प्रदर्शनकारी पहलवानों ने सोमवार को धमकी दी कि अगर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी तो वे सुप्रीम कोर्ट की शरण में जायेंगे जबकि खेल मंत्रालय ने महासंघ के सात मई को होने वाले चुनावों पर रोक लगा दी और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को चुनाव कराने के लिए तदर्थ समिति के गठन के लिए कहा. तदर्थ समिति अपने गठन के 45 दिन के भीतर चुनाव करायेगी और डब्ल्यूएफआई का कामकाज भी देखेगी जब तक कि इस खेल संस्था को नयी कार्यकारी समिति नहीं मिल जाती.
धरने पर बैठे शीर्ष पहलवानों ने कहा कि उनका डब्ल्यूएफआई चुनाव से कोई लेना देना नहीं है और वे सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों की उचित जांच की मांग के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे. मंत्रालय का यह फैसला तब आया है जब तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया और विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट सहित देश के शीर्ष पहलवान रविवार को विरोध प्रदर्शन के लिए फिर से जंतर मंतर पहुंचे और सरकार से आरोपों की जांच करने वाली निगरानी समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की.
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मंत्रालय ने आईओए को तदर्थ समिति के गठन के लिए कहा लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि क्या निगरानी समिति ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को सही पाया या नहीं. खेल मंत्रालय ने हालांकि अपने निर्देशों में कहा कि निगरानी समिति के निष्कर्षों के अनुसार डब्ल्यूएफआई के पास इस तरह की शिकायतों की जांच के लिए उचित व्यवस्था नहीं है और डब्ल्यूएफआई तथा पहलवानों के बीच संवाद की जरूरत है. आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को भेजे मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि पूर्व चुनाव प्रक्रिया को रद्द माना जाए और कार्यकारी समिति के नये चुनाव एक तटस्थ संस्था/निर्वाचन अधिकारी के तहत कराये जाने चाहिए.
मंत्रालय ने साथ ही खुलासा किया कि 23 जनवरी को गठित निगरानी समिति अब रद्द हो गई है. मंत्रालय ने कहा कि निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी है और वर्तमान में इसकी जांच की जा रही है. कुछ प्रमुख निष्कर्षों में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013 के तहत विधिवत गठित आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति और शिकायत निवारण के लिए खिलाड़ियों के बीच जागरूकता के लिए पर्याप्त तंत्र की कमी शामिल है. महासंघ और खिलाड़ियों सहित हितधारकों के बीच अधिक पारदर्शिता और परामर्श की आवश्यकता है. (और) महासंघ और खिलाड़ियों के बीच प्रभावी संवाद की आवश्यकता है.
आईओए अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि वे 27 अप्रैल को अपनी कार्यकारी समिति की बैठक में इस मामले पर चर्चा करेंगी. उषा ने ट्वीट किया कि हमारी 27 अप्रैल को होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में डब्ल्यूएफआई में मौजूदा गतिरोध पर चर्चा होगी और कार्रवाई योग्य समाधान निकाला जायेगा. आईओए हमारे खिलाड़ियों और इसके खेल पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है.
ओलंपियन विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक की अगुवाई वाले पहलवानों ने स्वीकार किया कि तीन महीने पहले अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करके उन्होंने गलती की थी. साक्षी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे. अगर हमने गलत आरोप लगाये हैं तो फिर हमारे खिलाफ जवाबी प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए. इस बीच विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता धरना स्थल पर पहुंचे और पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाई. बजरंग ने कहा, अब हम किसी की नहीं सुनेंगे. हम विरोध का चेहरा बनेंगे लेकिन अब हमारे गुरुजन और कोच हमारा मार्गदर्शन करेंगे.
विनेश ने कहा कि पिछली बार प्रदर्शन समाप्त करना गलती थी. अब हम किसी मध्यस्थ को स्वीकार नहीं करेंगे. अब हम किसी के बहकावे में नहीं आयेंगे. हम सभी चाहते हैं कि पुलिस इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करें और इस मामले की जांच करे. हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं और न्याय पाने के कई रास्ते हैं. क्या हमें कहीं से भी न्याय नहीं मिलेगा? पहलवानों ने दावा किया कि वे डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन गये थे लेकिन पुलिस ने उनके आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया.