाद ही राहुल द्रविड़ की चुनौतियां शुरू हो गई थी. उन्हें नवंबर में आधिकारिक तौर पर भारत का पूर्णकालिक मुख्य कोच बनाया गया. उनसे पहले रवि शास्त्री के कोच रहते भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया था लिहाजा उन पर टीम को आगे ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी थी. कोच के रूप में वह आूस्ट्रेलिया दौरा तो नहीं कर सके लेकिन अलग अलग प्रारूपों में उनकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया. वैसे दक्षिण अफ्रीका की कमजोर टीम के खिलाफ एक हार और एक ड्रॉ रही टेस्ट शृंखला उन्हें कचोटती रहेगी. द्रविड़ में हालात और लोगों को संभालने की जबर्दस्त खूबी है जिसका उन्होंने कोच के रूप में पूरा उपयोग किया. उन्होंने ऐसा माहौल बनाया जिसमें हर खिलाड़ी निखर सके.
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