नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक जमाने वाले सचिन तेंदुलकर ने इनमें से एक शतक अपने जन्मदिन यानी 24 अप्रैल को भी बनाया था जिसमें उन्होंने शेन वार्न की गेंदों की जमकर धुनाई करके इस आस्ट्रेलियाई दिग्गज को आटोग्राफ लेने के लिये मजबूर कर दिया था.
तेंदुलकर और वार्न के बीच द्वंद्व क्रिकेट जगत के सबसे चर्चित व्यक्तिगत मुकाबलों में शामिल रहा है लेकिन शारजाह में 24 अप्रैल 1998 को आस्ट्रेलिया का शातिर लेग स्पिनर भारतीय मास्टर ब्लास्टर के आगे नतमस्तक था. आखिर तीन दिन के अंदर दूसरी बार उनकी गेंदों की जमकर धुनाई हुई थी जिसे खुद वार्न ने भी स्वीकार किया था. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अहम योगदान देने वाले चिकित्सकों, नर्सों, चिकित्सा सहयोगियों, पुलिसकर्मियों, सैन्यकर्मियों और सफाईकर्मियों के सम्मान में तेंदुलकर ने हालांकि कल अपना 47वां जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया है.
लेकिन आज से 22 साल पहले तेंदुलकर ने अपने 25वें जन्मदिन का भरपूर जश्न भी मनाया था और इस बीच उन्हें दो ‘अनोखे उपहार’ भी मिले थे. भारत ने तेंदुलकर के दम पर शारजाह में तब त्रिकोणीय शृंखला जीती थी. तेंदुलकर मैन आफ द सीरीज और फाइनल के मैन आफ द मैच बने थे लेकिन अपने जन्मदिन पर उन्हें सबसे बड़ा पुरस्कार किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं वार्न ने दिया था. उन्होंने अपनी शर्ट निकाली और तेंदुलकर को उस पर आटोग्राफ देने के लिए कहा. यह उस टूर्नामेंट का यादगार क्षण बन गया था.
तेंदुलकर को दूसरा बड़ा इनाम आस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान स्टीव वॉ ने दिया था जिन्होंने पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान कहा था कि उनकी टीम को भारत ने नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर ने हराया. तेंदुलकर ने एक साक्षात्कार में इसका जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘मैच के बाद पुरस्कार वितरण समारोह विशेष बन गया था. स्टीव वॉ ने कहा था कि वे मुझसे हार गये. आस्ट्रेलियाई कप्तान ने यह बात उस दिन कही थी जिस दिन मेरा 25वां जन्मदिन था. जन्मदिन पर इससे बेहतर कोई उपहार नहीं हो सकता था. ” आस्ट्रेलियाई टीम बेहतरीन फार्म में चल रही थी. त्रिकोणीय शृंखला में उसने लीग चरण के सभी चारों मैच जीते. भारत और न्यूजीलैंड ने एक- एक मैच में एक दूसरे को हराया था. भारत को अपना आखिरी लीग मैच 22 अप्रैल को खेलना था. उस दिन शारजाह में भयंकर तूफान आया था लेकिन मैदान पर तेंदुलकर तूफान लेकर आये थे. यही वजह है कि आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन दिन के अंदर खेली गयी उनकी दो शतकीय पारियों को क्रिकेट जगत में आज भी ‘डेजर्ट स्ट्रोम’ के नाम से जाना जाता है. भारत को फाइनल में पहुंचने के लिए आखिरी लीग मैच में जीत या कम अंतर से हारने की जरूरत थी.
भारत के सामने 285 रन का लक्ष्य था और ऐसे में तेंदुलकर ने 143 रन की बेजोड़ पारी खेली थी जिसे आज भी वनडे की सर्वश्रेष्ठ पारियों में गिना जाता है. भारत करीबी अंतर से मैच हार गया था लेकिन तेंदुलकर ने इससे पहले उसे फाइनल में पहुंचा दिया था. फाइनल तेंदुलकर के 25वें जन्मदिन पर था. इस बार भारत के सामने 273 रन का लक्ष्य था. तेंदुलकर ने 134 रन बनाये और भारत को जीत दिलायी. मैच के दौरान स्टेडियम में मौजूद 25 हजार दर्शकों ने तेंदुलकर से वार्न पर छक्का जड़ने की मांग की तो इस स्टार बल्लेबाज ने आगे बढ़कर गेंदबाज के सिर के ऊपर से छक्का लगा दिया था. कमेंटेटर टोनी ग्रेग ने वार्न और फिर माइकल कास्प्रोविच पर लगाये गये तेंदुलकर के छक्कों को देखकर कहा था, ‘‘अगर कोई (डॉन) ब्रैडमैन के बेहद करीब है, तो यह छोटे कद का इंसान है.”