टीम इंडिया वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 6 विकेट से हार गई. ऑस्ट्रेलिया छठी बार वर्ल्ड चैंपियन बना है. एक लो स्कोरिंग मैच में भारतीय गेंदबाजों ने शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बानाने का प्रयास किया, लेकिन टीम के सलामी बल्लेबाज ट्रेविस हेड ने उस दबाव को अपनी शानदार बल्लेबाजी से दूर कर दिया. इस हार से करोड़ों भारतीयों का दिल टूट गया. भारत अपने सभी मुकाबले जीतकर फाइनल में पहुंचा था. लेकिन फाइनल में टीम के जज्बे में कुछ कमी रह गई, तभी तो हम वर्ल्ड कप हार गए. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए किसी प्रकार 240 रन बना. ऑस्ट्रेलिया ने यह मुकाबला 43 ओवर में जीत लिया. इस हार की पांच बड़ी वजहें जो समझ में आ रही हैं वे ये हैं…
1. बेंच स्ट्रैंथ के इस्तेमाल पर संदेह
पता नहीं क्यों राहुल द्रविड़ ने सेमीफाइनल में जगह पक्की करने के बाद भी बेंच स्ट्रैंथ को परखना जरूरी नहीं समझा. राहुल द्रविड़ के बारे में एक बात कही जाती है कि वह प्लेइंग इलेवन में ज्यादा बदलाव के पक्ष में नहीं रहते हैं. हार्दिक पांड्या के चोटिल होने के बाद मोहम्मद शमी को प्लेइंग इलेवन में लाया गया और उन्होंने गोल्डन बॉल भी जीता. लेकिन बेंच पर सबसे अनुभवी खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन को नजरअंदाज किया गया. गिल बीमार थे तब केवल कुछ मैचों में ईशान किशन को मौका मिला था, लेकिन उसके बाद वह बेंच ही गर्म करते रहे.
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2. मध्य क्रम के बल्लेबाज
रोहित शर्मा ने एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर पूरे टूर्नामेंट में आक्रामक रूख अपनाए रखा. फाइनल मुकाबले में भी उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए, लेकिन दूसरे छोर पर गिल नहीं चले. गिल के शुरू में आउट हो जाने के बाद टीम इंडिया के बल्लेबाज दबाव में आ गए. एक बड़े टूर्नामेंट में मध्यक्रम के बल्लेबाजों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है. लेकिन भारतीय मध्यक्रम बिना जोश के मैदान पर हारे और थके नजर आए. इसका खामियाजा टीम को चुकाना पड़ा और भारत एक बड़ा स्कोर करने से चूक गया. श्रेयस अय्यर, रवींद्र जडेजा और सूर्यकुमार यादव बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे.
3. नॉकआउट में दबाव में आ जाती है टीम इंडिया
भारत ने जिब बेबाक अंदाज में लीग के मुकाबले खेले हैं, वह बेबाकी फाइनल के समय नहीं देखने को मिली. ऐसा लगता है कि टीम इंडिया के खिलाड़ी नॉकआउट मुकाबले में दबाव में आ जाते हैं. एक दो बल्लेबाजों को छोड़ दें तो बाकियों के खेल में इस दबाव का असर साफ तौर पर दिखा. रोहित ने 47, विराट ने 54 और केएल राहुल ने 66 रन बनाए. इसके बाद किसी का बल्ला नहीं चला. फाइनल मुकाबले में छह बल्लेबाजों का 10 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाना दबाव नहीं तो और क्या है. गेंदबाजी की बात करें तो शुरुआती झटकों के बावजूद भारतीय गेंदबाज ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना सके. गेंदबाजी में भी वह आग देखने को नहीं मिली. स्पिनर बेहतरीन टर्न मिलने के बाद भी विकेट नहीं निकाल पाए.
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4. रोहित शर्मा की गलती
पूरे टूर्नामेंट में रोहित शर्मा ने शानदार कप्तानी की, लेकिन वह फाइनल में चूक गए. आम तौर पर जसप्रीत बुमराह के साथ मोहम्मद सिराज गेंदबाजी की शुरुआत करते थे. लेकिन रोहित ने फाइनल मुकाबले में सिराट की जगह शमी को जल्दी बुलाने की गलती कर दी. शमी को एक विकेट तो मिल गई, लेकिन वह बीच के ओवरों में जितने आक्रामक साबित होते है, उतने शुरू में नहीं होते. इसके बाद रोहित ने स्पिनर्स से जल्दी-जल्दी ओवर निकलवाने का प्रयास किया. विकेट से उनका ध्यान हट गया. वह ओवर खत्म करने के बारे में सोचने लगे. बस यहीं गलती हो गई. ऑस्ट्रेलिया की टीम को 50 ओवर तक 240 रन बनाने से रोके रखना काफी मुश्किल काम है.
5. सूर्यकुमार की जगह अश्विन को मिलना चाहिए था मौका
सूर्यकुमार यादव की जगह भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रविचंद्रन अश्विन के अनुभव का फायदा उठाना चाहिए था. भारत केवल पांच गेंदबाजों के साथ खेल रह था. नीदरलैंड के खिलाफ भले ही विराट कोहली और रोहित शर्मा ने विकेट चटकाए हों, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अनुभव की काफी जरूरत थी. सूर्या ने 28 गेंद पर खेलकर 18 रन बनाए. अगर अश्विन टीम में होते तो वह गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी में भी योगदान कर सकते थे. लीग चरण में अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 10 ओवर में एक मेडन के साथ केवल 34 रन दिए थे और एक विकेट भी चटकाया था.
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