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विश्व कप में भारत की पहली जीत की कहानी: पांच देशों ने मिल कर एक टीम बनायी, पर भारत इतिहास रचने में सफल रहा

साल 1975 क्रिकेट जगत में बड़ा बदलाव लेकर आया. यह वही साल था जब पहला वनडे वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला गया. इस विश्व कप में भारत ने भी हिस्सा लिया था. ऐसे में टीम इंडिया का पहले वर्ल्ड कप में कैसा प्रदर्शन रहा जानिए यहां.

1971 को क्रिकेट में सबसे बड़ा बदलाव आया. टेस्ट क्रिकेट के फ्लेवर से बोर हो रहे दर्शकों को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेले गये पहले वनडे क्रिकेट मैच के दौरान पहली बार नया स्वाद चखने को मिला. हालांकि क्रिकेट का नया फ्लेवर शुरुआत के कुछ वर्षों के दौरान धीमी रफ्तार से लोगों की जुबान पर चढ़ा. क्रांति की शुरुआत हुई जून, 1975 में. सात जून से इंग्लैंड में खेला गया पहला विश्व कप वनडे क्रिकेट में नयी जान फूंक दिया. भारत ने भी पहले वनडे विश्व कप में हिस्सा लिया. हालांकि भारत इस विश्व कप में हिस्सा लेने से पहले क्रिकेट के इस छोटे फॉर्मेट में डुबकी लगा चुका था, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई थी. 1974 में इंग्लैंड के खिलाफ दो मैचों की वनडे सीरीज में भारत को हार का सामना करना पड़ा था.

भारतीय टीम विश्व कप में इस हार के धब्बे को धोना चाहती थी. पर, पहले ही मैच में सामना फिर इंग्लैंड से हो गया. भारतीय टीम को इंग्लैंड ने 202 रन से रौंद डाला. पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने 60 ओवरों में चार विकेट पर 334 रन बनाये थे. वनडे क्रिकेट में सिर्फ दो मैच खेलनेवाली भारतीय टीम के गेंदबाजों की इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने खूब धुनाई की. डेनिस एमिस ने विश्व कप का पहला शतक जड़ते हुए 137 रन की पारी खेली थी. भारत को जीत के लिए 335 रन का विशाल लक्ष्य मिला. भारत ने 60 ओवर बल्लेबाजी तो की, लेकिन बनाये तीन विकेट पर सिर्फ 132 रन. सुनिल गावस्कर की खेली गयी पारी इतिहास में आज भी दर्ज है. गावस्कर ने 174 गेंदों पर 36 रन बनाये और पूरी पारी के दौरान सिर्फ एक चौका जड़ा था. भारत की ओर से गुंडप्पा विश्वनाथ ने सबसे अधिक 37 रन बनाये थे.

पूर्वी अफ्रीका के खिलाफ भारत का था दूसरा मैच

7 जून, 1975 को इंग्लैंड से हारने के बाद भारतीय टीम को दूसरे मैच में पूर्वी अफ्रीकी टीम से भिड़ने से पहले पांच दिन का समय मिला. 11 जून को पूर्वी अफ्रीकी से भिड़ंत हुई. यह टीम भी पहली विश्व कप में हिस्सा ले रही थी. अफ्रीका में क्रिकेट खेलने वाले सबसे मजबूत देश दक्षिण अफ्रीका को नस्लभेद के आधार पर खिलाड़ियों के चयन करने की वजह से आइसीसी ने बैन लगा दिया था. केन्या, युगांडा, तंजानिया, जाम्बिया देश पूर्वी अफ्रीका के अंदर आते थे. इन देशों के खिलाड़ियों को मिला कर पूर्वी अफ्रीकी टीम बनी. हालांकि पाकिस्तान में जन्मे फ्रासत अली भी पूर्वी अफ्रीकी टीम के सदस्य थे.

टॉस जीत कर भारत के खिलाफ पूर्वी अफ्रीकी टीम ने बल्लेबाजी चुनी

पहले विश्व कप के दौरान वनडे क्रिकेट 60 ओवर का हुआ करता था. भारतीय कप्तान श्रीनिवास वेंकटराघवन लीड्स के ऐतिहासिक ग्राउंड पर टॉस हार गये. पूर्वी अफ्रीका के कप्तान हरिलाल शाह ने टॉस जीत कर बल्लेबाजी करने का फैसला किया. वनडे क्रिकेट 60-60 ओवरों का होता था, तो एक गेंदबाज 12 ओवर तक गेंदबाजी कर सकते थे. बल्लेबाजी करने का फैसला पूर्वी अफ्रीका के लिए भारी पड़ा. कोई भी बल्लेबाजी भारतीय गेंदबाजों को ठीक से सामना नहीं कर सका और भारतीय गेंदबाजों ने ऐसा कहर बरपाया की विकेटों की झड़ी लग गयी.

मदन लाल और सैयद आबिद ने टॉप आर्डर ढाह दी

भारतीय तेज गेंदबाजों ने विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ पहले वनडे में की गयी खराब गेंदबाजी में सुधार लाते हुए पूर्वी अफ्रीकी टीम के टॉप आर्डर को तहस-नहस कर दिया. मदन लाल और सैयद आबिद अली ने मिल कर कुल 5 विकेट झटके. उनकी रफ्तार को पूर्वी अफ्रीकी बल्लेबाज झेल नहीं सके. फ्रासत अली (12 रन), सैमुअल वालुसिंबी (16 रन) का शिकार आबिद अली ने किया. प्रफुल्ल मेहता भी 12 रन के स्कोर पर रन आउट हुए. मदद लाल की गेंद पर रमेश सेट्ठी 23 रन के स्कोर पर कैच आउट हो गये.

बिशन बेदी ने दिये थे 12 ओवर में सिर्फ छह रन

भारत के लिए बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने भी कसी हुई गेंदबाजी की थी. बेदी ने अपने 12 ओवरों में आठ मेडेन फेंकते हुए और महज 6 रन देकर एक विकेट लिया था. इसके अलावा मोहिंदर अमरनाथ ने भी दो विकेट लिए थे. भारत की घातक गेंदबाजी के सामने पूर्वी अफ्रीकी टीम 55.3 ओवरों में मात्र 120 रन पर ढेर हो गयी . वेंकटराघवन भी पूरी लय में थे. 12 ओवर गेंदबाजी की कुल 29 रन दिये. यानि दोनों स्पिनर्स बेदी और वेंकटराघवन ने 24 ओवर डाले और उनकी गेंदबाजी पर पूर्वी अफ्रीका के बल्लेबाज़ फंसे रहे और सिर्फ 35 रन ही बना सके. अफ्रीका के लिए जवाहिर शाह ने सर्वाधिक 37 रन बनाये.

गावस्कर ने पिछली गलतियों को सुधारते हुए जड़ा धमाकेदार अर्धशतक

इंग्लैंड के खिलाफ 174 गेंदों पर 36 रन बनाने के बाद आलोचना झेलनेवाले गावस्कर पूर्वी अफ्रीकी देश के खिलाफ नये रंग में नजर आये. आते ही धमाकेदार बल्लेबाजी शुरू कर दी. 86 गेंदों पर नौ चौकों की मदद से 65 रन की नाबाद पारी खेली. सुनील गावस्कर के साथ ओपनिंग करने आये फारूख इंजीनियर ने भी नाबाद 54 रन बनाये. भारत ने इस मैच को 29.5 ओवरों में 10 विकेट से जीत लिया. यह मैच क्रिकेट के इतिहास में भारत की पहली वनडे जीत के तौर पर दर्ज हो गया. इस मैच में एक खास चीज़ और हुई. बेहतर स्ट्राइक रेट और ज्यादा रन बनाने के बावजूद भी इंग्लैंड के पैनल ने सुनील गावस्कर को प्लेऑफ द मैच नहीं चुना. उनकी जगह फारुख इंजीनियर को प्लेऑफ द मैच चुना गया था.

पहले ही दौर में बाहर हो गया था भारत

हालांकि पूर्वी अफ्रीकी देश के खिलाफ जीत दर्ज करने के बाद भी अगले मैच में भारत को न्यूजीलैंड से हार का सामना करना पड़ा. इससे टीम अगले दौर में नहीं पहुंच सकी और भारत का पहला विश्व कप जीतने का सपना टूट गया. हालांकि इसके ठीक आठ साल बाद 1983 में इंडिया ने पहली वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीत सभी आलोचकों को करारा जवाब दिया था.

वेस्टइंडीज बना चैंपियन

1975 विश्व कप का खिताब फाइनल में वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को 17 रन से हरा कर जीता था.

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